जल विवाद पर मीटिंग के बाद CM मान का बड़ा बयान, बोले- SYL की बजाए YSL बनाए हरियाणा सरकार

1/4/2023 5:38:12 PM

दिल्ली(कमल कंसल):  सतलुज-यमुना लिंक विवाद को लेकर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों के बीच बुधवार को हुई बैठक एक बार फिर बेनतीजा रही। केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मध्यस्ता में हुई बैठक में जल विवाद को सुलझाने के लिए कोई सहमति नहीं बन पाई। बता दें कि यह बैठक इसलिए भी बेहद खास है, क्योंकि 19 जनवरी को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई होगी और दोनों राज्यों को अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी। बैठक के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब सरकार सीमाओं को तोड़कर हरियाणा को पानी नहीं दे रही है। वहीं सीएम मान ने कहा कि पंजाब में पहले ही पानी का संकट है। उन्होंने कहा कि हरियाणा को एसवाईएल बनाने की बजाए वाईएसएल बनाकर यमुना का पानी सतलुज को देना चाहिए। 

 

 

मान बोले- सतलुज को मिले यमुना का पानी

 

भगवंत मान ने कहा कि पंजाब के 150 में से 117 ब्लॉक पानी की कमी के चलते डार्क जोन में आ गए हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब में नहरी सिस्टम लगभग खत्म हो चुका है। धरती में भी जलस्तर लगातार घट रहा है। मान ने कहा कि केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को नहरी सिस्टम के विस्तार के लिए कोई मदद नहीं दी। उल्टा पंजाब से पानी मांगा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब में एक किलो चावल उगाने के लिए 3800 लीटर पानी इस्तेमाल होता है। इसलिए सरकार को पंजाब को फंड देने चाहिए, ताकि नहरी सिस्टम को मजबूत कर भू-जल को बचाया जा सके। इसी के साथ उन्होंने एसवाईएल विवाद को सुलझाने के लिए एक सुझाव भी दिया। सीएम मान ने कहा कि एसवाईएल की बजाए वाईएसएल बनाकर यमुना का पानी सतलुज को देना चाहिए। इससे हरियाणा के किसानों को भी फायदा होगा और सूख चुकी सतलुज को बचाने में भी सहयोग मिलेगा। अंत में उन्होंने कहा कि जो चीज हमारे पास है ही नहीं वो हम किसी को कैसे दें। 

 

 

मनोहर लाल ने पंजाब सरकार पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश न मानने का लगाया आरोप

 

पंजाब के मुख्यमंत्री के साथ बैठक बेनतीजा रहने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आज दोनों राज्यों के बीच तीसरी बैठक हुई है। उन्होंने कहा कि आज भी इस बैठक में एसवाईएल को लेकर कोई समाधान नहीं हो पाया है। मनोहर लाल ने बताया कि पंजाब के मुुख्यमंत्री और उनके अधिकारी अभी भी अपने उस एक्ट पर डटे हुए हैं, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है। वहीं एसवाईएल की बजाए वाईएसएल बनाकर सतलुज को यमुना का पानी देने के मान के सुझाव पर सीएम खट्टर ने कहा कि जब दोनों राज्यों के बीच पानी का बंटवारा हुआ था, तब उसमें यमुना को भी शामिल किया गया था। वहीं पंजाब के अधिकतर एरिया डार्क जोन में शामिल होने के मान के दावे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा की हालत भी काफी खराब है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भी पानी की भारी कमी है। उन्होंने कहा कि यहां विवाद पानी के बंटवारे का नहीं है, बल्कि एसवाईएल के बनने का है। 

 

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद पंजाब ने नहीं किया एसवाईएल का निर्माण

 

गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के दो फैसलों के बावजूद पंजाब ने एसवाईएल का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को लागू करने की बजाए पंजाब ने साल 2004 में समझौता निरस्तीकरण अधिनियम बनाकर इनके क्रियान्वयन में रोड़ा अटकाने का प्रयास किया। बता दें कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधान के अंतर्गत भारत सरकार के 24 मार्च, 1976 को जारी आदेश के अनुसार हरियाणा को रावी-ब्यास के फालतू पानी में से 3.5 एमएएफ जल का आबंटन किया गया था।

 

 

एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न होने की वजह से हरियाणा केवल 1.62 एमएएफ पानी का इस्तेमाल कर रहा है। पंजाब अपने क्षेत्र में एसवाईएल कैनाल का निर्माण कार्य पूरा न करके हरियाणा के हिस्से के लगभग 1.9 एमएएफ जल का गैर-कानूनी ढंग से उपयोग कर रहा है।

 

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Content Writer

Gourav Chouhan