सी.एम. की हालत : एक को मनाओ तो दूजा रूठ जाता है

2/13/2018 9:29:19 AM

अम्बाला(ब्यूरो): भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की 15 फरवरी को प्रस्तावित मोटरसाइकिल रैली को सफल बनाने के लिए जाट आरक्षण संघर्ष समिति के सामने नतमस्तक हुई प्रदेश सरकार को रैली के बचे हुए 2 दिनों में अभी और भी अड़चनों का सामना करना पड़ेगा। जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान प्रदेश में ङ्क्षहसा फैलाने के आरोपियों के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने की शर्त मानकर सरकार ने जाति विशेष को खुश करने का काम तो कर दिया परंतु सरकार का यह निर्णय दूसरे वर्ग के लोगों को रास नहीं आ रहा। सरकार ने जाटों को मनाकर राहत की सांस ली है। अभी 1 लाख से अधिक मोटरसाइकिल मामले में सरकार को एन.जी.टी. और हाईकोर्ट में जवाब भी देना है।

जब से पार्टी ने अमित शाह की रैली की तैयारियां शुरू की हैं, तभी से सरकार को कई मोर्चों पर लडऩा पड़ रहा है। जाटों का विरोध इस मामले में सरकार के गले की सबसे बड़ी फांस साबित हो रहा था। सरकार ने जाटों को मनाने के लिए कुछ दिन पूर्व आंदोलन के दौरान दर्ज मामलों में से 70 मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया था। सरकार के इस निर्णय की दूसरे तबके के लोगों व भाजपा सांसद राजकुमार सैनी ने खुलकर आलोचना की थी। सैनी ने तो यहां तक कह दिया कि रैली में बाधा डालने वाले लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल देना चाहिए। इस तरह सरकार दबाव में आएगी तो कोई भी तबका इसी तरह लोकतंत्र की हत्या करता रहेगा। 

सरकार की ओर से रैली करवाने के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। जाटों के विरोध का सामना करने के लिए केंद्र से 150 कम्पनियां भी मिल चुकी थीं लेकिन इससे पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल बनने की पूरी आशंका थी। खुफिया विभाग ने तो जाटों का विरोध देखते हुए गृह विभाग से रैली टालने तक का इनपुट दे दिया था। चूंकि यह रैली भाजपा नेताओं और सरकार के लिए नाक का सवाल बन चुकी थी। इसलिए रैली टालने जैसा कोई निर्णय नहीं लिया जाना था। 

आखिरकार सरकार को ‘बीच का रास्ता’ निकालते हुए जाटों की मांगों को स्वीकार करने का निर्णय लेना पड़ा। हालांकि इस निर्णय का भविष्य में भाजपा को खमियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि दूसरी जातियों के लोग यह नहीं चाहते कि दंगा-फसाद करने वाले लोगों को इसी तरह माफ कर दिया जाए।  सरकार के सामने दूसरी चुनौती यह है कि इनैलो ने शाह को काले झंडे दिखाने व काले गुब्बारे छोडऩे का अल्टीमेटम दिया हुआ है। पार्टी केंद्र से एस.वाई.एल. नहर पर जवाब मांग रही है। पार्टी की छात्र इकाई भी इसके लिए पूरी तरह तैयार है। 

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर ने भी प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर अमित शाह को काले झंडे दिखाने का निर्णय लिया हुआ है। हालांकि कांग्रेस के इस विरोध में हुड्डा खेमा शामिल होने की कोई संभावना नहीं है। प्रदेश के शिक्षा मित्र भी शाह की रैली का विरोध करने की घोषणा कर चुके हैं। भाजपा ने रैली में 1 लाख मोटरसाइकिल लाने की घोषणा की हुई है।  नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में इस मामले में याचिका दायर की हुई है। याचिका में कहा गया है कि इतनी अधिक मोटरसाइकिलें आने के कारण प्रदूषण बढ़ेगा। इससे बचने के लिए या तो साइकिलों या फिर प्रदूषण रहित वाहनों का सहारा लिया जा सकता है। ट्रिब्यूनल ने याचिका पर सुनवाई करते हुए 13 फरवरी को सरकार को हलफनामा दायर करने के आदेश दिए हुए हैं। ट्रिब्यूनल की ओर से अगर मोटरसाइकिलों की संख्या सीमित करने के आदेश जारी किए जाते हैं तो इससे भाजपा के बड़ी रैली करने के अरमानों पर पानी फिर सकता है।