हरियाणा में कांग्रेस के संगठन का प्रारूप अगले 2 माह का में बनाने का प्रयास: विवेक बंसल

2/10/2021 11:49:05 AM

चंडीगढ़(धरणी): लंबे समय से गुटबाजी का शिकार, कई धड़ों में बंटी कांग्रेस में प्रदेश स्तरीय कई बड़े बदलाव करने के बावजूद अभी तक इसके संगठित होने जैसी कोई बात नजर नहीं आ रही। आज पंजाब केसरी ने हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल से खास बातचीत की। जिसमें उनकी बातों से महसूस हुआ कि वह भी कहीं ना कहीं गुटबाजी का शिकार बन रहे हैं। क्योंकि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा विधायकों के साथ राजभवन कुछ करने के सवाल पर उन्होंने यह स्वीकार किया कि उन्हें यह सूचना अल्प समय में दी गई थी। जिसके कारण वह नहीं पहुंच पाए। उन्होंने इस संगठन में कई बदलावों के संकेत तो दिए। लेकिन इस प्रकार की बातें सभी हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष करते आए हैं। उनसे और भी काफी बातें हुई। जिस के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-


प्रशन:- हरियाणा कांग्रेस की फूट-गुटबाजी लंबे समय से चली आ रही है। कब तक संगठन का प्रारूप देखने को मिलेगा ?
उत्तर:-
हम लोग इसमें इतनी जल्दबाजी नहीं दिखा रहे हैं कि नियुक्ति गलत हो जाए। इसके लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। यह हमारे लिए प्राथमिकता का विषय है। संगठन के बिना कोई लड़ाई नहीं जीती जा सकती। आप यह मान कर चली कि बहुत जल्द आपको बहुत अच्छा देखने को मिलेगा। अच्छी कार्यकारिणी गठित की जाएगी। संगठन के अच्छे सेनापति जिलेवार नियुक्त होंगे।

 प्रशन:- अशोक तंवर के प्रधान रहते भी संगठन नहीं बन पाया। कांग्रेस की स्थिति ऐसी क्यों है ?
 उत्तर:-
मुझे तो 5 महीने भी पूरे नहीं हुए। जिन चीजों को 10 वर्षों हमें प्राप्त नहीं किया गया। आप चाहते हैं कि मैं एकदम से जादू की छड़ी चला दूं और सब कुछ हो जाए। मुझे सब का सहयोग मिल रहा है। मैं इस बात को बार-बार कह रहा हूं कि प्रदेशस्तरीय-जनपद स्तरीय संगठन को मजबूत करना मेरी प्राथमिकता और अनिवार्यता है।

प्रशन:- संगठन का प्रारूप कब तक देखा जा सकेगा?
 उत्तर:-
हम इसके लिए काफी मेहनत कर रहे हैं। आप मान कर चलिए कि दो महीने में काफी कुछ देखने को मिल जाएगा।

प्रशन:- नेता प्रतिपक्ष ने विधायकों के साथ राजभवन कूच किया। लेकिन प्रदेशाध्यक्ष और आप दोनों ही नदारद थे ?
उत्तर:-
मुझे उन्होंने सूचना दी थी। मेरे पहले से ही कार्यक्रम थे। जिसके कारण मैं नहीं आ पाया। मुझे अल्पसमय में सूचना दी गई थी। मैंने संज्ञान में लाया है कि मुझे पहले से सूचना मिलेगी, तो हम कार्यक्रम में अवश्य उपस्थित होंगे।

 प्रशन:- कई दिग्गज कांग्रेस से दूर हो गए। क्या उनको मनाने की जद्दोजहद भी हो रही है ?
 उत्तर:-
संज्ञान लिया गया है। उसको कैसे करना है, क्या करना है अभी रोडमैप तैयार नहीं किया गया है।

प्रशन:- हरियाणा मे कांग्रेस चार-पांच बड़े चेहरे हुड्डा, सुरजेवाला, किरण चौधरी इत्यादि के इर्द-गिर्द घूमती रही। इन चीजों को कैसे संतुलित करेंगे ?
उत्तर:-
हम अच्छे कार्यकर्ताओं तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। मेरा हाल ही में करनाल-पानीपत-कुरुक्षेत्र जाने का यही कारण था कि जो लोग गुटबाजी का शिकार हुए हैं, जिनमें जज्बा है, जिस स्थान के वो हकदार हैं उन्हें मिलना चाहिए।

प्रशन:- हरियाणा के संगठन को मजबूत करने का आपके पास फार्मूला क्या है ?
उत्तर:-
जो निष्ठावान हो, जिनकी छवि अच्छी हो, जो संघर्ष कर सकते हो, जो जमीन से जुड़े हुए हो, ऐसे चेहरों को हम महत्व देने का प्रयास करेंगे।

प्रशन:- सोशल मीडिया के प्लेटफार्म को और सक्रिय करने की बात आप कर रहे हैं। इसका अहम कारण क्या है ?
उत्तर:-
सोशल मीडिया एक ऐसा तंत्र है जिसका आज के युग में बहुत बड़ा प्रभाव है और जनता खासतौर पर नौजवान इसके साथ 24 घंटे सलंगन में रहते हैं और युवाओं का एक विशेष महत्व होता है। उनमें जोश होता है,  उत्साह होता है और उनको अगर हम भ्रमित होने से रोक सके या उनको हम सही मुद्दों से, सही तत्वों से उनका साक्षात्कार कर सके तो यह राजनीति के लड़ाई के लिए बहुत सार्थक होगा।

 प्रशन:- बजट सेशन में कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाना चाहती है। क्या मानते हैं तैयारी पूरी है ?
उत्तर:-
तैयारी कर रहे हैं। जब तक सत्र बुलाया जाएगा। तब तक तैयारी पूर्ण हो जाएगी।

प्रशन:- सत्ता पक्ष के पास निर्दलीय-जेजेपी के विधायकों का साथ है तो अविश्वास प्रस्ताव कहां खड़ा हो पाएगा ?
उत्तर:-
मैं अभी इसे सार्वजनिक नहीं करूंगा। हमें विश्वास है कि हम जिस रास्ते चल रहे हैं, सफलता अवश्य मिलेगी।

प्रशन:- टेक्निकल ग्राउंड पर अगर पूछे कि यह सेंटर का, लोकसभा का, राज्यसभा का मुद्दा है तो हरियाणा विधानसभा में कैसे लाया जा सकता है ?
उत्तर:-
अविश्वास पारित करने के लिए जितने विधायक होने चाहिए, वह हमारे पास है और हम पहल कर रहे हैं।

प्रशन:- कृषि आंदोलन का आखिर कैसे निकलेगा आपको क्या लगता है ?
उत्तर:-
किसानों ने जो इन विगत दिनों में यातनाएं झेली, जो उन पर मुकदमे दर्ज किए गए, तुरंत प्रभाव से सरकार को वापस लेने चाहिए। सरकार को अपने अड़ियल रवैया के लिए माफी मांगने चाहिए। इन बिलों को वापिस लेकर दोबारा किसानों के साथ सलाह मशवरा कर, जिसमें विपक्ष को भी विश्वास में लिया जाए, हर क्षेत्र के किसानों के साथ संपर्क साधा जाए, राष्ट्रीय स्तर पर इस पर विचार विमर्श हो, इनके मंत्री हर प्रदेशों में जाएं, वहां की किसानों से वार्ता करें और फिर किसानों को सशक्त करने के लिए नए सिरे से नए प्रारूप के साथ जिससे किसान आत्मनिर्भर बन सके ऐसे कानून बनाए जाने चाहिए।

प्रशन:- लाल किले की घटना को लेकर आम जनता अभी तक दुखी है। आप क्या कहेंगे ? 
उत्तर:-
लाल किले की घटना को हर कोई दुर्भाग्यपूर्ण कहेगा। सरकार के अड़ियल रवैए और सरकार की साजिश ने यह संभव किया है कि ऐसा हुआ है।

Content Writer

Isha