5 साल से कांग्रेस संगठन को लगा रहा ‘जंग’

5/26/2019 7:57:02 AM

पानीपत: हरियाणा में लोकसभा की सभी 10 सीटों पर कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ी है। जिन 2 सीटों पर जीत के कयास लगाए जा रहे थे उन्हे भी कांग्रेस हार गई। विपक्षी दल भी कांग्रेस को 2 सीट आने की संभावना मान रहा था लेकिन कमजोर संगठन के कारण वह जमीनी लड़ाई हार गई। हालांकि रोहतक में कड़ा मुकाबला रहा तथा कम मार्जन से दीपेंद्र हुड्डा हार गए। यह पहला मौका था जब कांग्रेस की ब्लाक से लेकर प्रदेश स्तर की सभी इकाई मृत प्राय: है।

2014 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही पार्टी संगठन नहीं बना पाई,जिला और ब्लॉक कमेटियां भंग हैं। सब अपने आपको प्रधान मानकर चल रहे हैं। न कोई बैठक लेने वाला है तथा न ही कोई धरना-प्रदर्शन संयुक्त रूप से हुआ है। ऐसे में बूथों पर कांग्रेस की लड़ाई लडऩे वाला कोई नहीं था जिस कारण भाजपा के पन्ना प्रमुख सभी मतदाताओं से संपर्क साधते रहे तथा वोट डलवाने में कामयाब रहे जिसमें मोदी लहर का असर भी रहा।

एक दूसरे के विरोधी नेता की प्रकोष्ठ प्रमुख के रूप में नियुक्ति होती है तो दूसरे के समर्थक उसकी बैठकों में नहीं जाते। ऐसे में माना जा रहा है कि करारी हार के बाद अब हरियाणा कांग्रेस के संगठन में भी जल्द फेरबदल हो सकता है। 

गुटों में बंटी है कांग्रेस, बस में भी नहीं बन पाई ‘एकता’
2014 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही हरियाणा कांग्रेस 7 गुटों में बंटी हुई है जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा,प्रदेश अध्यक्ष डा.अशोक तंवर,पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद कुमारी शैलजा, राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुर्जेवाला, हजकां का कांग्रेस में विलय करने वाले कुलदीप बिश्नोई,विधायक दल की नेता किरण चौधरी व कैप्टन अजय यादव अपना अलग गुट बनाए हुए हैं। इनमें सभी के समर्थक एक दूसरे को पोस्टर व बैनर में भावी सी.एम. करार देते हैं।

एक दूसरे के खिलाफ जिलों में रैली करते हैं तथा नारेबाजी भी जारी रहती है। कांग्रेस आलाकमान ने बस में एकता का सफर भी करवाया लेकिन कुलदीप बिश्रोई ने साफ कह दिया था कि जहां राहुल गांधी होंगे वहां कुलदीप होंगे। मतलब उन्हें हरियाणा के नेताओं के नीचे काम करना पंसद नहीं। ऐसे में एकता के दावों की पोल वहीं खुल गई थी। 

kamal