किसान आंदोलन को ओपी चौटाला ताकत दें, उससे पहले बीरेंद्र सिंह को मध्यस्थता के लिए उतार सकते हैं CM

7/4/2021 8:44:28 PM

चंडीगढ़ (धरणी): इनेलो सुप्रीमो ओम प्रकाश चौटाला के किसानों के राजनीतिक चक्रव्यूह को भेदने के लिए पूर्व मंत्री बीरेन्द्र सिंह को मध्यस्थता के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल उतार सकते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, उनके पुत्र सांसद बिजेंद्र सिंह व उनके परिवार से मुख्यमंत्री मनोहर लाल की शनिवार देर रात हुई मुलाकात के कई राजनीतिक माईने निकाले जा रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह से मिलने उनके दिल्ली स्थित निवास पर पहुंचे थे।

ऐसी चर्चाएं हैं कि किसानो के आंदोलन के लंबे चलने के साथ बीरेंद्र सिंह की नई भूमिका भी जल्दी आने वाले दिनों में देखने को मिल सकती है। बीरेन्द्र सिंह किसानों की मांगों की भी वकालत समय समय पर करते रहें हैं। आंदोलन के अंदर मुख्य भूमिका में जींद, रोहतक, सोनीपत, हिसार के किसान नजर आते हैं। यह वह क्षेत्र हैं जहां बीरेन्द्र सिंह का खुद का दबदबा सदैव रहा है। उचाना से बीरेंद्र सिंह की पत्नी की विधानसभा में हार के बाद हरियाणा की सत्ता में भागीदारी दुष्यंत चौटाला को भी पहले इस भूमिका के लिए उपयोगी समझा जा रहा था। मगर वर्तमान हालत में जिस प्रकार किसान आंदोलन लम्बा चल रहा है व आंदोनकारी जेजेपी नेतायों से नाराज दिख रहे हैं। इसमें अब बीरेंद्र सिंह का हस्तक्षेप मध्यस्थ के रूप में महत्वपूर्ण हो सकता है।

हाल ही में जेल से रिहा हुए पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला बाजू में चोट के कारण अभी कुछ दिन आराम कर रहे हैं। चौटाला स्वस्थ होते ही गाजीपुर व सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरने में शामिल होंगे। चौटाला की भावी रणनीति का खुलासा उनके पुत्र व इनेलो के दिग्गज नेता अभय चौटाला कर चुके हैं कि स्वस्थ होकर ओम प्रकाश चौटाला पूरे हरियाणा का दौरा भी करेंगे। ओम प्रकाश चौटाला के राजनीतिक कद को लुभाने के लिए इनेलो भी पूर्ण नजरें लगाए बैठी है।

भाजपा भी चौटाला की कार्यशैली से भली भांति परिचित है। भाजपा प्रदेश संगठन हो या सीएम मनोहरलाल इनका प्रयास यही राजनीतिक दृष्टिकोण से रहेगा की किसानों के आंदोलन को चौटाला का साथ कोई नई ताकत न दे दे। आने वाले दिनों में यह बात देखने वाली रहेगी कि बीरेन्द्र सिंह की मध्यस्थ की भूमिका को आंदोलनकारी किसान भी कितना स्वीकार करेंगे। 

मुख्यमंत्री मनोहर लाल की बीरेन्द्र सिंह के साथ मुलाकात को यूपी चुनावों से भी जोड़ कर देखा जा सकता है। पश्चिमी यूपी के जाट बाहुल्य क्षेत्रों में भी बीरेन्द्र सिंह के प्रभाव का इस्तेमाल भाजपा बखूबी करने के मूड में है। बीरेन्द्र सिंह भले ही राजनीति से सन्यास ले गए हों, मगर उनके लंबे राजनीतिक जीवन में बने जनाधार को नाकारा नहीं जा सकता। भाजपा के पास जाट लीडरशिप में बीरेन्द्र सिंह जैसा मजबूत अन्य कोई चेहरा नहीं नजर आता।

हरियाणा की राजनीतिक परिस्थितियों में 2019 के चुनावों में उचाना से बीरेन्द्र सिंह की धर्मपत्नी प्रेम लता की हार व जे जी पी नेता दुष्यंत चौटाला के डिप्टी सी एम बनने के बाद बीरेन्द्र सिंह धीरे धीरे खुद को सक्रिय राजनीति से किनारा कर गए। अपने पुत्र बृजेन्द्र सिंह को सांसद बनाने में सफल रहे बीरेन्द्र सिंह का प्रयास है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में सांसद बृजेन्द्र सिंह को जगह दिलवाई जाए। चर्चा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार से पहले मनोहर लाल की यह मुलाकात राजनीतिक रूप से कई माइनों में अहम हो सकती है।

चर्चा है कि किसानों के आंदोलन में जहां मुख्यमंत्री मनोहर लाल हिंसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्यवाही की बात कह चुके हैं, वहीं वह किसी ठोस मध्यस्थता के माध्यम से टेबल पर पुन: बैठने का माहौल भी तैयार करने में लगे हैं। मुख्यमंत्री व केंद्रीय भाजपा नेतृत्व लगातार कह रहा है कि वार्ता के लिए दरवाजे सदैव खुले हैं। हाल ही में कई केंद्रीय नेतायों से मुलाकात कर चुके मुख्यमंत्री मनोहर लाल का बीरेन्द्र सिंह से मिलना भी इसी कड़ी का अहम हिस्सा है। सरकार भी चाहती है कि कोई मजबूत मध्यस्थता करने वाला मिले और जल्दी इस समस्या को हल किया जा सके।
 

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Content Writer

vinod kumar