CSR ट्रस्ट का गठन कर कोरोना पीड़ितों के लिए आवश्यक राहत सामग्री का किया इंतजाम: विनोद मेहता

5/22/2021 9:19:42 AM

चंडीगढ़ (धरणी) : अगर किसी सरकारी विभाग में एक पेन का पैकेट या कागज का दस्ता भी खरीदना है तो एक प्रोसेस के तहत कोटेशन बनानी अनिवार्य होती है और बड़े काम के लिए तो टेंडर बनता है तो आखिर ऐसे आपातकाल के समय लोगों को राहत देने के लिए किस प्रकार से खरीद की गई, ऐसा कौन सा शॉर्टकट अपनाया गया, मुख्यमंत्री ने अपनी कौन सी शक्तियों का इस्तेमाल करके राहत सामग्री का इंतजाम किया। इन सब प्रश्नों के साथ आज पंजाब केसरी ने प्रिंसिपल मीडिया एडवाइजर टू सीएम विनोद मेहता से मुलाकात की। इसमें उन्होंने कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के सामने यह एक बहुत बड़ी समस्या थी। क्योंकि जिस तेजी से महामारी आई और जनता बड़ी संख्या में संक्रमित हुई। यह बड़ा संकट का समय था और चुनौती भी बहुत बड़ी थी। सरकार के सामने प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की पूर्ति करना एक बड़ी समस्या बनकर उभरी थी। लेकिन आपात स्थिति को कैसे डील करना है यह मुख्यमंत्री  के साथ रहकर सीखने को मिला। रातों-रात 30 मार्च को सीएसआर ट्रस्ट का गठन कर अकाउंट खोलें और रात को ही हरियाणा के बहुत से इंडसलिस्ट ने इस फंड में डोनेशन दी। मुख्यमंत्री ने जिस तरह से फंड का इस्तेमाल किया। मुझे लगता है कि दूसरे प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को भी आकर देखना और सीखना चाहिए। इस बारे में मुख्यमंत्री की कार्यशैली को लेकर मेहता ने कई ओर उदाहरण भी दिए।

मेहता ने बताया कि मुख्यमंत्री गुड़गांव के सभी विधायकों से वीसी के दौरान उनकी आवश्यकताओं को जान रहे थे। तो बादशाहपुर के निर्दलीय विधायक राकेश दौलताबाद ईसीएमओ मशीन के बारे में बताया कि अगर किसी मरीज के 25 के 25 लंग्स भी इफेक्टिव हो जाए तो इसकी थेरेपी के बाद लंग्स के जीवित होने की संभावनाएं बन जाती हैं। विधायक ने बताया कि यह मशीन केवल मेदांता और फोर्टिस अस्पताल के पास है। जिसकी एक बार थेरेपी के 10 लाख रुपए चार्ज किए जाते हैं। मुख्यमंत्री को बड़ा झटका लगा कि आम आदमी इतना बड़ा खर्च कैसे कर सकता है। तुरंत वीसी के दौरान मुख्यमंत्री ने अपनी टीम को मशीन ढूंढने का इशारा किया। पूरी रात टीम ने खोज की और पाया कि दिल्ली के किसी प्राइवेट अस्पताल की 7 मशीने हवाई जहाज से आ रही है और कल शाम को हवाई जहाज लैंड होगा।

मुख्यमंत्री ने तुरंत दिल्ली के डीलर से बात की और एक मशीन निकलवाई। कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद शाम साढे 5 बजे उसके खाते में मुख्यमंत्री रिलीफ फंड से आरटीजीएस किया गया। बैंक अधिकारी देर शाम तक वहीं बैठा रहा और आज वह मशीन कल्पना मेडिकल कॉलेज में इंस्टॉल हो चुकी है। वही हिसार और पानीपत में 500-500 बेड के अस्पताल 18 दिन में तैयार करवाए गए। बहुत से इंजेक्शन विदेश से आते हैं, कुछ प्राइवेट कंपनियों से खरीदे जाते हैं,जिनकी फटाफट जरूरत थी। उनके टेंडरों में लंबा समय लगना था। शॉर्ट टाइम टेंडर में भी 10 दिन लगते हैं। मुख्यमंत्री ने रास्ता बनाया और एक टीम बनाई और सीएसआर फंड से तुरंत सभी आवश्यकताओं को पूरा किया।

वहीं मुख्यमंत्री जी ने इंडस्ट्रलिस्ट जो डायरेक्ट डोनेट करना चाहते थे। उनको पावर दी कि हम आपका दान असेप्ट करते हैं। आप डायरेक्ट यह दवाई फलां अस्पताल को यह मशीन फलां अस्पताल को दे दो। मुख्यमंत्री जी ने तीसरा बेहतरीन काम किया कि विदेशों से आने वाले ऑक्सीजन व अन्य कॉविड रिलेटेड आने वाले डोनेशन के लिए गुड़गांव में एक गोडाउन बनवाया। क्योंकि अगर वहां आने वाली ऑक्सीजन इत्यादि को सीधा भेजा जाता तो जहां जरूरत नहीं थी वहां वह अधिक पहुंच जाती और जहां जरूरत थी वहां नहीं पहुंचती। इस प्रकार से मुख्यमंत्री जी ने एक जगह सभी चीजों को इकट्ठा कर वहीं से रिडिसटीब्यूट करवाया।

वहीं इस मौके पर मेहता ने हिसार के घटनाक्रम पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हिसार और पानीपत में बनने वाले एमरजैंसी अस्पताल के लिए सरकार ने कहां-कहां से मदद ली होगी। उसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। सारा सरकारी अमला लोगों को इस मुश्किल की घड़ी से निकालने के लिए लगा दिया। आज एक मरीज जो प्राइवेट अस्पताल में 10-20 लाख भरकर इलाज करवा रहा है। उसकी आत्मा पर कितनी चोट पहुंच रही है। मैं किसान नेताओं से पूछना चाहता हूं कि अगर उनके परिवार के किसी आदमी को एमरजैंसी इसी अस्पताल में जाने की जरूरत पड़ जाए और वही आपके लठैत खड़े हो और अस्पताल के अंदर नहीं जाने दे या तोड़ दें। तो आप पर क्या बीतेगी। मैं पूछना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री जी क्या वहां किसी शादी में या पारिवारिक फंक्शन में गए थे। वह तो आपात समय की जरूरत के लिए वहां गए थे। ताकि कोविड अस्पताल में लोगों को अच्छा और सस्ता इलाज मिल सके।

इस मौके पर मेहता ने बंगाल की मुख्यमंत्री का हुड्डा के बारे में दिए बयान पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि 2 दुखी एक दूसरे का दुख सहला रहे हैं। इससे ज्यादा कुछ नहीं है। बंगाल में भारतीय जनता पार्टी ने 26 गुना तरक्की की है। 2016 में 3 सीटें थी और आज 78 सीटें हैं। जबकि कांग्रेस वहां जीरो पर आ गई। वहां ममता बनर्जी की जीत जरूर हुई है। लेकिन भाजपा भी वहां हारी नहीं है। डेमोक्रेसी में जनता को अपनी मर्जी की सरकार बनाने का अधिकार है और जरूरी नहीं कि भाजपा हर जगह सरकार बनाए।लेकिन बीजेपी एक बड़े विकल्प के रूप में उभरी है।

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Content Writer

Manisha rana