इंस्टाग्राम-फेसबुक के जाल में फंस अपनों को छोड़ रही बेटियां, कोई बच्चों को छोड़ भागी...तो कोई कॉलेज से नहीं लौटी घर
punjabkesari.in Sunday, Sep 14, 2025 - 09:06 AM (IST)

कैथल (जयपाल रसूलपुर): जिले में नाबालिग लड़कियों और विवाहित महिलाओं के लापता होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालात इतने गंभीर हैं कि हर रोज या तो एक किशोरी का अपहरण हो रहा है या फिर कोई महिला घर से लापता हो रही है। पुलिस रिकॉर्ड खुद इस भयावह तस्वीर की गवाही दे रहे हैं। इस साल अब तक 92 अपहरण के केस दर्ज हुए हैं, जबकि 273 मिसिंग रिपोर्ट थानों में दर्ज करवाई गई हैं। यानी कुल मिलाकर 365 मामले सामने आए, जिनमें से पुलिस ने 262 युवतियों व महिलाओं को सुरक्षित बरामद कर लिया है। ज्यादातर अपहरण मामलों में परिजनों ने किसी न किसी युवक पर आरोप लगाया है कि वह शादी का झांसा देकर उनकी बेटी को भगा ले गया। खासकर 16 से 22 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियां इस तरह के मामलों में सबसे ज्यादा सामने आती हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि कई विवाहित महिलाएं भी अपने छोटे-छोटे बच्चों को छोड़कर किसी अन्य युवक के साथ चली जाती हैं।
4 ताजा मामले
1. चीका थाना क्षेत्र: एक गांव निवासी की शिकायत अनुसार 2 सितम्बर को उसकी पुत्री को गर्ल्स कॉलेज चीका से एक युवक शादी का झांसा देकर भगा ले गया।
2. कलायत क्षेत्र: एक व्यक्ति ने बताया कि 6 सितम्बर को उसकी 19 वर्षीय भतीजी शाह अस्पताल कैथल के आगे से बिना बताए कहीं चली गई।
3. पूंडरी क्षेत्र: 11 सितम्बर को एक व्यक्ति की 25 वर्षीय पत्नी घर से बिना बताए गायब हो गई।
4. गुहला थाना क्षेत्र: 29 अगस्त को एक युवक 17 वर्षीय किशोरी को बहला-फुसलाकर भगा ले गया।
75 बेटियों व महिलाओं का कोई सुराग नहीं
पुलिस आंकड़े बताते हैं कि इस साल 1 जनवरी से लेकर अब तक अपहरण के 92 मामलों में 42 नाबालिग और 50 महिलाएं शामिल रहीं। इनमें से पुलिस ने 25 ना बालिग और 43 महिलाएं बरामद कर परिजनों को सौंप दीं। मिसिंग रिपोर्ट के 273 मामलों में 50 नाबालिग और 223 महिलाएं लापता हुईं। इनमें से 38 नाबालिग और 156 महिलाएं वापस लौट आईं। कुल मिलाकर 365 में से 262 केस पुलिस ने सुलझा लिए। हालांकि अभी भी 75 बेटियों व महिलाओं का कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
ऐसे झांसे में आ रही युवतियां
पुलिस की जांच में सामने आया है कि इन मामलों में सोशल मीडिया अहम भूमिका निभा रहा है। आरोपी युवक फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर दोस्ती कर किशोरियों व युवतियों को अपने झांसे में लेते हैं। लगातार चैटिंग और कॉलिंग के जरिए उनका भरोसा जीतते हैं। फिर उन्हें शादी या बेहतर जिंदगी के सपने दिखाकर घर से भागने को तैयार कर लेते हैं। कुछ मामलों में युवतियां खुद भी सोशल मीडिया पर बने रिश्तों में इतनी उलझ जाती हैं कि घर छोड़ना ही सही विकल्प मान लेती हैं।
राजस्थान, यू.पी., पंजाब व दिल्ली तक तलाश
इन मामलों की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि लड़कियों और महिलाओं को बरामद करने के लिए पुलिस को कई राज्यों तक तलाश करनी पड़ती है। कई बार तो पुलिस टीमों को राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक छानबीन करनी पड़ी। अधिवक्ता अजय कुमार गुप्ता ने बताया कि कई केसों में लड़कियां कोर्ट में जाकर बयान बदल देती हैं। इससे केस और भी उलझ जाते हैं तथा दोषियों पर कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है।
अभिभावकों की लापरवाही भी वजह : सुनीता शर्मा
महिला एवं बाल विकास विभाग की घरेलू एवं निषेध अधिकारी सुनीता शर्मा का कहना है कि इन घटनाओं के पीछे परिवार की भूमिका भी अहम है। माता-पिता बच्चों को समय नहीं दे पाते, जिससे वे सोशल मीडिया या बाहर के लोगों पर भरोसा करने लगते हैं। अगर घर में दोस्ताना माहौल होगा तो बेटियां किसी अजनबी की बजाय अपने परिवार पर भरोसा करेंगी। उन्होंने कहा कि बच्चों से केवल पढ़ाई और अंक की बात न करें, बल्कि उनके दोस्तों, शौक व सपनों पर भी बातचीत करें। मोबाइल पर पूरी तरह रोक लगाने की बजाय समझाने का तरीका अपनाएं।
सोशल मीडिया का सही उपयोग बेहद जरूरी है: एस.पी
कैथल एस.पी. आस्था मोदी ने कहा कि नाबालिग के लापता होने पर तुरंत किडनैपिंग का केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी जाती है। ऐसे मामलों में पुलिस पूरी तरह अलर्ट मोड पर काम करती है। जिले में लापता मामलों की ट्रेसिंग दर काफी बेहतर है। लोगों से अपील है कि वे अपने बच्चों से खुलकर बातचीत करें और उन्हें अच्छे-बुरे की पहचान करवाएं। सोशल मीडिया का सही उपयोग सिखाना बेहद जरूरी है।