बाजरे की खरीद पर बोले दीपेन्द्र- एमएसपी का आधा दाम भी नहीं तो 2022 में आमदनी दोगुनी कैसे होगी?

10/14/2021 7:46:58 PM

चंडीगढ़ (धरणी): सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने बाजरा उत्पादक किसानों से एमएसपी पर खरीद न होने और उनको हो रहे भारी नुकसान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने बाजरे की एमएसपी रुपये 2250/- घोषित की है, मगर ये सिर्फ कागजों पर है। हरियाणा में बाजरा उत्पादक किसान को मंडियों में करीब आधे भाव पर फसल बेचनी पड़ रही है। किसान को बाजरे का रुपये 1200/- से रुपये 1250/- ही मिल पा रहा है। किसानों में बाजरे की फसल को लेकर काफी मायूसी है। सरकार की तरफ से बाजरे की खरीद शुरू न होने के कारण किसानों में जबरदस्त रोष है।

उन्होंने कहा कि आज डीजल-पेट्रोल देसी घी के भाव मिल रहे हैं, खाद की जमकर कालाबाजारी हो रही है। ऐसे में यदि सरकार किसान के उत्पादन का आधा भी नहीं खरीदेगी, एमएसपर का आधा दाम भी नहीं देगी तो 2 महीने बाद ही 2022 आने वाला है, तब तक किसान की आमदनी दोगुनी कैसे होगी?

सांसद दीपेन्द्र ने कहा कि सरकार ने किसान के साथ धोखा किया है। किसान मंडियों में एमएसपी को ढूंढ रहा है सरकार बताए कि वो एमएसपी कहां चली गई, जिसे संसद में सरकार बता रही थी कि एमएसपी थी एमएसपी है एमएसपी रहेगी। अब सरकार बताए किसान को बाजरे की एमएसपी कब, कहां कैसे मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि मंडियों में बाजरे की एमएसपी कहां गई, सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है। किसान का बाजरा लुट रहा है और सरकार चुप है। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों के लागू होने का जो भयावह नतीजा निकलेगा ये उसका ट्रेलर है, पूरी फिल्म तो इन कानूनों के लागू होने के बाद सामने आएगी। इसी बारे में संसद में उन्होंने सरकार को चेताया था कि एमएसपी थी, है और घोषित भी की जाती रहेगी लेकिन सवाल ये है कि क्या किसानों को मिल पाएगी? आज सच मंडियों में सबके सामने दिख रहा है। उन्होंने सरकार से तुरंत बाजरे की एमएसपी पर खरीद करने की मांग उठाई।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश में खाद की किल्लत और कालाबाजारी से किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। सरकार की नाकामी के चलते प्रदेश में पुलिस थाने-चौकियों पर किसानों को खाद के लिये घंटो-घंटों लाइन लगानी पड़ रही है। खाद की तलाश में किसान दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं फिर उन्हें भी खाद नहीं मिल रही है। सरकार बताए कि किसान अगली फसल की बुआई करे या थाने-चौकियों पर लाइन लगाए।

उन्होंने कहा कि बुआई के टाइम पूरी खाद नहीं, कटाई के टाईम पूरी खरीद नहीं। खरीद के टाइम किसान को एमएसपी नहीं। उठान के टाईम मजदूर को पूरी दिहाड़ी नहीं। भुगतान के टाईम पूरी पेमेंट नहीं। ऐसी निकम्मी सरकार की हरियाणा को जरूरत नहीं है। दीपेन्द्र हुड्डा ने मांग करी कि सरकार प्रदेश में खाद की किल्लत तुरंत दूर करे और कालाबाजारी पर रोक लगाए। 
 

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Content Writer

Shivam