बेटे की गिरफ्तारी से बढ़ी बराला की मुसीबत

8/10/2017 11:27:57 AM

चंडीगढ़(बंसल/पांडेय):भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के पुत्र की छेड़छाड़ मामले में देशभर में हुई किरकिरी के चलते उनकी कुर्सी पर मंडराता खतरा कम होने के स्थान पर बढ़ गया है। भाजपा सरकार के मंत्री चाहे सार्वजनिक बयानबाजी में कुछ भी कह रहे हों, मगर लोगों के सवालों से वे भी असहज महसूस कर रहे हैं। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी नेताओं को जवाब देना मुश्किल हो गया है। माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान राज्यसभा चुनाव में व्यस्त था। इसके चलते इस मामले में इतनी किरकिरी होने के बाद भी ठंडा रुख अपनाए हुए था। 

पिछले कई दिन से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी गुजरात में थे, लेकिन अब वह दिल्ली लौटे हैं, जिसके बाद यह चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि अब बराला की कुर्सी पर कोई फैसला हो सकता है। हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल बराला की कुर्सी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह से यह मामला राज्यसभा से लेकर लोकसभा में गूंज चुका है। ऐसे में यही कहा जा रहा है कि बराला के उत्तराधिकारी की तलाश शुरू हो गई है। सूत्र बताते हैं कि पार्टी हाईकमान ने सारे तथ्य अपने स्तर पर जुटाए हैं और उन्हीं के आधार पर कार्रवाई हो सकती है। पार्टी हाईकमान पर बराला परिवार से जुड़े अन्य मामलों की रिपोर्ट भी पहुंच चुकी है और सूत्रों की मानें तो पार्टी हाईकमान भी सकते में है, प्रदेश सरकार ने ऐसी घटनाओं को गंभीरता से क्यों नहीं लिया? दूसरी ओर संघ ने भी इस मामले में नाराजगी जाहिर की है जबकि बराला ने अंदरखाते संघ नेताओं को पूरी सफाई देने का प्रयास किया। जब पार्टी हाईकमान तथा संघ ने हाथ खड़े कर दिए, तब जाकर बराला मीडियाकर्मियों के सामने आए हैं और बेटा पुलिस थाने पहुंचा है। 

अमित शाह के दौरे के बाद चर्चा थी कि बराला को मंत्री बनाया जा सकता है तो वहीं बदले हालात में बराला की प्रधानगी का जाना तय माना जा रहा है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है और बराला के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। दूसरी ओर पार्टी हाईकमान के कई नेता भी इसी पक्ष में बताए जा रहे हैं कि पार्टी की छवि को बचाने के लिए बराला को पद से हटाया जाना जरूरी है। वहीं, दूसरी ओर भाजपा के गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई है। बराला का उत्तराधिकारी कौन होगा? पार्टी इस बात पर मंथन कर रही है इस घटनाक्रम से हुए डैमेज को कैसे कंट्रोल किया जाए, क्योंकि शुरू में मुख्यमंत्री से लेकर अन्य पार्टी के अन्य नेताओं को भी यह उमीद नहीं थी कि यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की छवि को नुक्सान पहुंचा देगा।