अरावली की फिजाओं में जहर घोल रहा लाखों टन कूड़ा, रोजाना 1500 टन कूड़ा डम्प

3/8/2019 12:13:29 PM

गुडग़ांव (पी मार्कण्डेय): बंधवाड़ी जो कभी अपने प्राकृतिक सौंदर्य व पहाड़ों से घिरे खूबसूरत गांव के रूप में जाना जाता था, अब कूड़े के पहाड़ के रूप में जाना जाने लगा है। इस गांव का नाम लेते ही कूड़ा और कैंसर 2 बातें लोगों के जेहन में फौरन आ जाती है। 

गुडग़ांव-फरीदाबाद मार्ग पर स्थित यह गांव दोनों शहरों का सबसे बड़ा कूड़ा डमिं्पग सैंटर बन चुका है। यहां पर रोजाना ही 15 सौ टन से अधिक कूड़ा डम्प किया जा रहा है जिसके कारण बंधवाड़ी और इसके आसपास के इलाकों में भू-जल विषैला बन चुका है। हाल ही में केंद्र सरकार की एक संस्था ने यहां के जल का परीक्षण करने के बाद कहा कि अरावली क्षेत्र का यह भू-जल मनुष्य तो मनुष्य जानवरों के पीने योग्य भी नहीं है। यही कारण है कि गत दशक भर से बंधवाड़ी और आसपास के लोगों की मौत का बड़ा कारण कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी सामने आई है।

अरावली में कूड़ा डमिं्पग को लेकर तर्क दिया जाता है कि यह क्षेत्र वन संरक्षित क्षेत्र या वाइल्ड लाइफ प्रोटैक्शन एरिया के तहत नहीं आता, बल्कि इसे नगर निगम अपना इलाका मानकर कूड़े का पहाड़ खड़ा करता रहा है। इतना ही नहीं, अरावली क्षेत्र में शहरी कूड़े के अलावा बिल्डिंग वेस्ट मैटीरियल भी डम्प कर दिए जा रहे हैं जो सड़कों के दोनों किनारे बेतरतीब फैले हुए हैं। आए दिन पर्यावरण कार्यकत्र्ता शिकायत करते हैं कि यहां पर डम्प किए जा रहे कूड़े को खाकर वन्यजीवों की मौत हो रही है। इन सभी बातों से वन विभाग को कोई लेना-देना नहीं है। एक तरफ जहरीला कूड़ा खाकर मूक और निर्दोष वन्य जीव मर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कूड़े का रासायनिक पानी रिसकर भू-जल को भी विषैला बना रहा है। 

वन विभाग अरावली को अपने क्षेत्राधिकार में नहीं मानता और पल्ला झाड़ लेता है तो वहीं क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग कूड़ा डालने वाले नगर निगम को कार्रवाई के लिए नोटिस भेज देने की बात कहता है। पिछले 5 साल में बंधवाड़ी में 100-150 लोगों की मौत का कारण कैंसर जैसी बीमारी रही है। 

Shivam