देश की सबसे भीषण आग त्रासदी के 24 बरस पूरे, कुछ यूं हुआ था हादसा

12/23/2019 3:41:13 PM

डबवाली(संदीप): सिस्टम की घोर नाकामी के चलते आज ही के दिन डबवाली के चौटाला रोड पर स्थित राजीव पैलेस में डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल के वाॢषकोत्सव में आग लगने से 442 लोगों की जलकर मौत हो गई। इस अग्निकांड में 150 लोग बुरी तरह से झुलसकर घायल हुए थे। 

अग्निकांड में झुलसने वाले लोग इस अग्निकांड का दंश आज भी झेल रहे हैं। इस अग्निकांड ने लोगों शारीरिक और मानसिक रूप से काफी गहरी चोट पहुंचाई। लोग आॢथक रूप से भी कमजोर हो गए। अग्निकांड पीड़ितों को डी.ए.वी. से मुआवजे की लम्बी लड़ाई देश के सुप्रीम कोर्ट तक जाकर लडऩी पड़ी। 



देश की सबसे भीषण आग त्रासदी को हुए आज 24 बरस पूरे हो गए हैं। लेकिन हर वर्ष जब भी ये तारीख नजदीक आती है तो पीड़ितों का दर्द ताजा हो जाता। जिन्होंने अपनों को इस अग्निकांड में खो दिया उनकी आंखें आज भी अपनों को याद कर नम हो आती हैं।  

दरअसल, 24 बरस पहले 23 दिसम्बर 1995 को डी.ए.वी. पब्लिक स्कूल राजीव पैलेस में अपना वाॢषकोत्सव मना रहा था। पैलेस में सिंथैटिक कपड़े का एक पंडाल बना हुआ था। इस पंडाल में उत्सव को देखने के लिए बड़ी संख्या में छोटे बच्चे, महिलाएं, पुरुष व बुजुर्ग लोग शामिल थे। बताया जाता है कि उत्सव के दौरान ठीक 1 बजकर 47 मिनट पर मैन गेट के पास शार्ट-सर्किट हुआ था। शार्ट-सर्किट की चिंगारी सिंथैटिक कपड़े से बने पंडाल पर जा गिरी।

कुछ यूं हुआ था हादसा मामला
चंद सैकेंड में ही इस चिंगारी ने एक विकराल रूप धारण कर लिया और पूरे पंडाल को अपनी जद में ले लिया। पंडाल में बैठे लोगों में जबरदस्त भगदड़ मच गई। आग लगा हुआ सिंथैटिक कपड़ा पंडाल में मौजूद लोगों पर आकर गिरता रहा। मात्र 6 मिनट में इस अग्निकांड ने 442 लोगों की जाने ले ली। मरने वालों में 258 मासूम बच्चे और 140 महिलाएं शामिल थीं। वहीं, करीब 150 लोग बुरी तरह से झुलस गए। पंडाल में चारों तरफ लाशों के ढेर लग गए थे। अग्निकांड पीड़ित बताते हैं कि मरने वालों की संख्या इसलिए भी अधिक बढ़ी क्योंकि मुख्य द्वार को कार्यक्रम शुरू होने के बाद बंद कर दिया गया था। जबकि स्टेज के पास एक छोटा गेट रखा गया था।



इसी गेट से कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के तौर पर आए तत्कालीन उपायुक्त एम.पी. बिदलान को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सुरक्षाकर्मी गेट को रोक कर खड़े हो गए थे। इस दौरान लोगों को बहार निकलने की और कोई जगह नहीं मिल पाई। लोग पंडाल में भीतर ही चीखने-पुकारने की आवाजें लगाते रहे। अधिकतर लोगों की मौत आग के धुएं से दम घुटने की वजह से भी हुई। हादसे के दौरान शहर में चारों तरफ चीख-पुकार की आवाजें आने लगी। अग्निकांड में मारे गए 442 लोगों के शवों को जब अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट ले जाया गया तो श्मशान घाट भी छोटा पड़ गया था। इतनी चिताओं को एक साथ जलता देख पूरे शहर ने मानों कि जैसे गम की चादर ओढ़ ली हो। अग्निकांड ने डबवाली पर अपना ऐसा कहर बरपाया कि उस समय 40 हजार की आबादी वाले इस छोटे से कस्बे में 442 मौतों ने एक झटके में 1 फीसदी आबादी कम कर दी थी। 

सरकारों से नाराज हैं अग्निकांड पीड़ित
अग्निकांड पीड़ितों अगर किसी के प्रति सबसे ज्यादा गुस्सा और नाराजगी है तो वह अब तक सत्ता में रही तमाम सरकारें हैं। अग्निकांड में झुलसकर अपने हाथ-पांव गंवाकर कई लोग विकलांग हो गए। इन लोगों के सामने पूरी जिंदगी के लिए रोजगार का संकट पैदा हो गया। लेकिन किसी भी सरकार ने इन पीड़ितों की मदद के लिए सुध नहीं ली। आज भी ये पीड़ित सरकारों से रोजगार की गुहार लगाते हैं। इसके अलावा अग्निकांड पीड़ितों को मुआवजे के लिए भी एक लम्बी लड़ाई अदालतों में डी.ए.वी. प्रशासन के खिलाफ लडऩी पड़ी।

 अग्निकांड पीड़ित बताते हैं कि उनसे वायदे तो बहुत बड़े-बड़े किए गए लेकिन आज तक किसी भी सरकार ने उनके लिए कुछ नहीं किया। अग्निकांड के समय देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने सभी अग्निकांड पीड़ितों को नौकरी देने का वायदा किया था, जोकि अभी तक पूरा नहीं हुआ है। अदालत के आदेश पर ही अग्निकांड पीड़ितों को मुआवजा और उपचार की सुविधा हासिल हो सकी। डी.ए.वी प्रशासन की और से हर बार मुआवजा देने में अड़ंगा डाला गया। 23 दिसम्बर की सुबह अग्निकांड स्मारक पर दोपहर 1 बजकर 47 मिनट पर मौन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा। 

Edited By

vinod kumar