सरकारें बदलते रहना जनता के लिए फायदेमंद रहता है : नवीन जयहिंद

12/11/2022 11:07:12 AM

चंडीगढ़ (धरणी) : समय-समय पर सरकार से दो-दो हाथ करने तथा ब्राह्मण समाज की आवाज को हमेशा बुलंद करने वाले आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष नवीन जयहिंद ने सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठाए हैं। साफ तौर पर जय हिंद ने हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणाम पर भाजपा को सीखने-समझने और अपने कार्यशैली में सुधार करने की बात के साथ-साथ हरियाणा के विपक्ष को मुर्दा बताया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष प्रदेश में अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभा रहा। जनता सरकार के दोनों दलों द्वारा उनके मेनिफेस्टो के वायदों की राह टटोल रही है, लेकिन जनता को कुछ भी नहीं दिया जा रहा। उन्होंने एसवाईएल के मुद्दे पर केंद्र सरकार को हरियाणा का पानी ना मिलने का दोषी बताया है। नवीन जयहिंद आप को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने पर उन्हें बधाई देने के साथ-साथ प्रदेश के युवाओं से अपने हकोंं की लड़ाई लड़ने का आह्वान किया है। उनसे हुई बातचीत क कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं :-

प्रश्न : गुजरात और हिमाचल चुनाव परिणामों पर आपका नजरिया क्या है ?
उत्तर : 
मैं राजनीति से पूरी तरह से दूर हूं। लेकिन सोचता हूं कि अगर सरकारें बदलती रहे तो ठीक रहता है। यह जनता के लिए फायदेमंद रहता है। मेरा मानना है और मेरे जीवन का अनुमान है कि जो सरकार में है उसे जनता की सेवा करनी चाहिए और विपक्ष वालों को जनता के लिए संघर्ष करना चाहिए।

प्रश्न : जवाब सीधे-सीधे दें कि हिमाचल में "भाजपा" गई और गुजरात में वर्चस्व कायम है, इस पर आप क्या सोच रखते हैं ?
उत्तर : 
हिमाचल में काम नहीं हुए होंगे, इसलिए वह बदले गए। हिमाचल वालों को काम पसंद नहीं आया इसलिए जनता ने बदल दिया और गुजरात में इनके काम पसंद आ गए होंगे या फिर वहां धर्म और जाति की राजनीति चल गई होगी। मुख्य चीज है कि पार्टी कोई भी हो जो भी चुनाव के वक्त अपना एजेंडा पार्टी रखती है वह पूरा होना चाहिए। मेरा मानना है कि इस रिजल्ट से भाजपा को अवश्य सबक मिला होगा। क्योंकि हिमाचल में भी बीजेपी की सरकार थी और खुद नरेंद्र मोदी ने एक बहुत बड़ा कैंपेन किया था। इसलिए खुद नरेंद्र मोदी के लिए यह एक बहुत मुसीबत की बात है।

प्रश्न : लेकिन आम आदमी पार्टी दोनों जगह बुरी तरह से हारी है ?
उत्तर : 
देखिए वह एक नई पार्टी है, लुढ़क गई होगी। अब क्या करें कभी कोई पार्टी लुढ़क जाती है तो कभी ऊपर आ जाती है। मैं तो सिर्फ यही कहता हूं कि हारने के बाद कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। फिर जनता के लिए संघर्ष शुरू कर देना चाहिए, मेरा आकलन यही है। क्योंकि कोई एकाध बार इत्तेफाक से किसी को पहली बार में सफलता मिलती है, नहीं तो हमेशा शुरुआत में संघर्ष ही करना पड़ता है।

प्रश्न : आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी है ?
उत्तर : 
बहुत अच्छी बात है। उन्हें मेरी शुभकामनाएं हैं।

प्रश्न : आम आदमी पार्टी आपकी पुरानी पार्टी है, मोहब्बत तो अभी भी है आपको ?
उत्तर : 
मेरी किसी से कोई मोहब्बत नहीं और ना ही किसी से दुश्मनी है। मेरा काम जनता की आवाज उठाना है। मैं राजनीति पूरी तरह से छोड़ चुका हूं।क्योंकि जब विपक्ष निकम्मा और सरकार नकारा हो तो किसी ना किसी को बोलना ही पड़ेगा। बिना बोले बात नहीं बनेगी। अभी कोई किसी बात से तो कोई किसी बात से सरकार ने डरा रखे हैं। लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं।

प्रश्न : विपक्ष को निकम्मा कैसे कह सकते हैं आप ?
उत्तर : 
5 लाख बुजुर्गों की पेंशन काट दी गई, क्या कोई बोला ? इस मुद्दे पर क्या कोई सड़कों पर उतरा हुआ देखा ? सीईटी के 11 लाख बच्चों के मुद्दे पर कोई विपक्ष बोलते देखा गया ? सभी चीजों में भ्रष्टाचार हो रहा है, क्या कभी किसी ने आवाज उठाई ? फिर कैसे मान लूं कि विपक्ष जिंदा है ? हरियाणा का विपक्ष जिंदा नहीं मुर्दा है।

प्रश्न : जनता सरकार से खुश है। सरकार की पार्टनर "जजपा" की भिवानी रैली काफी सफल रही है ?
उत्तर : 
रैली क्या चीज होती है, रैली तो कोई भी कर ले, सभी की रैली पास हो जाती हैं। केवल पैसे ही देने होते हैं। ड्यूटिया लग जाती हैं कि 500 आदमी तूने लाने हैं, हजार आदमी तूने लाने हैं। कोई प्रति व्यक्ति 500 ले जाता है तो कोई प्रति व्यक्ति 1000 ले जाता है। वैसे एक बात बताइए कि सरकार को रैली की आखिर जरूरत क्या होती है ? जजपा सरकार में शामिल है। अगर सरकार में शामिल है तो कहां है 5100 रुपए बुढ़ापा पेंशन। जिन बूढ़ों की पेंशन काट दी गई है, लगभग पौने दो लाख का डाटा है। हालांकि सरकार इन पेंशनों को बना भी रही है। सरकार ने जनवरी तक का सभी बूढ़ों की पेंशन शुरू करने का समय तय मांगा है। अगर शुरू कर देंगे तो ठीक है।लेकिन आज भी 60 वर्ष से ऊपर 200000 बुजुर्गों की पेंशन नहीं है। मैं तो सिर्फ यही कहूंगा कि बातों  और चीख मारने से पेट नहीं भरता। पेट रोटियों से भरता है।

प्रश्न : 3 साल में सरकार में रहकर चुनाव पूर्व किए गए बहुत से वायदे "जजपा" पूरे कर चुकी है ?
उत्तर : 
उनका घोषणापत्र मंगवाओ मेरे सामने। उन्होंने कौन सा वादा निभाया है। कहते है निजी सेक्टर में 75 फ़ीसदी हरियाणवी युवाओं को रोजगार दे दिया। कौन सी फैक्ट्री में 75 फ़ीसदी लगे हुए हैं ? कृपया दिखाएं। केवल झूठ बोलते हैं। झूठे सपने दिखाते हैं। बहुत बड़े-बड़े सपने दिखाए गए थे। 50000 बच्चों को नौकरी मिलेगी, कहां है नौकरियां ? झूठ पर झूठ सामने आ रहे हैं। उन्हें कहिए अपना मेनिफेस्टर उठाओ। लोगों को दिखाओ। बताओ कि हमारा मेनिफेस्टो यह है, हमने यह यह काम किए हैं। सच यह है कि इन्होंने कुछ नहीं दिया।

प्रश्न : पूर्ण बहुमत मिलने पर बहुत कुछ करने का वायदा किया गया है रैली में, आप क्या कहेंगे ?
उत्तर : 
यह तो कहेंगे मुझे पीएम बना दो। अगर यह कुछ नहीं कर पा रहे तो छोड़ दो इस सरकार को। हिम्मत रखो, इस्तीफा दे दो। अपनी शर्ते रखो। टीईटी क्वालीफाई करो। 1 महीने में सभी बंद हुई बुढ़ापा पेंशनों को फिर से शुरू करो। बुढ़ापा पेंशन ताऊ देवीलाल का किया शुरू किया हुआ काम है। यह उनका सम्मान है। इन्हें तो उनकी विरासत को संभालना चाहिए। बुजुर्ग धक्के खाते फिर रहे हैं और यह मौज कर रहे हैं।

प्रश्न : दिल्ली-पंजाब में 'आप' की सरकार है, हरियाणा का बड़ा मुद्दा एसवाईएल पर आपकी सोच बताएं ?
उत्तर : 
जब सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि केंद्र सरकार इसका हल करें। क्या इस देश में सुप्रीम कोर्ट की भी नहीं चलती। सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला दे और उसका समाधान ना हो, इसका मतलब सुप्रीम कोर्ट की औकात नहीं है। क्या कर रही है केंद्र सरकार। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को इंप्लीमेंट करना केंद्र की जिम्मेदारी है। यह बात सुप्रीम कोर्ट को कहनी चाहिए, नहीं तो इसमें सुप्रीम कोर्ट की बेइज्जती है। यह हक की बात है। एसवाईएल में हरियाणा का अधिकार है। हालांकि इस नाम से पंजाब- उत्तर प्रदेश- हरियाणा- दिल्ली का हो यह सभी देशवासी हैं। लेकिन जब फैसला कोर्ट ने किया है तो सोच समझकर किया होगा। यह नहीं होना चाहिए कि हरियाणा का किसान भूखा मरे, पानी ना मिले, फसल पैदा ना हो, जमीन सूखी पड़ी रहे, पंजाब को बड़े भाई का फर्ज निभाना चाहिए। हम यह भी नहीं कहते कि पंजाब वालों को प्यासा मारा जाए, उन्हें पानी ना मिले, वह भूखे मरे और हम पेट भरे हम ऐसा नहीं चाहते। लेकिन हम यह जरूर कहते हैं कि पंजाब वाले मटर पनीर की जगह दाल के साथ रोटी खा लो कम से कम हमें चटनी से तो खाने दो।

प्रश्न : नई विधानसभा के लिए केंद्र द्वारा हरियाणा को जगह मिलने का विरोध भी पंजाब के नेता कर रहे हैं ?
उत्तर : 
दरअसल सभी को अपनी-अपनी राजनीति करनी है। किसी ने प्रदेश की तो किसी ने जात- धर्म की राजनीति करनी है. लेकिन मुख्य बात यह है कि देश की राजनीति किसी ने नहीं करनी। देश का एक सिस्टम है। आज भी लोगों का न्यायालय के प्रति काफी भरोसा है और जनता सरकारों पर भरोसा नहीं करती।

प्रश्न : बेरोजगार युवा हरियाणा में हताश और निराश है, समाधान कैसे होगा ?
उत्तर : 
मैं सिर्फ एक ही बात कहता हूं बेरोजगारी सब पर भारी। बेरोजगारी से बड़ी कोई समस्या नहीं होती। पेट में रोटी नहीं होती तो भजन भी अच्छा नहीं लगता। सीईटी के 11 लाख फार्म भरे गए। यह सभी रजिस्टर्ड आंकड़ा है। हरियाणा में 5 लाख वैकेंसी खाली पड़ी है। उन्हें क्यों नहीं भरते। बीमारी का इलाज बहुत आसान है। अगर छुट्टियों के लिए रैलियों के लिए कैलेंडर जारी हो सकते हैं तो मुख्यमंत्री भर्तियों के कैलेंडर क्यों नहीं जारी करते ? किस दिन नौकरियां निकलेगी ? किस दिन टेस्ट होगा ? किस दिन इंटरव्यू होगा ? किस दिन मेडिकल होगा और किस दिन जॉइनिंग होगी ? इस प्रकार से एक भर्ती कैलेंडर जारी होना चाहिए। लेकिन सरकार मीठी गोली चुसा रही है- चूसते रहो और घूमते रहो। मैं केवल नौजवानों को यह कहता हूं कि सड़क पर नहीं आते तो परमानेंट सड़क पर आ जाओगे। घर से नहीं निकलोगे तो परमानेंट घर बिठा देगी सरकार। आवाज उठाओ। सरकार से कह रहा हूं कि जितनी वैकेंसी खाली पड़ी है, कम से कम उन्हें भर दो। रोजगार के लिए बच्चों को लोन दे दो, ताकि कुछ कमाकर खा ले। परिवार का गुजारा कर ले। लेकिन सरकार चाहती है कि नौजवान फोन को देखकर टाइम पास करते रहें और वोट दे दे।

प्रश्न : हिमाचल जीत से उत्साहित भूपेंद्र सिंह हुड्डा  अपने चुनाव की राह आसान देख रहे हैं ?
उत्तर : 
देखिए वह जीते हैं, इसलिए उत्साहित तो होंगे ही। लेकिन हार पर ज्यादा दुख बनाने की भी बात नहीं है। मुझे लगता है कि विपक्ष को आवाज उठानी चाहिए। क्योंकि लोगों की आवाज नहीं उठाओगे तो कोई वोट नहीं देगा। मुझे ऐसा नहीं लगता कि बिना कुछ किए लोग सीधे सरकार बना देंगे। विपक्ष के सभी लोगों को कहूंगा कि सभी मुझसे बड़े हैं। आपकी आवाज बड़ी है आप मुझसे ताकतवर है। आप सभी साधन संपन्न हैं। आपके पास लोग- विधायक - पैसा- गाड़ी सब कुछ है। आपको नौजवानों- बुजुर्गों और हरियाणा के हर उस आदमी की जो सरकार और सिस्टम से परेशान है, उसकी आवाज उठानी चाहिए, विपक्ष का यह फर्ज बनता है।

प्रश्न : चुनाव नजदीक आते ही सरकार द्वारा किए जाने वाले जातीय सम्मेलनों पर अपनी टिप्पणी करें ?
उत्तर : 
मैं तो यही कहूंगा कि जब सरकार करवाती है तो सभी करवाएं, इसमें क्या दिक्कत है। सभी को अपनी आवाज उठाने का अधिकार है। चाहे वह आवाज क्षेत्र की हो या जाति की। यह हजारों साल से होता आ रहा है और अब भी होगा। लेकिन किसी को दूसरे समाज को गाली नहीं देनी चाहिए। दूसरे समाज को टारगेट ना करके अपने समाज- अपने परिवार को आगे बढ़ाने की सोच सभी की होनी चाहिए. अगर दिवाली आती है तो अपने घर सफेदी करनी होती है ना कि दूसरे के घर जाकर। खुद समर्थ होने के बाद ही दूसरे की मदद कोई कर सकता है। मैं तो यही कहता हूं कि हर समाज को इतना मजबूत होना चाहिए कि वह सरकार सत्ता और सिस्टम से लड़ने की हिम्मत रख सके, अगर अपने ऊपर अन्याय होता है तो।

Content Writer

Manisha rana