भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर 80 हजार से ज्यादा पन्नों की चार्जशीट, ये है पूरी कहानी (VIDEO)

2/2/2018 9:44:41 PM

चंडीगढ़ (धरणी): मानेसर जमीन घोटाले में शुक्रवार को सीबीआई ने पंचकूला स्थित स्पेशल कोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा सहित पांच लोगों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई है। चार्जशीट करीब 80 हजार से भी ज्यादा पन्नों की बताई जा रही है, जिसे सीबीआई एक अलमारी में लेकर पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत में पहुंची।

इस चार्जशीट में बिल्डरों और दूसरे कई लोगों के नाम हैं, इस तरह हुड्डा के साथ-साथ 34 अन्य लोगों की मुश्किलें भी बढ़ गई हैं। चार्जशीट में, छतर सिंह, एसएस ढिल्लों, पूर्व डीटीपी जसवंत, पूर्व आईएएस अधिकारी एमएल तायल सहित कई अन्य बिल्डरों के नाम भी लिए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा है सुरक्षित
उल्लेखनीय है कि मानेसर जमीन घोटाले में ही 12 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्णय सुरक्षित रखा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच रिपोर्ट को सबमिट करने के लिए चार महीने का समय दिया था व हरियाणा सरकार को आदेश दिए थे कि एक सप्ताह के अन्दर-अन्दर ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करे। अब इस मामले में सीबीआई ने पंचकूला की सीबीआई कोर्ट में मानेसर मामले की चार्जशीट फाइल कर दी है।

हुड्डा पर लगी है 420 की धारा, अन्य भी शामिल
यह भी बताने योग्य है कि पिछली सरकार को नेतृत्व करने वाले हुड्डा पर कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डरों को कौडिय़ों के भाव बेचने का आरोप है। इस पूरे मामले में करीब करोड़ो रुपये के घोटाले का आरोप है। यह जमीन तीन गांवों की बताई जा रही है। गांव के किसानों ने मामले में गुडग़ांव के मानेसर पुलिस थाने में केस दर्ज करवाया था।

इस पर वर्तमान भाजपा सरकार ने 17 सितंबर 2015 को मामला सीबीआई के हवाले कर दिया था। सीबीआई ने अपनी पड़ताल के बीच जमीन अधिग्रहण में कथित अनियमितता को लेकर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 की धारा 420, 465, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया।

इंडस्ट्रियों ने किसानों को डराया
आरोप है कि पूरे मामले में हरियाणा सरकार के अधिकारियों और बिल्डरों के बीच साठगांठ थी। पिछली सरकार ने आईएमटी मानेसर की स्थापना के लिए 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के लिए मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के ग्रामीणों को सेक्शन 4, 6 और 9 के नोटिस थमा दिए थे। इसके बाद प्राइवेट बिल्डरों ने किसानों को अधिग्रहण का डर दिखाकर जमीनों के सौदे किए और जमीनों को कौडिय़ों के भाव खरीद लिया। इसी दौरान डायरेक्टर इंडस्ट्रीज ने 24 अगस्त 2007 को सरकारी नियमों की अवहेलना करते हुए बिल्डर द्वारा खरीदी गई जमीन को अधिग्रहण प्रोसेस से रिलीज कर दिया।