किसानों के अरमानों पर फिर बेमौसमी बरसात और ओलावृष्टि ने फेरा पानी, चढ़ूनी ने सरकार से मांगा मुआवजा
10/16/2023 5:53:33 PM
चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): पहले ही कुदरत की बरसात रूपी मार से उबर नहीं पाए किसानों के अरमानों पर एक बार फिर से बेमौसमी बरसात और ओलावृष्टि ने पानी फेरने का काम किया है। सोमवार को प्रदेश के कई जिलों जिलों कुरुक्षेत्र, कैथल ,फतेहाबाद, सिरसा ,करनाल ,यमुनानगर पंचकूला, अंबाला जिसमें सबसे अधिक नुकसान कैथल जिले में होने का अनुमान लगाया जा रहा है, जहां पर भारी ओलावृष्टि हुई है। इसके अलावा कुरुक्षेत्र के कई हिस्सों और फतेहाबाद में भी ओलावृष्टि होने की समाचार प्राप्त हुआ है।
बता दें कि पिछले सप्ताह ही तेज हवाओं और बरसात के चलते किसानों की धान की फसलें बिछ गईं थी। इस दौरान खेतों में पानी खड़ा होने के कारण कई दिन धान की कटाई भी प्रभावित हुई थी। लेकिन अब एक बार फिर से एक सप्ताह के भीतर दोबारा हुई बरसात ने किसानों को फिर से चिंता में डाल दिया है। क्योंकि पिछले सप्ताह की बरसात के कारण फसले खेतों में गिरी हुई हैं। ऐसे में अब हुई बरसात और ओलावृष्टि के कारण उन्हें दोहरी मार सहन करनी पड़ रही है। यही नहीं मंडियों में भी किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है।
इसके अलावा सरकार द्वारा खरीदी गई जीरी भी खुले आसमान के नीचे पड़ी हुई है। बीते बरसाती मौसम के कहर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है। अकेले जिला कुरुक्षेत्र में ही लगभग 1 लाख एकड़ के आसपास का फसल खराब होने की रिपोर्ट जिला राजस्व विभाग द्वारा सरकार को भेजी गई थी। यही नहीं मारकंडा नदी, टांगरी नदी, घग्गर नदी इसके अलावा यमुना नदी द्वारा जहां करनाल पानीपत और यमुनानगर में भारी तबाही मचाई थी। वहीं मारकंडा टांगरी और घग्गर नदी द्वारा सबसे अधिक कुरुक्षेत्र अंबाला और साथ लगते कैथल में कुछ हिस्से फतेहाबाद में भी भारी फसलों को नुकसान पहुंचाया था। बेमौसमी बरसात को लेकर किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने भी सरकार से मांग की है कि जहां पिछले दिनों बरसात के मौसम में खराब हुई फसलों का मुआवजा जल्द दिया जाए। वहीं आज हुई बरसात और ओलावृष्टि के कारण फसलों के नुकसान के आकलन के लिए तुरंत सर्वे करा उक्त पीड़ित किसानों को भी मुआवजा दिया जाए। बरसात के साथ-साथ तेज हवाएं चलने से जहां मौसम में ठंडक होने से पर लुढ़क गया है। इस दौरान ग्रामीण स्तर पर लोग चादर ओढ़ते भी दिखाई दिए। इसके अलावा कई जगह पेड़ भी टूटने के समाचार प्राप्त हुए हैं। हालांकि दोपहर के समय कुछ जगहों पर धूप देखने को मिली है।
मौसम विभाग की माने तो यह बरसात पश्चिमी विक्षोभ के चलते हुई है जो कि सहारनपुर ,दिल्ली और अंबाला में इसका मुख्य असर देखने को मिला है। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर सीबी सिंह ने बताया कि ओलावृष्टि और बरसात के कारण किसानों को नुकसान होना स्वाभाविक है। इसके अलावा जिन मंडियों में धान का उठान नहीं हो पाया वहां पर भी नुकसान होने का अंदेशा रहेगा। उन्होंने बताया कि इस बेमौसमी बरसात के चलते आलू की रोपाई भी प्रभावित होगी। इसके अलावा जिन खेतों में आलू की रोपाई कर दी गई है वहां पर पानी खड़ा ना होने दें। सरसों और तोरिऐ की फसल को भी इससे कुछ नुकसान होने का संभावना है। वहीं दूसरी ओर पड़ोसी राज्य हिमाचल और जम्मू कश्मीर में भी बरसात और बर्फभारी होने हुई हैं। जिसके चलते जहां हिमाचल प्रदेश में समय से पहले ठंड ने दस्तक देने शुरू कर दी है। वहीं बर्फबारी से पर्यटकों के चेहरे खिल गए है। जिसमें शिमला के हाटू, चुडधार, शिरगुल देव, शिकारी माता के मंदिर ,नारकंडा, किन्नौर ,चंबा ,लाहौल स्पीति कांगड़ा धौलाधार की पहाड़ियों पर बर्फबारी हुई है।
बर्फबारी के कारण हिमाचल में लगभग 6 डिग्री सेल्सियस के आसपास पर तापमान में गिरावट दर्ज की गई है! जिसमें कुफरी और मनाली में 6.2% तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। नारकंडा में 7 डिग्री सेल्सियस और कल्पा किन्नौर में लगभग तीन प्रतिशत तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। इस दौरान एक बार से फिर से पहाड़ी नगरी पर्यटकों से गुलजार हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार पर्यटकों को उच्च पर्वतीय स्थान पर न जाने और गर्म कपड़े साथ ले जाने की सलाह भी दी गई है।