खुशखबरी: मंत्रिमंडल की बैठक में बड़ा फैसला, अब इन पदों पर बिना इंटरव्यू मिलेगी नौकरी

4/18/2017 5:03:38 PM

चंडीगढ़:हरियाणा मंत्रिमंडल की बैठक मंगलवार को चंडीगढ़ में आयोजित की गई।  मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पंजाब पुलिस नियम, 1934 में संशोधन को स्वीकृति प्रदान की गई ताकि सिपाहियों एवं उप-निरीक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता लाई जा सके। मंत्री कृष्ण कुमार ने बताया कि इस नियम के अनुसार सिपाही के रैंक में सभी रिक्तियां और उप-निरीक्षक के रैंक में कुल पदों की 50 प्रतिशत (स्थायी एवं अस्थायी दोनों) पद सीधी भर्ती द्वारा हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के माध्यम से भरी जाएंगी। परंतु सीधी भर्ती द्वारा भरी जाने वाली रिक्तियों में से तीन प्रतिशत रिक्तियां उत्कृष्ट खिलाडिय़ों से भरी जाएंगी। उन्होंने बताया कि बैठक मेें गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) विधेयक, 2017 को स्वीकृति प्रदान की गई जिसे विधान सभा के आगामी विशेष सत्र में पेश किया जाएगा। इस प्राधिकरण का उद्देश्य समेकित तथा समन्वित योजना, अवसंरचना विकास तथा शहरी सुविधाओं के प्रावधान के साथ-साथ रोजगार अवसरों के सृजन के माध्यम से निवासियों के गुणवत्तापरक जीवन तथा जीवनशैली के तर्कसंगत मानकों के माध्यम से गुरुग्राम महानगर क्षेत्र के सतत, स्थाई तथा संतुलित विकास के लिए एक दृष्टिकोण विकसित करना है।


उन्होंने बताया कि  बैठक में गैर-राजपत्रित और अन्य रैंकों के पदों के लिए हरियाणा पुलिस सेवा नियम, 2017 को स्वीकृति प्रदान की गई। सभी जिलों और रेंजों तथा राजकीय रेलवे पुलिस, हरियाणा सशस्त्र पुलिस और कमांडो पुलिस बल में पुरुषों और महिलाओं, दोनों के सामान्य काडर समेत सभी रैंकों की सेवा शर्तें इन नियमों से शासित होंगी। नए नियमों के अनुसार, निरीक्षकों के शत-प्रतिशत पदों को उप-निरीक्षक के रैंक से पदोन्नति के माध्यम से भरा जाएगा। उप-निरीक्षक के मामले में, 50 प्रतिशत पदों को सहायक उप-निरीक्षकों में से पदोन्नति द्वारा और 50 प्रतिशत पदों को सीधी भर्ती द्वारा भरा जाएगा, जिसमें से 3 प्रतिशत पद उत्कृष्ट खिलाडिय़ों से भरे जाएंगे। सहायक उप-निरीक्षकों और हैड कांस्टेबल्स के मामले में, शत-प्रतिशत पद क्रमश: हैड कॉन्स्टेबल और कॉन्सटेबल्स में पदोन्नति से भरे जाएंगे। कांस्टेबल के शत-प्रतिशत पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे जिनमें से 3 प्रतिशत पद उत्कृष्ट खिलाडिय़ों से भरे जाएंगे। 


वाहन चलाने वालों के लिए भी फैसले
मंत्रिमंडल की बैठक में मोटर यान अधिनियम, 1988 के तहत किये गए अपराधों के लिए जुर्माना शुल्क संशोधित करने का निर्णय लिया गया है। इस अधिनियम की धारा-177 के तहत, रोगी को ले जाते समय एंबुलेंस को निर्विघ्न मार्ग उपलब्ध न करवाने पर पहले अपराध के लिए जुर्माना 2 हजार रुपये होगा परंतु तदंतर अपराध के लिए जुर्माना 5 हजार रुपये होगा। यात्री वाहन में माल ले जाने पर प्रथम अपराध के लिए जुर्माना 2 हजार रुपये जबकि तदंतर अपराध पर जुर्माना राशि 5 हजार रुपये होगी। इसी प्रकार मौके से भाग जाने पर पहली बार के लिए जुर्माना 500 रुपये जबकि दूसरी बार के लिए एक हजार रुपये होगा। उच्च सुरक्षा पंजीकरण (हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन) प्लेट के बिना वाहन चलाने के लिए निर्धारित जुर्माना शुल्क पहली बार 500 रुपये जबकि तदंतर अपराध के लिए एक हजार रुपये होगा। बैठक में निर्णय लिया गया कि राज्य विश्वविद्यालयों के साथ सभी बी.एड. महाविद्यालयों की सम्बद्धता प्रत्येक विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अधिकार-क्षेत्र के अनुसार होगी।