चाइनीज इलैक्ट्रॉनिक लडिय़ों का क्रेज घटा, मिट्टी निर्मित दीयों की बिक्री बढ़ी

10/27/2019 1:17:12 PM

रतिया (शैलेंद्र): दीवाली पर रात को रोशनी करने के लिए पिछले 3-4 सालों से चाइनीज इलैक्ट्रॉनिक लडिय़ों का क्रेज कम हुआ है। लोगों का के्रज एक फिर से मिट्टी निर्मित दीयों की तरफ बढ़ा है जिसके चलते आज दीवाली से एक दिन पूर्व शहर में अनेक जगहों पर मिट्टी के दीयों की लगी हुई अस्थायी दुकानों व रेहडिय़ों पर दीये खरीदने वाले लोगों का तांता लगा रहा। संदीप, मुन्शी राम, जोगी राम, साधू राम, केवल आदि का कहना है कि पुरातन समय से ही दीवाली पर रोशनी के लिए मिट्टी के दीयों का इस्तेमाल होता आया ह।

 हालांकि डेढ़-दो दशक से चाइनीज लडिय़ों के बाजार में आने के कारण लोगों का झुकाव भी इस ओर बढ़ा है लेकिन अब कुछ सालों से चाइनीज वस्तुओं के चल रहे विरोध के कारण चाइनीज लडिय़ों का क्रेज भी कम हुआ है। लोगों का रुझान फिर से मिट्टी से बने हुए दीये खरीदने की ओर अधिक देखा गया है। लोगों का कहना है कि त्यौहारों को पूरे रीति-रिवाजों के साथ मनाना चाहिए। अगर दीवाली पर मिट्टी के दीयों से रोशनी नहीं की तो त्यौहार अधूरा है। हालांकि पुराने समय में लोग घी से दीयों को जलाकर रोशनी करते थे लेकिन अब लोग सरसों के तेल से दीयों को जलाकर रोशनी करते हैं। मिट्टी के दीए तथा अन्य सामान बनाने वाले प्रजापत प्यारे लाल ने बताया कि इस बार उनके दीयों की खूब बिक्री हुई है। 

इसके अलावा लोग पूजन के अन्य बर्तन भी मिट्टी से बने हुए खरीद रहे हैं जिससे उनके धंधे में काफी इजाफा हुआ है। पहले की अपेक्षा इस बार मिट्टी के दीयों की मांग दोगुनी हो गई है। लोग एक बार फिर भारतीय देसी चीजों को अपनाने लगे हैं। बलवंत, मुरारी, रविन्द्र, नीरज आदि ने बताया कि उन्होंने चाइनीज सामान का बहिष्कार किया है क्योंकि जब हमारे पास अपने देसी साधन मौजूद हैं तो क्यों हम विदेशों में अपना धन भेजें इसलिए दीवाली को मनाने के लिए अन्य वस्तुएं भी स्वदेशी खरीद रहे हैं तथा विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर रहे हैं।

Isha