घुड़चढ़ी की खिलाफत पर विरोधियों को दलित बेटी का करारा जवाब (Pics)

3/26/2017 3:40:19 PM

रेवाड़ी (मोहिंदर भारती):समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने के लिए जहां सरकार ने अनेकों अभियान चलाए तो युवा भी अपने-अपने तरीकों का इस्तेमाल कर समाज को जागरूक करने में पीछे नहीं है। लड़कियों के जन्म पर अब लोग कुआं पूजन कर लड़का-लड़की में भेदभाव को समाप्त कर चुके हैं, लेकिन कुछ लोग आज भी समाज में जाति-पाति का जहर घोल रहे हैं और दलितों पर अत्याचार बराबर करने में जुटे हुए हैं। 

दलित परिवार की बेटी ने की अनोखी पहल
जाति-पाति का जहर घोलने वाले लोगों को सबक सिखाने की पहल रेवाड़ी की एक दलित परिवार की बेटी ने की है। अजय नगर निवासी उर्मिला की शादी में कुछ उसने ऐसा किया की जिले में चर्चा विषय बना हुआ है। उर्मिला 6 बहनों में सबसे छोटी है और परिवार की दुलारी होने की वजह से उसके फैसले को कोई भी मना नहीं करता। उर्मिला ने करनाल और नारायणगढ़ में दलित दूल्हों को घोड़ी पर नहीं बैठने वाली खबर को जबसे देखा है तबसे उसके मन में एक ही सवाल बार-बार आता है कि आज हम 21वीं सदी में जी रहे है। फिर भी कुछ दबंग लोग समाज में जाति-पाति का जहर घोल रहे हैं। तभी से उसने ठान लिया था की जिस तरह आज समाज में बेटा-बेटी भेद-भाव को भुलाकर लड़कियों के जन्म पर कुआं पूजन जैसी रस्में अदा करते हैं।

मेरे लिए जाति-पाति कोई मायने नहीं रखती:उर्मिला 
दुल्हन उर्मिला ने समाज में एक मिसाल कायम की है। उसने कहा कि मैं भी अपनी शादी में लड़कों की तरह से घोड़ी पर बैठूंगी। उसने कहा कि मेरे लिए जाति-पाति कोई मायने नहीं रखती। घोड़ी पर बैठक कर मैं इसे खत्म करना चाहती हूं। उर्मिला एक महिला NGO से भी जुड़ी है, जिसमें महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाता है। ताकि महिला दूसरों के सहारे की बजाय अपने पैरों पर खड़ी हो सके।