किसानों को ''भ्रमजाल'' से बाहर निकालने के लिए सीएम खट्टर की नई ''कवायद!

12/19/2020 6:56:01 PM

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए 3 कृषि कानूनों को लेकर बेशक प्रदेश की सीमाओं पर किसानों ने घेराव किया हुआ है और पिछले 24 दिन से उनका आंदोलन जारी है। इस आंदोलन के चलते प्रदेश में सियासी पारा भी काफी उफान पर है। मसलन सर्द मौसम में भी राजनीति पूरी तरीके से इस कदर गर्माई हुई है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से लेकर भाजपा के साथ साथ उनके सत्ता में सहयोगी दल जजपा भी पूरी तरह से निशाने पर हैं मगर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर विपक्षीदलों द्वारा कृषि बिलों के संदर्भ में बनाए जा रहे माहौल के 'भ्रमजाल’ को तोडऩे के लिए अब नया प्रयोग करने जा रहे हैं। 

सीएम खट्टर 20 दिसम्बर को नारनौल में एक किसान रैली करने जा रहे हैं और इस रैली के जरिए वे जहां प्रदेश सरकार की ओर किसानों को दी जा रही सुविधाओं से अवगत करवाएंगे तो वहीं कृषि बिलों के संदर्भ में भी किसानों को 'संदेश’ देकर उन्हें भ्रम के जाल से निकालने का प्रयास करेेंगे। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा वाकई यह एक बड़ा कदम है कि जिस वक्त किसान केंद्र सरकार के खिलाफ आर-पार की स्थिति में आंदोलन किए हुए हैं और उसी दौर में ही हरियाणा में सी.एम. खट्टर किसान रैली करेंगे। 

पर्यवेक्षकों के अनुसार प्रदेश की सियासत में प्रयोगधर्मी की पहचान बनाने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का यह प्रयोग कहीं न कहीं लक्ष्य को भेदने में कामयाब हो सकता है क्योंकि इस रैली का मुख्य मकसद ही किसानों की भ्रांतियों को दूर करना और उन्हें दी जा रही सुविधाओं से अवगत करवाना है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत प्रदेश में धान का रकबा घटाने के लिए सरकार की ओर से एक योजना का प्रारुप खींचा गया था तब भी किसानों में भ्रम की स्थिति बन गई थी मगर मुख्यमंत्री खट्टर ने फील्ड में उतर कर किसानों से सीधा संवाद कर इस योजना की प्रासंगिकता समझाई और परिणाम ये हुआ कि किसान खुद ही अपने स्तर पर धान का रकबा घटाने और योजना का लाभ लेने के लिए आगे आए। 

पर्यवेक्षकों के अनुसार ऐसे में इस किसान रैली को भी इस नजरिए से समझा जा सकता है कि किसानों से सीधा संवाद होने और इस मामले में सरकार द्वारा अपनी स्थिति साफ करने से कमोबेश किसानों का गुस्सा ठंडा करने का प्रयास किया जा सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अपनी इस बात पर अब भी अडिग़ हैं कि वे किसानों की उपज किसी भी हालत में एमएसपी से कम पर नहीं खरीदी जाएगी।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन कृषि बिलों को लेकर हरियाणा, पंजाब, यूपी व राजस्थान के किसानों का गुस्सा भड़का हुआ है और वे निरंतर इन बिलों को किसान विरोधी बताते हुए दिल्ली से सटी हरियाणा की सीमाओं पर धरना दिए हुए हैं। उनका यह धरना शुक्रवार को 24वें दिन में प्रवेश कर चुका है। किसान केंद्र सरकार के खिलाफ सीधे रूप से टकराव के मूड में हैं और ये किसान निरंतर इसी बात का मुद्दा बनाए हुए हैं कि यदि केंद्र ने ये तीनों कानून वापस नहीं लिए तो वे हर स्थिति से निपटने को तैयार हैं। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से लगातार किसानों को समझाने का प्रयास भी किया जा रहा है मगर स्थिति फिलहाल जस की तस है। अब देखना यही होगा कि हरियाणा के नारनौल में 20 दिसम्बर रविवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा आयोजित किसान रैली को लेकर किसानों का नजरिया क्या रहता है?

इसलिए किया जा रहा यह प्रयोग
दरअसल, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक प्रयोगधर्मी हैं और उनके तमाम प्रयोग अब तक हरियाणा की राजनीति में काफी सार्थक साबित हुए हैं। केंद्र सरकार की ओर से अपने स्तर पर इस आंदोलन को खत्म करने के लिए किसान संगठनों से कई दौर की वार्ताएं भी की जा चुकी हैं। इसके अलावा अब केंद्र सरकार ने कुछ प्रभावी मंत्रियों को भी किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से संवाद करने का जिम्मा लगाया हुआ है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर भी लगातार किसानों को समझाने का प्रयास करते दिख रहे हैं और उन्होंने ट्वीट के जरिए भी किसानों से आग्रह करते हुए इन तीन कृषि बिलों के संदर्भ में तथ्य सहित अपनी बात भी रखी है। 

इसी कड़ी में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार 20 दिसम्बर को किसान रैली करने का निर्णय लिया है ताकि मंच के जरिए सीधे रूप से किसानों से मुखातिब होकर उनकी भ्रांति को मिटाया व समझाया जा सके। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार हालांकि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर इस दिशा में अनेक बार किसानों को यह बता चुके हैं कि वे एमएसपी को खत्म नहीं कर रहे और उनकी उपज एमएसपी के आधार पर ही खरीदी जाएगी। इसके अलावा उन्होंने आंदोलन पर बैठे किसानों को सुविधाएं देकर अपनी मानवीय संवेदनाओं को जाहिर किया है। उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा इन किसानों की सुविधा के लिए चिकित्सकों की तैनाती के साथ साथ शौच, सफाई, पेयजल व रोशनी आदि की व्यवस्था भी आंदोलन स्थल पर करवाई गई है।

ट्वीट पर ऐसे किया सीएम खट्टर ने रिट्वीट
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट की जिसमें कहा कि 'जिन लोगों की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है, वे लोग पूरी तरह से यह काल्पनिक झूठ फैला रहे हैं कि किसानों की जमीन छीन ली जाएगी। जब किसान और व्यापारी के बीच एग्रीमेंट सिर्फ उपज का होगा तो जमीन कैसे चली जाएगी? नए कानून में साफ उल्लेख है कि जमीन पर किसान का ही मालिकाना हक रहेगा।’ 

इसके अलावा तोमर ने एमएसपी को लेकर भी साफ किया है कि नए कृषि सुधार कानून लागू होने के बाद इस बार भी सरकारी खरीद एमएसपी पर ही की गई है, हम जहां एमएसपी खरीद का रिकार्ड बना रहे हैं तो वहीं खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ा रहे हैं, मगर कुछ लोग किसानों से झूठ बोल रहे हैं कि एमएसपी बंद कर दी जाएगी, इसलिए राजनीति स्वार्थ से प्रेरित ऐसे लोगों द्वारा फैलाए जा रहे सफेद झूठ को पहचानें और सिरे से खारिज करें। कृषि मंत्री के इन ट्वीट्स को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रि-ट्वीट करते हुए एक पोस्ट शेयर की जिसमें लिखा हुआ है कि 'किसानों के हित में उठाए कदमों व निर्णयों की जानकारी पहुंचाने के लिए किसान रैली को संबोधित करुंगा।’

Shivam