इन ''कोड वर्ड'' के जरिए हुई थी पंचकूला में हिंसा, SIT की जांच रिपोर्ट से हुआ खुलासा

12/21/2017 10:16:57 AM

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): डेरा मुखी गुरमीत सिंह को पुलिस कस्टडी से छुड़ाने की पूरी प्लानिंग की गई थी। दंगे करवाने के लिए बाकायदा रुपए बांटे गए, डेरे अनुयायियों को हथियारों सहित जुटने के आदेश जारी हुए थे। डेरा पदाधिकारियों व अनुयायियों में टैलीफोन पर भी सावधानी से बात होती थी व कोडेड शब्दों का इस्तेमाल हुआ था। हिंसा फैलाने के लिए कोडेड भाषा के रूप में डेरा पदाधिकारियों व अनुयायियों के बीच पौधारोपण, टमाटर फोड़ना व झाड़ू किस तरफ निकालनी है जैसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ था। 

यह अहम जानकारी ए.डी.जी.पी. (क्राइम) पी.के. अग्रवाल के एफिडेविट में सामने आई है। पंचकूला में हुई हिंसक घटनाओं के बारे में कहा गया कि डेरा सच्चा सौदा के बड़े पदाधिकारी इस सुनियोजित साजिश के पीछे थे। पकड़े गए आरोपियों से साजिश के एंगल पर पूछताछ की गई थी। पता चला कि डेरा अनुयायियों को पंचकूला सहित सिरसा में डंडों, पत्थरों, पैट्रोल बम व हथियारों सहित जुटने के आदेश मिले थे। यही नहीं डेराप्रेमियों को बताया गया था कि पंचकूला में हथियारों समेत जुटना है व यदि डेरा प्रमुख के खिलाफ फैसला आया तो हिंसा पैदा करनी है। वहीं गुरमीत राम रहीम को छुड़ाने की भी साजिश थी। पंचकूला में दर्ज केसों में 4 एके 47, 159 कारतूस, 5 पिस्टल व 102 कारतूस, 1 रिवाल्वर व 10 कारतूस, 2 राइफलें व 28 कारतूस एवं 2 माऊजर व 67 कारतूस बरामद किए हैं।

इस तरह थी संरचना, डेरा प्रमुख को सलाह देते थे पदाधिकारी
पुलिस के मुताबिक पूछताछ रिपोर्ट्स व साक्ष्यों से पता चला है कि डेरे की श्रेणीबद्ध संरचना है जिसके हैड डेरा चीफ हैं। उनके नीचे पदाधिकारियों में हनीप्रीत, विपासना, डा. पृथ्वीराज नैन, डा. आदित्य, गुरदत, राकेश, प्रवीण उर्फ गोबी राम, पवन इंसा आदि शामिल हैं। यह सभी डेरा चीफ को डेरे के इंस्टीच्यूशन मसल हॉस्पिटल, शिक्षण संस्थान, फिल्म, थिएटर, रिक्रिएशनल रिसोर्ट, डेरा फाइनांस, निवेश व धार्मिक समागमों आदि के मामलों में सलाह देते थे। इसके अलावा राज्य स्तर पर डेरा प्रबंधन को लेकर राज्य स्तरीय प्रबंधन कमेटी बनाई गई थी जिसमें आमतौर पर 45 मैंबर्स थे।

इस तरह रची थी साजिश
खत्री लाल को भीड़ जुटाने व राशन की जिम्मेदारी थी। डेरा प्रमुख को छुड़ाने की जिम्मेदारी प्राइवेट पी.एस.ओ. प्रीतम सिंह, पी.ए. राकेश, ड्राइवर फूल सिंह व पंजाब पुलिस के पी.एस.ओ. कर्मजीत की थी। पी.ए. राकेश के जरिये चमकौर सिंह व अन्यों को हनीप्रीत ने 1.25 करोड़ की रकम दी थी। इसके अलावा डा. आदित्य इंसा, डा. पवन इंसा व नवीन को 25 लाख रुपए एवं राम सिंह चेयरमैन को 18 लाख रुपए इस मकसद के लिए पकड़ाए गए थे। 25 अगस्त को आदित्य इंसा, सुरिंद्र धीमान, गोबिंद, मोहिंद्र व पवन इंसा के बीच हैफेड चौक पर मीटिंग हुई थी। इन्होंने अनुयायियों को हिंसा फैलाने के लिए भी भड़काया था। पुलिस ने चमकौर सिंह से 25 लाख बरामद किए थे। राकेश से 51 लाख रुपए का अथॉरिटी लैटर व पवन इंसा से 87 हजार रुपए व अन्य दस्तावेज बरामद हुए थे। यही नहीं सुनारिया जेल में गुरमीत राम रहीम को भी जांच में शामिल किया गया था।

कुर्बानी गैंग अम्बाला में बना: एस.आई.टी.
कुर्बानी गैंग के अस्तित्व का पता लगाने के बारे में बताया गया कि करनाल में विश्वास गुप्ता नामक व्यक्ति की शिकायत पर अज्ञात लोगों को धमकाने का केस दर्ज किया था। विश्वास गुप्ता ने कुर्बानी गैंग से अपनी जान का खतरा बताया था। पुलिस ने रिपोर्ट में कहा कि कथित रूप से जारी धमकी भरे पत्रों की जांच के लिए 65 लोगों से पूछताछ की गई थी। हालांकि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है और जांच जारी है। कहा गया कि अम्बाला के बराड़ा थाने में 26 अगस्त को दर्ज केस की जांच में पता चला कि कुर्बानी गैंग अम्बाला में बना था। गैंग से जुड़े 12 लोगों से इसका खुलासा हुआ। धुराला के जोगिंद्र सिंह व कुरुक्षेत्र के संदीप के आग्रह पर यह गैंग बना था। इन्होंने डेरा प्रेमियों से पैसे लेकर नामचर्चा में विस्फोटक व हथियार जमा किया हुआ था। 52 लाख रुपए एवं दंगा फैलाने के लिए आपत्तिजनक सामान बरामद हुआ था। वहीं पता लगा कि कुछ लोगों के नाम डेरे की मीटिंग में बुलाए गए थे जो डेरा प्रमुख के लिए अपनी कुर्बानी देने को तैयार थे।