कोर्ट के आदेश को ठेंगा, बिल्डर सोख रहे भूजल

2/20/2020 12:06:36 PM

गुडग़ांव (पी मार्कण्डेय) : नीति आयोग ने गुडग़ांव के डार्क जोन पर टिप्पणी किया था कि आज या कल बिना पानी का यह शहर बिक जाएगा। इस शहर की तुलना चैन्नई और कैपटाउन से की गई जो साल 2018 में जल विहीन बन चुके हैं। एनसीआर सहित गुडग़ांव भूजल के मामले में डार्क जोन घोषित किया जा चुका है, जहां किसी भी प्रकार के भूजल के दोहन पर रोक है तो वहीं टैंकर माफिया और बिल्डर बेखौफ हैं।

अरावली के पास स्थित गांव उल्लावास में टैंकर माफिया जहां बोरवेल से रोजाना पानी निकाल रहे हैं तो वहीं यहां पर बिल्डर भी नियमों को ठेंगा दिखाकर भूजल का प्रयोग बिल्डिंग निर्माण में कर रहा है। इस बारे में जिला उपायुक्त गुडग़ांव के यहां शिकायत भी दर्ज करा दी गई है। पर्यावरण से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि दो माह में दूसरी बार शिकायत दर्ज कराई गई है लेकिन मामला अब तक ठंढे बस्ते में पड़ा हुआ है। 

पिछली बार अवैध जलदोहन को लेकर शिकायत डीडीपीओ के यहां दर्ज कराई गई थी जिसमें कहा गया था कि उल्लावास के चार जगहों पर रोजाना अवैध तरीके से भूजल का दोहन किया जा रहा है। शिकायत के बाद डीडीपीओ ने अन्य अधिकारियों को यह मामला सौंप दिया था। लेकिन हैरत की बात है कि आज तक बोरवेल को न तो सील किया गया ना ही कोई कार्रवाई की गई है। पर्यावरण और अरावली से जुड़े मुददों पर कार्य करने वाले कार्यकर्ता कहते हैं कि इस बार उल्लावास के अलावा अन्य तीन जगहों की शिकायत जिला उपायुक्त को भेजी गई है। 

बिल्डर सोख रहा है भूजल :- जिला उपायुक्त को भेजी गई शिकायत में कहा गया है कि पीटल पैराडाईज अर्पाटमेंट का निर्माण किया जा रहा है जिसमें कि छह-सात टावरों में से चार टॉवर का निर्माण किया जा चुका है। इन टॉवरों के निर्माण के लिए पूरी तरह भूजल का प्रयोग किया जा रहा है। जिसके लिए बोरवेल लगाया गया है जिससे अनवरत भूजल का दोहन किया जा रहा है।टैंकर माफिया भी निकाल रहा पानी:-उल्लावास के पास ही अन्य दो जगहों पर टैंकर माफिया पानी निकाल कर व्यावसायिक प्रयोग कर रहा है। जहां से रोजाना 100 से अधिक टैंकर पानी भरा जा रहा है। दूसरा बोरवेल उल्लावास ग्राम पंचायत के कम्यूनिटी सेंटर के प्रयोग के लिए यहीं पर लगाया गया है। पर्यावरण कार्यकर्ता आरोप लगाते हैं कि यदि खोजबीन की जाए तो अन्य बोरवेल भी मिलेंगे। 

Isha