नकल- पेपर लीकेज बिल से नहीं विल से रुकेगी :कुलदीप शर्मा

punjabkesari.in Saturday, Aug 28, 2021 - 05:24 PM (IST)

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा की भाजपा सरकार के 7 साल में अनेकों बार पेपर लीक हुए। विधानसभा में कमेटियां बनाई गई। बड़े कानून बनाए गए। लेकिन एक बार भी इस बात पर चर्चा नहीं हुई कि पेपर की सीक्रेसी का इंचार्ज कौन है ? क्योंकि सिक्रेसी के इंचार्ज चेयरमैन के खिलाफ सरकार कोई कार्यवाही नहीं करना चाहती।सरकार छोटे-मोटे लोगों को सजा देकर अगर हल निकालना चाहती है तो इससे कुछ नहीं होगा। यह बात पूर्व विधानसभा स्पीकर एवं कांग्रेस के कद्दावर नेता कुलदीप शर्मा ने कही है। उन्होंने कहा कि नकल- पेपर लीकेज और हेराफेरी बिल से नहीं बल्कि विल से रुकेगी। आज हरियाणा केे युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। हर विभाग में नौकरियां खाली पड़ी है। जो परीक्षाएंं हो भी रही है, सभी पेपर लीक हो जाते हैं। यह बच्चों के साथ बड़ा भद्दा मजाक हो रहा है। सरकार इन बच्चों के फार्मो के माध्यम से करोड़ों रुपए इकट्ठा करती है।

शर्मा ने कहा कि परिवार पहचान पत्र को सरकारी मान्यता देने की जो तैयारी चल रही है, लोगों का ध्यान बांटने के लिए भाजपा की मां आरएसएस ऐसा षड्यंत्र रचती है। यह सिर्फ सदन का समय खराब करने के लिए कानून में उलझाए रखना चाहते हैं। पहले भी राशन कार्ड में सारे परिवार के फोटो लगते हैं, क्या वह पहचान पत्र नहीं है ? सारे सरकारी दफ्तरों में आधार कार्ड भी जमा है। 10 माह से ज्यादा से आंदोलनरत किसान दिल्ली में बैठी सरकार के दरवाजे खटखटा रहे हैं। किसान ठंड, बरसात, गर्मी, मच्छरों में बैठकर बीमारियों का सामना करते हुए मोर्चे पर डटे हुए हैं। यह सरकार का किसान विरोधी रवैया है। यह तालिबान से बात करने के लिए तैयार हैं। लेकिन किसान से बात नहीं करना चाहते। 1893 में अंग्रेजी हुकूमत के अलोकतांत्रिक कानून जिसमें अंग्रेज किसी की भूमि ले लेते थे, कांग्रेस ने 2013 में भूमि अधिग्रहण का कानून बनाया। लेकिन इस सरकार ने उसे भी डायलूट कर दिया। इस सेंट्रल एक्ट में प्रदेश सरकार ने महत्वपूर्ण कंसेंट का क्लोज खत्म कर दिया।

कुलदीप शर्मा ने कहा कि 2026 में होने वाले परिसीमन में निश्चित तौर पर विधायकों की संख्या बढ़ेगी। इसलिए नई विधानसभा मॉडर्न टेक्नोलॉजी  से बननी चाहिए, मै इसका समर्थन करता हूं। हम विधानसभा अगर दूसरी जगह पर ले जाएं, जो प्रश्न चंडीगढ़ के दावे के साथ हमारा जुड़ा हुआ है हमे उसके परिपेक्ष में देखकर बात करनी चाहिए। कहीं हमारा इससे चंडीगढ़ पर दावा कमजोर ना हो जाए ?हमें इस बात की गंभीरता की तरफ ध्यान देना होगा। शर्मा ने कहा कि कई प्रदेशों का विभाजन हुआ है। सौराष्ट्र का हुआ तो राजधानी मुंबई और अहमदाबाद बनी। आंध्र प्रदेश-तेलंगाना का हुआ तो आंध्र प्रदेश को 10 दिन का समय मिला कि अपनी राजधानी हैदराबाद को छोड़कर अमरावती ले जाएं। लेकिन हरियाणा का मुद्दा अलग है। हरियाणा का पानी, हाई कोर्ट समेत कई ईशु हैं और यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट की शरण में जा चुके हैं। एसवाईएल का फैसला हरियाणा के हक में आ चुका है। मेरा मानना है कि इन सभी का समाधान होने के बाद ही अलग राजधानी बननी चाहिए। हमें हमारी टेरिटरी मिले। पानी मिले। इन मुद्दों की सेटलमेंट के बाद अलग राजधानी बनाएं। एक बहुत सुंदर मॉडर्न शहर बनाया जा सकता है। जिससे लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। हरियाणा का एक सुंदर चेहरा भी उभर कर सामने आएगा।

शर्मा ने कहा कि मैंने पार्लियामेंट चुनाव में एक बात कही थी कि करनाल प्रदेश की राजधानी होनी चाहिए। मैं चंडीगढ़ में पढ़ा हूं और आज भी रह रहा हूं। लेकिन हरियाणा की संस्कृति की झलक यहां देखने को नहीं मिलती। यहां हरियाणा के लोगों की सेंस आफ बिलॉन्गिंग डवेलप नहीं हो पाई। यहां पंजाब का कल्चर का प्रभाव ज्यादा है। हमें ऐसी परिस्थितियां बनानी चाहिए जिससे हम अपने कल्चर को भी पाले पोसें।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Isha

Recommended News

Related News

static