विदेशों में पल बढ़ रहे पैदा होते ही कूड़े में फेंक दिए जाने वाले बच्चे, 133 बेटियों की जिंदगी संवरी

6/21/2021 12:10:20 AM

चंडीगढ़ (धरणी): कुछ साल पहले हरियाणा के पानीपत में एक बच्ची कुड़े के ढेर पर मिली था। इस दोनों ही पैरों की उंगलियां नहीं थी। इसलिए पूरे भारत में इस बच्चे को गोद लेने के लिए कोई भी आगे नहीं आया। कुछ ही दिन बाद इस बच्चे को अमेरिका के एक परिवार ने गोद ले लिया। सारी कानूनी प्रक्रिया और कागजी कार्यवाही के बाद दंपत्ति ने बच्चे को नया नाम अनंत दिया। और वह अनंत को अपने साथ अमेरिका ले गए। जहां आज एक अच्छे स्कूल में शिक्षा हासिल कर रहा है और अपने पांव पर खड़ा होने का प्रयास कर रहा है।

ऐसी ही स्थिति यमुनानगर के जगाधरी में मिली एक लड़की की है, जिसे माता-पिता ने पैदा होते ही लावारिस हालत में कूड़े के ढेर पर छोड़ दिया। इस बच्ची को स्वीडन के एक परिवार ने अपनाया और आज यह बच्ची पढ़ाई-लिखाई के बाद एक स्कूल में बतौर अध्यापिका सेवाएं दे रही हैं। इसकी शादी भी हो चुकी है और इसके पास दो जुड़वा बच्चे भी हैं। हरियाणा में जिन बच्चियों को उनके माता-पिता ने जन्म देने के बाद लावारिस हालत में छोड़ दिया, आज वही बच्चियां विदेशों में रहते हुए न केवल बेहतर जीवन व्यतीत कर रही हैं बल्कि दूसरे के लिए भी जिंदगी को बेहतर तरीके से जीने का कारण बन रही हैं। 

यह कहानी है हरियाणा के उन 557 बच्चों की, जिन्हें उनके अपनों ने जन्म के अगले ही पल कूड़े-कचरे के ढेरों पर छोड़कर लावारिस बना डाला। पर किस्मत ने ऐसी करवट बदली कि इन्हें अपनों से बढ़कर प्यार करने वाले मिल गए। यही वजह है कि शिशु गृह और कारा के सहयोग से 557 लड़के- लड़कियों में से 398 को भारतीयों और 159 को विदेशियों द्वारा अपनाया जा चुका है। खास बात यह है कि जिन बच्चों को विदेशियों ने एडॉप्ट किया है, उनमें 133 बेटियां शामिल हैं।

भारत के अलग-अलग राज्य से इस तरह लावारिस हालत में मिलने वाले बच्चों को शिशु गृह आसरा देता है। फिर कारा (सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी) जो केंद्र के अधीन है, के सहयोग से इन बच्चों को गोद दिया जाता है। खासकर ऐसे परिवारों को, जिनके पास कोई औलाद नहीं होती और वह बच्चों की अच्छे से देखभाल करने लायक होते हैं। ऐसे 153 बेटों और 245 बेटियों का भारतीयों ने दामन थामा है जबकि 26 बेटों और 133 बेटियों का विदेशियों ने अपनाया है।

हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के मानद सचिव प्रवीण अत्री ने बताया कि राज्य में लावारिस हालत में मिलने वाले बच्चों को शिशु गृह में आसारा दिया जाता है। जहां से इन बच्चों की डिटेल पोर्टल पर अपलोड की जाती है। फिर कारा के सहयोग से इन बच्चों को आगे परिवारों को पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद गोद दिया जाता है। सैंकड़ों बच्चों को विदेशों में रहने वाले दंपत्ति भी अपना चुके हैं।
 

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Content Writer

Shivam