जल बचाने को लेकर CM के मनोहर प्रयास लाए रंग, इस योजना तहत किसानों ने दिखाई रुचि

6/20/2020 1:27:56 PM

हरियाणा में गिरते भूजल स्तर को रोकने की दिशा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की ओर से की गई पहलकदमी के अब सार्थक नतीजे सामने आने लगे हैं। सरकार की ओर से शुरू की गई ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना के अंतर्गत शुक्रवार तक 78 हजार 226 किसानों ने 79,791 हैक्टेयर रकबे में धान की बजाय दूसरी फसलें लगाने का फैसला लिया है। किसानों ने धान की बजाय मक्का,नरमा, अरहर, बागवानी, मूंग, उड़द व बाजरा जैसी फसलों को अपनाया है। कृषि विभाग के अनुसार जींद में सबसे अधिक 7,840 किसानों ने 9,254 हैक्टेयर में जबकि महेंद्रगढ़ में सबसे कम 81 किसानों ने 90 हैक्टेयर में धान की बजाय अन्य फसल बोने को लेकर आवेदन किया है।

पर्यावरणविद मानते हैं कि गिरते भूजल स्तर पर हरियाणा में पहली बार इस तरह के सार्थक प्रयासों का लाभ निश्चित तौर पर वर्तमान में मिलने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को भी मिलेगा। सरकार की ओर से 9 मई को गिरते भूजल स्तर पर अंकुश लगाने के लिए ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना लागू कर 1 लाख हैक्टेयर धान का रकबा कम करने का लक्ष्य रखा गया था। हरियाणा में 8 खंड रतिया, सिरसा, सीवन, गुहला, पिपली, शाहबाद, बाबैन व इस्माइलाबाद, जहां भूजल स्तर 40 मीटर व इससे अधिक है, वहां पर किसानों को धान की बजाय दूसरी फसल बोने पर प्रति एकड़ 7 हजार रुपए का अनुदान देने का प्रावधान योजना में किया गया। 

मुख्यमंत्री के आह्वान पर 8 खंडों में किसानों ने योजना के प्रति दिखाई रुचि
इन 8 खंडों में 8,856 किसानों ने 9,042 हैक्टेयर में धान की बजाय दूसरी फसल बोने के लिए पहल की है। बाबैन में 902, गुहला में 817 किसानों, इस्माइलाबाद में 483, पिपली में 696, रतिया में 1,174, शाहबाद में 654, सिरसा में 3,728 व सीवन में 404 किसानों ने धान की जगह दूसरी फसल लगाने को लेकर आवेदन किया है। शुरूआती दौर में किसानों ने इस योजना का विरोध किया और विपक्ष ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरा। इसके बाद मुख्यमंत्री खुद एक्शन मोड में आए। उन्होंने सभी 8 खंडों में जाकर किसानों के साथ संवाद किया। उन्होंने किसानों की भ्रांतियों को दूर किया और उनकी समस्याओं को जाना व उनसे सुझाव मांगे। इसके अलावा योजना को कामयाब बनाने के मकसद से सरकार ने मेवात, गुरुग्राम, रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ को छोड़कर शेष 18 जिलों में अफसरों की ड्यूटी लगाई। मुख्यमंत्री के ये प्रयास अब रंग लाए हैं। 

8 खंडों में है स्थिति चिंतनीय
हरियाणा में धान की खेती जलसंकट पैदा कर रही है। फतेहाबाद के रतिया खंड में 41.60 मीटर पर भूजल उपलब्ध है और यहां करीब 41,136 हैक्टेयर में पिछली बार धान का रकबा था। कैथल जिला के सीवन में 49.88 मीटर पर भूजल उपलब्ध है और यहां पिछली बार 10 हजार 678 हैक्टेयर में धान का एरिया था। गुहला में 41.38 मीटर पर भूजल है और यहां पिछली बार 41,259 धान का रकबा था। कुरुक्षेत्र के पिपली में पिछली बार 12 हजार 854 हैक्टेयर, शाहबाद में 18 हजार 950 हैक्टेयर,बाबैन में 8,327 हैक्टेयर,इस्माइलाबाद में 16 हजार 246 हैक्टेयर व सिरसा में 30,501 हैक्टेयर में धान का रकबा था। सिरसा खंड में 47.13 मीटर पर भूजल उपलब्ध है। इसके अलावा थानेसर, पिहोवा, फतेहाबाद व जाखल में पिछली बार 3,136 हैक्टेयर पंचायती जमीन पर धान बोया गया था।
 

Edited By

Manisha rana