'कुछ विभीषणों के कारण कांग्रेस की सरकार बनते-बनते रह गई...' कांग्रेस नेता प्रदीप नरवाल ने खोला राज
punjabkesari.in Saturday, Aug 02, 2025 - 09:38 PM (IST)

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : जेजेपी के सुप्रीमो दुष्यंत चौटाला को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सह सचिव प्रदीप नरवाल ने अपनी पार्टी में सुधार की नसीहत देते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि दुष्यंत चौटाला द्वारा कांग्रेस को लेकर एक बयान दिया गया, जबकि उन्हें पता होना चाहिए कांग्रेस सूबे की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि जेजेपी के केवल हालात खराब ही नहीं बल्कि वह हाशिए पर है। दुष्यंत चौटाला को अपनी पार्टी पर ध्यान देना चाहिए, हमारी कांग्रेस को हम स्वयं संभाल लेंगे।
दीपेंद्र हुड्डा ने जिस प्रकार से कांग्रेस को पूरे प्रदेश में मजबूती से चुनाव लड़ाया, हम सभी उनके नेतृत्व में उनके मार्गदर्शन में चुनाव लड़े, कई बार बेशक सरकार नहीं बन पाती, लेकिन मैं नहीं मानता कि दुष्यंत को कोई अधिकार है कि वह कांग्रेस पर टिप्पणी करे। हम मुख्य विपक्षी दल हैं जबकि उनकी पार्टी जेजेपी व इनेलो हाशिए पर है। हरियाणा की जनता को कल भी कांग्रेस पर उम्मीद थी और गरीब मजदूर की हम लड़ाई लड़ रहे हैं और इसी के दम पर ही कांग्रेस आगे जीतेगी। कुछ विभीषणों के कारण हमारी सरकार बनते बनते रह गई। हम भविष्य में सीख लेकर जनता की लड़ाई मजबूती से लड़ेंगे और सरकार बनाएंगे।
कांग्रेस मेरी मां है : नरवाल
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रदीप नरवाल ने कांग्रेस की आगामी रणनीति को लेकर कहा कि हमारे नेता राहुल गांधी गरीब मजदूर की लड़ाई लड़ रहे हैं। हर व्यक्ति तक पहुंच रहे हैं। लोहार, कुम्हार, मोची, नाई सभी वर्गों से मिल उनके दुख और परेशानियों को जान रहे हैं। प्रियंका गांधी भी लगातार जनता की आवाज बन रही है। हमारा काम सामाजिक परिवर्तन लाना, किसान की एमएसपी और मुआवजा कोई ना मारे, दलित मजदूर का हक कोई छीन ना सके, व्यापारियों को कोई तंग ना कर सके यह लड़ाई हम लगातार लड़ रहे हैं और लड़ते रहेंगे। लोहिया जी ने कहा था जब सड़के सुनसान हो जाती हैं तो संसद आवारा हो जाती है। हम सड़कों को सुनसान नहीं होने देंगे ताकि संसद आवारा ना हो सके। कांग्रेस पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है। कांग्रेस मेरी मां है और हम लगातार युवाओं को इकट्ठा कर रहे हैं और प्रदेश के सभी साथियों को जोड़कर मजबूत लड़ाई लड़ेंगे ताकि एक बड़ा परिवर्तन हमारी सत्ता में आ सके। सत्ता आने की बहुत अधिक लालसा नहीं थी और अब जाने का कोई दुख भी नहीं है।
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