कैमला में हुए बवाल के बाद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने दी सीएम खट्टर को बड़ी नसीहत
punjabkesari.in Monday, Jan 11, 2021 - 01:58 PM (IST)

सोनीपत (पवन राठी): करनाल के कैमला गांव में हुए बवाल पर कांग्रेस के राज्यसभी सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा के मुख्यमंक्षी दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने नसीहत दी है। उन्होंने कहा कि सरकार को टकराव का रास्ता छोड़कर किसानों से बातचीत करनी चाहिए। करनाल प्रशासन ने पहले ही सरकार को बता दिया था कि यहां टकराव हो सकता है और किसान सीएम मनोहर लाल खट्टर का बहिष्कार करेंगे। हुड्डा ने कहा कि सरकार को अपनी जिद्द छोड़नी चाहिए, अपनी प्रजा की बात मानने से कोई सरकार छोटी नहीं होती।
उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से किसान कह रहे थे कि कार्यक्रम का बहिष्कार किया जाएगा। मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को नहीं होने दिया जाएगा, जबकि प्रशासन की रिपोर्ट भी यह गई थी कि अभी कार्यक्रम करने का माहौल नहीं है ऐसी परिस्थितियों में सरकार को टकराव के रास्ते को बढ़ाने के चलते प्रोग्राम नहीं करने चाहिए। किसान लंबे समय से कृषि कानूनों को लेकर बैठे हुए हैं, उनके समाधान को लेकर पहले बात करनी चाहिए थी। सरकार को उनकी तरफ ध्यान देना चाहिए, जिद्द और टकराव का रास्ता सरकार का ठीक नहीं है। कितने लंबे समय से पूरे देश का किसान अलग-अलग जगह दिल्ली के बॉर्डर पर बैठा हुआ है।
हुड्डा ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को वापस कराने की मांग को लेकर जो किसान बैठे हुए हैं यह केवल हरियाणा और पंजाब का किसान नहीं, बल्कि पूरे देश का किसान सड़कों पर बैठा हुआ है। पूरे देश के किसानों की भावना जुड़ी हुई है। केंद्र सरकार को चाहिए कि जीत और राज हठ को त्याग कर किसानों की बात माने। उन्होंने कहा कि अपनी प्रजा की बात मानने से सरकार कभी कमजोर नहीं होती, यह किसी की अहम या इगो का विषय ना बनाया जाए। सरकार किसानों को विश्वास में लेकर और देरी ना करें।
केंद्र सरकार कहती है कि हम कृषि कानूनों को वापस तो लेंगे नहीं, इससे वह किसान को और ज्यादा अपमानित करने का काम कर रही है। इसीलिए तो लोग कह रहे हैं कि बीजेपी बहुत झूठी और जेजेपी जमा झूठी पार्टी है। उन्होंने कहा कि सारी बातों का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोड़ना चाह रहे हैं। अकाली दल भी आप कांग्रेसी हो गई है या हरियाणा में जेबीटी व निर्दलीय विधायक भी कांग्रेसी हो गए हैं जो किसानों का समर्थन कर रहे हैं इस तरह के निराधार बातें ना करें सरकार किसानों का हल निकाले।