सुभाष बराला की कुर्सी खतरे में, नए चेहरे को लेकर होने लगी चर्चाएं

8/8/2017 1:52:21 PM

चंडीगढ़:आई.ए.एस. अधिकारी की लड़की से छेड़छाड़ मामला गर्माता जा रहा है। जिसने हरियाणा में पार्टी की अंदरुनी राजनीति के समीकरण बिल्कुल बदलकर रख दिए हैं। विपक्ष इस मुद्दे पर सुभाष बराला को घेर कर मौके का फायदा भा उठा सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के रोहतक प्रवास में मजबूत बनकर उभरे बराला के लिए आने वाले दिन और कठिन हो सकते हैं। हालांकि अभी तक भाजपा के आला नेता बराला के साथ दिखाई दे रहे हैं। 

बेटे के कारनामे के बाद बराला पर अपने पद से इस्तीफा देने पर दबाव बनाया जा रहा है। इसके साथ ही बराला के हटने की दशा में भाजपा के अंदर ही नए चेहरे पर कयास लगाए जाने लगे हैं। पिछले दिनों भाजपा ओबीसी के मुद्दे को ज्यादा उठाती रही है। अमित शाह ने अपने रोहतक प्रवास के दौरान कांग्रेस पर ओबीसी विरोधी होने का आरोप लगाते हुए कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि बदले जाने की स्थिति में नया अध्यक्ष ओबीसी वर्ग का ही हो सकता है। राजकुमार सैनी के मोर्चे से निपटने के लिए किसी सैनी को अध्यक्ष बनाने की वकालत पहले ही हो चुकी है। अहीरवाल में पकड़ और मजबूत बनाने के लिए किसी यादव चेहरे को भी सामने लाया जा सकता है।

अमित शाह ने जाट और गैर जाट की राजनीति से दूर रहने की बात रोहतक प्रवास के दौरान कही थी। स्थानीय नेताओं की मानें तो गैर जाट का समीकरण भाजपा के लिए मुफीद है। इसलिए ही दबी जुबान में किसी गैर जाट को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की भी वकालत हो चुकी है। अमित शाह के रोहतक प्रवास के पहले दिन ही कार्यकर्ताओं ने यह मांग उठाई थी। सैनी समाज के किसी नेता को यह जिम्मेदारी देने की मांग एक पदाधिकारी ने की थी। अमित शाह के दौरे में बराला की भूमिका के कारण यह आवाज ज्यादा जोर से नहीं उठ पाई थी। अब बेटे के छेड़खानी प्रकरण में घिरे बराला को घेरने के लिए फिर से इस समीकरण का हवाला दिया जा सकता है।

भाजपा ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के अभियान को काफी बढ़ चढ़कर प्रचारित किया है। ऐसे में अपना चेहरा बचाने के लिए और पार्टी के अंदर किसी भी प्रकार की गुटबाजी को रोकने के लिहाज से बराला की कुर्बानी दी जा सकती है। हालांकि सीएम खट्टर और कई बड़े नेताओं ने अभी इसका बचाव किया है।