गांव खेड़ी में मंदिर के दलित पुजारी को उच्च जाति के दबंगों ने पीट पीट कर किया लहूलुहान

6/10/2023 7:29:47 PM

फरीदाबाद (अनिल राठी) : जात-पात ऊंच-नीच का भेदभाव है कि आज के इस मॉडर्न जमाने में भी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला फ़रीदाबाद के खेड़ी गांव का है जहां गांव के खेड़ा दादी मंदिर में पूजा पाठ करने वाले पुजारी बालक दास को गांव के ही उच्च जाति के कुछ दबंग किस्म के लोगों ने लाठी डंडों से बुरी तरह पीट कर लहूलुहान कर दिया। जिसके चलते मंदिर के पुजारी को काफी चोटें आई हैं।

मंदिर के पुजारी को गांव के कुछ उच्च जाति के लोगों ने केवल इसलिए पीट दिया, क्योंकि पुजारी दलित जाति से बिलांग करता है। बता दें कि इस हमले में मंदिर के पुजारी को काफी गंभीर चोटें आईं हैं। जिसे बादशाह खान नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां से उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। घटना बीती रात लगभग 10.30 बजे की है। जब मंदिर के पुजारी बालक दास मंदिर में सो रहे थे कि तभी गांव के लखन जाट के साथ पड़ोसी गांव फरीदपुर के महेश खटाना ने मंदिर का गेट खटखटाया और पुजारी को आवाज देकर कहा कि उनके खेत में कोई जानवर घुस गया है। उन्हें टॉर्च चाहिए। इतना सुनने के बाद पुजारी ने मंदिर का गेट जैसे ही उस पर लखन और महेश ने जाति सूचक गालियां देते हुए लाठी-डंडें से हमला कर दिया। मारपीट का शोर सुनकर सरपंच तेज सिंह का परिवार और पड़ोस में रहने वाले मान सिंह जाग गए और मंदिर की तरफ दौड़े। जिन्हें अपनी ओर आता देखर लखन और महेश मौके से भाग गए।

घटना के बाद पुजारी को गांव के ही लोग बादशाह खान नागरिक अस्पताल में लेकर पहुंचे थे। वहीं इस घटना के बाद गांव के रहने वाले कुलबीर, तेजपाल और दुलीचन्द ने बताया कि उनकी गांव की खेड़ा दादी मंदिर में पहले जो पुजारी था उसे घोड़ा पछाड़ के नाम से लोग जानते थे। उसका चाल चलन और व्यवहार ठीक नहीं था। जिसके चलते गांव के लोगों ने उसे मंदिर से हटा दिया। 

गांव के लोगों के कहने पर दुलीचंद ने वृंदावन में 27 सालों से रह रहे पुजारी बालक दास से अपने गांव के मंदिर में आकर पूजा पाठ करने की सिफारिश की। जिसके बाद पुजारी बालक दास ने उनकी बात मानते हुए मंदिर में सेवा और पूजा पाठ शुरू कर दी। वह गांव के इस मंदिर में पिछले 6-7 महीनों से पूजा पाठ कर रहे हैं। कुलबीर ने बताया कि जबसे उन्होंने मंदिर में पूजा पाठ शुरू की है तबसे मंदिर में साफ-सफाई सहित मंदिर में विकास के कार्य हुए हैं। लेकिन गांव के कुछ उच्च जाति के लोगों को यह मंजूर नहीं कि बाबा दलित जाति से हैं और मंदिर में पूजा पाठ करते हैं इसीलिए उन्होंने उन पर हमला किया है।

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Content Writer

Saurabh Pal