निजी स्कूलों की मान्यता को लेकर शिक्षा विभाग ने लिया बड़ा फैसला

12/22/2016 9:12:02 PM

चंडीगढ़: हरियाणा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी.के. दास ने गुरुवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हरियाणा एजुकेशन एक्ट और नियम के अनुसार बिना स्वीकृति के स्कूल नहीं चलना चाहिए। लेकिन इस संबंध में कुछ स्कूलों ने स्वीकृति के लिए अप्लाई किया है और ऐसे स्कूलों को साल दर साल अस्थाई मान्यता दी जा रही है।

उन्होंने कहा कि राज्य में कुछ ऐसे स्कूल भी हैं जो मान्यता के लिए अप्लाई नहीं करते हैं। ऐसे स्कूल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत और हरियाणा स्कूल ऐजुकेशन एक्ट के तहत संचालित नहीं किए जा सकते और अगले सत्र में यदि सरकार ऐसे स्कूलों को बंद करती है तो इन स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों के अभिभावकों को मान्यता प्राप्त स्कूल में अपने बच्चों को दाखिला दिलवाने के लिए पूरा अवसर दिया जाएगा।  

उन्होंने कहा कि नियम 134 के तहत यदि कोई मेधावी छात्र सरकारी स्कूल या प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहा है। वो किसी भी प्राइवेट स्कूल में दाखिला ले सकता है और उसको कोई फीस नहीं देनी पड़ेगी। 

स्कूलों को फीस बढ़ोतरी से पहले सरकार को बताना पढ़ेगा
पी.के. दास ने कहा कि कई बार यह शिकायत आती है कि प्राइवेट स्कूल बिना बताए अपनी फीस बढ़ा देते हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा स्कूल ऐजुकेशन के नियम 158 और 158-ए के तहत कानूनी तौर पर निजी स्कूलों को फीस बढ़ोतरी से पहले एक समय सीमा के अंदर राज्य सरकार को बताना होगा। उन्होंने बताया कि इसके लिए प्रस्तावित बढ़ी हुई फीस को फार्म 6 में भरकर इस वर्ष के 31 दिसंबर, 2016 से पहले देना होगा। 

उन्होंने बताया कि यदि एक बार उन्होंने फीस की अधिसूचना जारी कर दी है तो उस वर्ष में दोबारा फीस में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती और यदि एक समय सीमा के तहत फार्म 6 बढ़ी हुई फीस के लिए नहीं भरा है तो भी प्राइवेट स्कूल उस वर्ष में फीस नहीं बढ़ा सकते। उन्होंने बताया कि यदि कोई स्कूल प्री-रिकवरी फीस की करता है और इस संबंध में कोई अभिभावक संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी, शिक्षा विभाग के निदेशक या अतिरिक्त मुख्य सचिव को शिकायत करता है तो इस संबंध में कार्यवाई की जाएगी।