कोरोना वैक्सीन: दूसरे डोज वाले हो रहे परेशान, स्लॉट बुक करने में भी हो रही दिक्कतें

punjabkesari.in Friday, May 14, 2021 - 01:17 AM (IST)

रेवाड़ी/महेंद्रगढ़ (योगेंद्र सिंह) : 18 से 44उम्र के युवाओं को वैक्सीन लगाने का दौर शुरू होते ही वैक्सीन की डोज कम पडऩे लगीं हैं। कई जगह वैक्सीनेशन की रफ्तार स्लो हो गई तो कुछ जगह बंद होने की कगार पर पहुंच गई है। हालात यह है कि कई ऐसे लोग परेशान हो रहे हैं जिन्होंने पहली डोज लगवा ली लेकिन अब दूसरी डोज नहीं लगने से वह परेशान हो रहे हैं। इस समय रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ जिले के हालात यह है कि ऑन लाइन स्लॉट बुकिंग तक नहीं हो पा रही है। कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने आठ-दस दिन पहले रजिस्ट्रेशन कराया लेकिन अपॉइंटमेंट नहीं मिलने से वह वैक्सीन नहीं लगवा पा रहे हैं।  स्थिति यह है कि चंद मिनट में ही स्लॉट बुक हो रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस समय इसलिए परेशान हैं कि स्लॉट ओपन करते ही चंद मिनट में स्लॉट बुक हो जाते हैं। इतनी जल्दी स्लॉट बुकिंग से हैकर की बात भी सामने आने लगी है। हालांकि अब स्वास्थ्य विभाग स्लॉट ओपन के लिए एक तय समय कर रखा है। हालात यह है कि अब युवा स्लॉट बुक करने के लिए अपने से दूर सेंटर तक जाने को तैयार हैं। युवा व तकनीकी ज्ञान वाले तो फिर भी जैसे-तैसे स्लॉट बुककर पा रहे हैं लेकिन बुजुर्ग एवं स्मार्ट फोन व कंप्यूटर से दूरी बनाए रखने वाले लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

छह से आठ सप्ताह के बीच लगवा सकते हैं दूसरी डोज
पहली डोज लगवा चुके लोग अब दूसरी डोज लगवानेा वाले लोग इसलिए भ्रमित हो रहे कि टीका लगवाए उन्हें छह से सात सप्ताह का समय हो गया लेकिन वैक्सीन नहीं लग पा रही। यह स्थिति 18 से 44 उम्र के युवाओं को वैक्सीन लगाने से निर्मित हो रही है। वैक्सीन की डोज कम पडऩे लगी है, इसी के चलते वैक्सीनेशन का काम स्लो हो गया है। 

हालांकि चिकित्सक बताते हैं कि दूसरे डोज में देरी होने से कोई फर्क नहीं पडऩे वाला है। यदि संक्रमण हुआ तो भी पहला डोज बूस्टर डोज के रूप में ही काम करेगा। चिकित्सक कहते हैं कि वैक्सीन का असर पहले डोज के बाद से शुरू हो जाता है। कोवैक्सिजन के दो डोज के बीच में छह सप्ताह तो कोवीशील्ड के लिए आठ सप्ताह का समय होता है। इस समयावधि में लोग दूसरी डोज लगवा सकते हैं, इसके लिए परेशान होने की जरूरत नहीं।

संक्रमित व्यक्ति दो-तीन माह बाद ले सकते हैं डोज
चिकित्सक विश्वास यादव का कहना है कि ऐसे मरीज भी सामने आ रहे हैं जिन्हें पहली डोज लगी और उसके बाद वह संक्रमित हो गए। हालांकि जो दो सप्ताह बाद संक्रमित हुए उनकी रिकवरी बहुत तेजी से हुई है। संक्रमित मरीज को दूसरी डोज के पहले प्लाज्मा थैरपी या मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए दूसरी डोज के लिए उसे दो से तीन माह का गेप बनाना होगा लेकिन डोज लेना अवश्य है।
 

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Content Writer

Shivam

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