स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सीएम के आदेश कमला वर्मा के इलाज में न हो कोई चूक: विनोद

punjabkesari.in Tuesday, Jun 01, 2021 - 09:41 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा की दिग्गज एवं वरिष्ठ नेता डॉ कमला वर्मा के इलाज में प्रदेश सरकार ने एक बड़ा और प्रशंसनीय कदम उठाया है। मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल मीडिया एडवाइजर विनोद मेहता ने इस बारे जानकारी देते हुए बताया कि डॉ कमला वर्मा के इलाज में किसी भी प्रकार से कोताही नहीं बरती जाएगी। सोमवार मध्य रात्रि 2 बजे उन्हें जैसे ही भाजपा की वरिष्ठ नेता कमला वर्मा के चिंताजनक स्थिति के बारे में पता चला तो तुरंत यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में डाला गया। 

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यमुनानगर जिला प्रशासन के आलाधिकारियों तथा स्वास्थ्य विभाग हरियाणा के डायरेक्टर जनरल को कमला वर्मा की चिकित्सा में हर मेडिसन और इंजेक्शन तुरंत उपलब्ध करवाने के आदेश दिए। हरियाणा स्वास्थ्य विभाग की महानिदेशक डॉ वीणा सिंह मंगलवार को यमुनानगर निजी अस्पताल में भी पहुंची, जहां उन्होंने कमला वर्मा का हाल-चाल जाना व तमाम चिकित्सा अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि कमला वर्मा के इलाज में किसी भी प्रकार की चूक नहीं होनी चाहिए। जिन इंजेक्शनों की कमी बताई जा रही थी। वह भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध करवा दिए गए।

विनोद मेहता ने बताया कि डॉ कमला वर्मा तीन बार प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रही। वह प्रदेश की दिग्गज नेता है। हरियाणा के मुख्यमंत्री, सरकार व पूरा प्रशासन उनका व उनके परिवार का सम्मान करता है। वह प्रदेश सरकार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय जनता पार्टी को संगठित और मजबूत करने में उनकी क्रांतिकारी भूमिका रही है। डॉ कमला सरीखे नेताओं के कारण आज प्रदेश ही नहीं देश में भी भारतीय जनता पार्टी सत्ता पर आसीन है। इसलिए उनका योगदान कतई अनदेखा नहीं किया जा सकता। कमला वर्मा का परिवार अगर चाहे तो हरियाणा सरकार उन्हें तुरंत कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल में इलाज के लिए शिफ्ट कर सकती है।

मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल मीडिया एडवाइजर विनोद मेहता ने ट्वीट करके दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि खरगोश और कछुए की कहानी हम सबने सुनी और पढ़ी है। कथित कछुए वाली रफ्तार से हरियाणा सरकार हर तीसरे आदमी को वैक्सीनेट कर चुकी है। वहीं खरगोश की रफ्तार का दम भरने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अगर दिल्ली की आबादी के हर पांचवें व्यक्ति को भी वैक्सीनेट करने में सफल रहे हो तो बताएं।

उल्लेखनीय है कि भाजपा गठन के बाद वह प्रदेश की पहली अध्यक्ष उस समय बनी जब प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का अस्तित्व न के बराबर था। लंबे और बेदाग राजनीतिक कैरियर में उन्होंने कभी भी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया। उन्होंने हमेशा अपने बच्चों को राजनीति से दूर रखा। डॉ कमला ने न केवल हरियाणा बल्कि जम्मू कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों में जाकर भाजपा के लिए काम किया। प्रदेश में वह तीन बार महत्वपूर्ण विभागों की मंत्री रही। 92 साल की महान शख्सियत पूरी उम्र संघर्षों से जूझती रही और आज भी वह सबसे बड़े संघर्ष जीवन-मृत्यु से संघर्ष कर रही है।

1977 में जीती थीं चुनाव, कैबिनेट मंत्री रह चुकीं, अब राजनीति से दूर
कमला वर्मा कैबिनेट मंत्री रही हैं। वहीं भाजपा की पहली महिला प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। आपातकाल के दौरान वे जेल भी गईं। 1977 में वे यमुनानगर से चुनाव जीती थी। तब उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। वहीं इसके अलावा दो बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। पिछले साल पीएम नरेंद्र मोदी ने उनसे संवाद किया था। हालांकि वे लंबे समय से राजनीति में सक्रिय नहीं हैं।

आपात काल मे 19 माह जेल रही थी कमला वर्माॉ
हरियाणा बीजेपी की पहली अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. कमला वर्मा ने एक बार बताया कि जब इमरजेंसी लगाई गई तब मैं ऑल इंडिया वर्किंग कमिटी की सदस्य थी, मैं राजनीति में तो सक्रिय थी, लेकिन इमरजेंसी जैसे हालातों के लिए नई थी। तब मैंने सोचा कि इमरजेंसी के विरोध में एक मार्च निकालना चाहिए, लेकिन तब एक बुजुर्ग व्यक्ति ने मुझसे कहा कि तुम्हें पता भी है इमरजेंसी का मतलब क्या होता है? इसका मतलब है कि लोग सरकार के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोल सकते। 

वह कहती हैं मैं दो दिनों के लिए एक दोस्त के घर अंडरग्राउंड हो गई। मैंने 27 दिसंबर को घर लौटने का फ़ैसला किया और देखा कि सीआईडी के अधिकारी मेरे घर के आसपास मौजूद थे। वो पूरे दिनभर घर के आसपास घूमते रहे और रात को 7 बजे करीब घर में जबरदस्ती आ गए। वह दिन में गिरफ़्तारी करने से बचते थे ताकि कोई हंगामा न खड़ा हो जाए।  मेरे पति को भी गिरफ्तार किया गया., वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे। पुलिस ने कहा कि वो मेरे पति को थोड़ी पूछताछ के बाद छोड़ देंगे, लेकिन उन्हें 8 महीने बाद छोड़ा। 

कमला वर्मा को अलग-अलग जेलों में ले जाया गया। वह कहती हैं हमें पहले युमनानगर पुलिस थाने ले जाया गया। अगले दिन अंबाला जेल लेकर गए। पुलिस बार-बार मुझे एक जेल से दूसरी में भेजती रही। मुझे करनाल, हिसार और रोहतक भी भेजा गया। करनाल सबसे बुरी जेल थी. वहां बहुत चूहे थे जिन्होंने मेरा तौलिया, पेन और किताबें ख़राब कर दीं।

गृह विभाग में मेरी शिकायत पर मुझे अंबाला जेल भेजा गया। मैंने नौ महीनों से अपने परिवार को नहीं देखा था और न उनकी कोई जानकारी थी। मुझे पता चला कि मेरे बेटे ने कई बार मुझसे मिलने की कोशिश की, लेकिन उसे मना कर दिया गया। डॉ. कमला ने बताया था कि जेल में मुझे स्पांडेलाइटिस हो गया था और तब मुझे रोहतक में एक अस्पताल में एडमिट किया गया। जब मैं 19 महीनों बाद घर लौटी तो लोग मुझसे बात करने से भी डरते थे। मुझे लगता है कि इमरजेंसी ने लोकतंत्र के लिए ख़तरा पैदा कर दिया था।  

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Content Writer

vinod kumar

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