क्लेक्टर रेट सर्वे अवधि 15 दिन बढ़ाकर 31 जनवरी की गई : संजीव कौशल

1/21/2021 8:55:44 AM

चंडीगढ़ (धरणी) : तहसील कार्यालय पर हमेशा से भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। जितनी भी सरकारें बनी, कुछ खास  कार्यवाही देखने को नहीं मिला है। लेकिन मौजूदा सरकार ने इस मामले में बड़ा कदम उठाया है। सेक्शन 7 ए की उल्लंघना कर सरकार को मोटा चूना लगाने की सूचना सरकार के पास पहुंची तो सरकार ने सभी डिवीजन के कमिश्नरों  को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। राजस्व  विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी इस समय हरियाणा सरकार के बेहद विश्वसनीय, अनुभवी व कुशल प्रशासक आईएएस संजीव कौशल है। जिनसे  पंजाब केसरी ने खास  बातचीत की। संजीव कौशल ने बताया की  कलेक्टर रेट सर्वे अवधि बड़ा 15 दिन और बढ़ा कर 31 जनवरी की गई  है | जिसमें उनके आपदा प्रबंधन के बारे में भी जानकारियां ली। बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत है:-

प्रश्न : सेक्शन 7 ए की उल्लंघना कर सरकार को चूना लगाया जाने के मामले की जांच आपने सभी डिवीजन के कमिश्नरों को सौंपी थी, उसमें क्या रहा?
उत्तर : 
हमने सभी छह डिवीजन के कमिश्नरस को जो जांच सौंपी थी। उसमें हमने कमिश्नरस को पिछले 3 साल में किसी भी रजिस्ट्रेशन आफ डीड में जो सेक्शन 7 अर्बन एरियाज एक्ट की उलंघना की गई, उसमें कौन-कौन अधिकारी शामिल थे, किसकी कमी से यह काम हुआ। सभी की रिपोर्ट हमारे पास आ चुकी है। जिसमें से तीन कमिश्नरस की रिपोर्ट पूरी है। लेकिन बाकी तीन कमिश्नरों की रिपोर्ट में थोड़ी कमियां है। जिसके लिए हमने अपने हेड ऑफिस से टीमें बनाकर उन डिवीजन में भेज दी हैं और मैं उम्मीद करता हूं कि 1 सप्ताह के अंदर उन कमियों को दूर करके रिपोर्ट हमारे पास आ जाएगी।

प्रश्न : आपके द्वारा बनाई गई टीमों में किस स्तर के अधिकारी हैं ?
उत्तर : 
यह टीमें स्पेशल सेक्रेट्री लेवल के अधिकारियों के नेतृत्व में काम करेंगी। जिसमें चीफ स्टैंप अधिकारी, सुपरिटेंडेंट लेवल के अधिकारी व 1-2 असिस्टेंट भी इस टीम में शामिल होंगे। यानि इसमें कई अलग-अलग लेवल के अधिकारी शामिल किए गए हैं।

प्रश्न : जिन अधिकारियों की रिपोर्ट पूरी आपको मिली है। उसमें किस प्रकार की खामियां पाई गई ?
उत्तर : जो हमारे पास शिकायत थी उसमें धारा 7 के उल्लंघना बताई गई थी। जैसे 1 एकड़ से अगर कम जमीन की रजिस्ट्रेशन अगर हुई है तो वह उल्लंघना है। क्योंकि सेक्शन 7 में  नोटिफाइड एरिया 1 एकड़ से ज्यादा है। पहले कानून में 1 एकड़ की जगह आधा एकड़ था। दूसरी उल्लंघना इस प्रकार से है कि एक हमारे कुछ रेवेन्यू के अधिकारियों ने गिरदावरी में गैर मुमकिन तामीरात वहां पर दिखाए यानि वहां कुछ गैर मुमकिन मकान या कुछ और बना है, वह कृषि भूमि नहीं है, इसलिए वहां की रजिस्ट्री की परमिशन उन्होंने दे दी। जो कि गलत थी। यह भी उल्लंघना है। कुछ जगह क्रेता और विक्रेता की फोटो जो रजिस्ट्रेशन के वक्त आनी चाहिए, वह अपने सेल फोन से फोटो लगाई गई। इस प्रकार अलग-अलग शिकायतें हैं जिनकी जांच की जा रही है।

प्रश्न : रिपोर्ट के अनुसार किस स्तर के किन-किन विभागों के अधिकारी इसमें संलिप्त थे ?
उत्तर : 
हरियाणा सरकार के आदेश है हैं कि कोई भी अधिकारी, चाहे वह कितना भी सीनियर हो, जिसकी भी इसमें जिम्मेदारी निर्धारित होगी, चाहे तहसीलदार हो, नायब तहसीलदार हो, टाउन कंट्री प्लानिंग का डीटीपी हो, जे ई हो, चाहे पटवारी हो, कंप्यूटर ऑपरेटर हो, कलर्क हो कोई भी इसमें संलिप्त पाए जाएंगे। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

प्रश्न : कलेक्टर रेट को लेकर आपने सुझाव आमंत्रित करने के लिए 15 जनवरी तक समय निर्धारित किया था। उसका क्या रिस्पॉन्स मिला ?
उत्तर : 
हमने 15 जनवरी को लेकर एक इश्तिहार दिया था। मैंने इस मामले में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जिला उपायुक्तों से बात की थी तो पता चल पाया कि कुछ जगहों से बहुत कम सुझाव आए हैं। फरीदाबाद से केवल 6 सुझाव ही आ पाए हैं। लेकिन हमारी सोच थी कि ज्यादा सुझाव आने चाहिए। पलवल में अच्छा रिस्पांस मिला, जहां 26 सुझाव आए। हमने यही सोचा कि शायद पब्लिसिटी कम होने की वजह से ऐसा हुआ है या फिर लोग इस बारे में शायद जागरूकता नहीं है। हमने इसकी समय अवधि 15 दिन और बढ़ा कर 31 जनवरी निश्चित की है।

प्रश्न : कलेक्टर रेट और डीसी रेट में क्या फर्क है, कृपया भ्रांतियों को दूर करें ?
उत्तर : 
कलेक्ट्रेट और डीसी रेट कोई अलग अलग नहीं है। कलेक्टर रेट का मतलब है कि इस इलाके में कोई भी खरीद-फरोख्त की रजिस्ट्रेशन डीड होगी उसमें स्टांप ड्यूटी कम से कम उस रेट के हिसाब में होगी। क्योंकि बहुत से लोग रजिस्ट्री करवाने की कोशिश करते हैं वह अंडर प्ले करते हैं। वह कोशिश करते हैं कि रजिस्ट्रेशन के लिए स्टांप ड्यूटी कम हो जाए। इसको रोकना हमारी जिम्मेदारी है। साथ पारदर्शिता लाने की हमारी कोशिश है। इसलिए सभी लोगों के सुझाव लेकर, ऑब्जेक्शन सुनकर हम इस पर फैसला लेना चाहते हैं। क्योंकि कहीं सुनने में आता है कि कलेक्ट्रेट जायदा निर्धारित है, लेकिन मौके पर मार्केट रेट कम है। कई जगह पर मार्केट रेट काफी ज्यादा है और कलेक्ट्रेट काफी कम है। इससे इस बात की गुंजाइश खत्म हो जाएगी।

प्रश्न : हरियाणा में आखिर कलेक्टर रेट की ज़रूरत क्यों पड़ी ?
उत्तर : 
कलेक्टर रेट बहुत बेसिक चीज है। आप कहीं भी कोई प्रॉपर्टी ले तो उसमें एक बेंच मार्क है कि वहां पर रेट यह है और आप स्टांप ड्यूटी बचाने के लिए इससे कम में सेल दिखाना चाहो आप ऐसा नहीं कर पाएंगे। इसलिए एक बेंच मार्क रखा जाता है। दूसरी तरफ से ब्लैक मनी जनरेशन को रोकने के लिए भी यह एक बहुत अच्छा साधन है।

प्रश्न : आपके पास आपदा-प्रबंधन विभाग की भी जिम्मेदारी है। स्कूलों को खोलने को लेकर भी दूसरे विभागों से कोई चर्चा वगैरह हुई है ?
उत्तर : 
हम हर चीज में सजग हैं। हर फैसले को सरकार और अन्य विभागों के साथ बैठ कर लेते हैं। अलग-अलग विभागों से हम डिस्कशन करते रहते हैं। सभी जिला उपायुक्त, पुलिस तंत्र व हमारा विभाग चीफ सेक्रेटरी साहब की लीडरशिप में काम करते हैं।

प्रश्न : कोरोना काल में आपके आपदा-प्रबंधन विभाग ने बहुत शानदार काम किया। कृपया अपना अनुभव साझा करें ?
उत्तर : 
यह बहुत चैलेंजिंग टाइम था। लेकिन आज बहुत कम संख्या में संक्रमित लोग आ रहे हैं। मैं आशा करता हूं कि हमारे अधिकारी इसी प्रकार से सजगता से काम करेंगे और इसमें सभी को, आम जनता को जागरूक रहने की बहुत जरूरत है। अब वैक्सीनेशन की शुरुआत अलग-अलग कैटेगरी में हो चुकी है। हेल्थ वर्कर, फ्रंटलाइन वर्कर को वैक्सीनेशन दी जा रही है। कैटेगरी एक पूरी होने के बाद हम कैटेगरी 2 की तरफ बढ़ेंगे। इस सारी प्रक्रिया में हमारा विभाग, पुलिस विभाग, रिवेन्यू विभाग और सभी लोग हम जुड़कर मिलकर एक टीम की तरह काम कर रहे हैं।

Manisha rana