हरियाणा कृषि विभाग ने किया पैसों का गोलमाल, पीएम मोदी ने लिया एक्शन

7/10/2018 8:47:22 PM

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा कृषि विभाग भारत सरकार के डिजिटल इण्डिया व पहले (डी.बी.टी) डायरैक्ट बैनिफिट ट्रांसैक्शन  भारत के प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है की धज्जियां उड़ा रहा है । प्रति वर्ष सैंकड़ों करोड़ों रूपये जो किसानों के हितों के लिए अनुदान के रूप में दिये जाते हैं उन पैसों का उच्च अधिकारी मिलकर गोलमाल कर रहे हैं। इस सम्बंध में प्रधानमंत्री को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व महामंत्री व किसान नेता सतपाल कौशिक द्वारा लिखे पत्र पर प्रधानमंत्री ने मामले में कार्रवाई करने के आदेश हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव को दिए हैं।

कौशिक ने पत्र में लिखा कि हरियाणा में प्रति वर्ष भारत सरकार व हरियाणा सरकार किसानों की सहायता के लिए सैकड़ों करोड़ रूपये का अनुदान देती है, जिसका 50 प्रतिशत से अधिक का हिस्सा कृषि विभाग के उच्च अधिकारी व उनके एजेंट हजम कर जाते हैं। किसानों को न तो उनके मन पसंद का बीज मिलता और न ही अन्य सामान जिससे किसान अपने आपको ठगा सा महसूस करता है। जिससे सरकार द्वारा दिए जाने वाली सैंकड़ों करोड़ की अनुदान राशि भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है।

उन्होंने पत्र में जिक्र करते हुुए कहा कि सन 2015-16 से पहले हरियाणा प्रदेश में सबसिडी की बंदरबाट अधिकारी व उनके एजेंट आपस में ही कर लेते थे और किसानों के नाम के फर्जी कागज तैयार किये जाते थे, लेकिन 2015-16 में भारत सरकार के आदेशों के अनुरूप कृषि निदेशक हरियाणा ने 95 प्रतिशत सबसे अधिक राशि को डी.बी.टी. के अन्र्तगत लाकर बंदरबाट पर रोक लगा दी थी। कुछ समय के बाद कृषि निदेशक हरियाणा का तबादला हो गया और धीरे-धीरे अब हरियाणा में 70-80 प्रतिशत डी.बी.टी.स्कीम बंद कर दी गई है। अब किसानों को सीधे तौर पर उनके खाते में सहायता राशि नहीं पहुंचती बल्कि उनको कृषि व अन्य विभागों द्वारा सामान वितरित किया जाता है और इस सामान की खरीद में भारी धांधली की जा रही है।

अर्थात् 50 प्रतिशत से अधिक केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि किसानों को न मिलकर अधिकारी व उनके एजेंटों में बंट रही है, जिससे प्रतिवर्ष सरकार द्वारा किसानों को दी जाने वाली अनुदान राशि किसानों को पूरी नहीं मिल रही है। उदाहरण के तौर पर अनुदान राशि पर दिये जाने वाले बीज व अन्य उपकरण दवाईयां, पैस्टीसाईडस ज्यादा भाव पर खरीदी जाती हैं और ऐसे बीज किसानों को अनुदान पर दिए जाते हैं जिनकी उस क्षेत्र में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सिफारिश भी नहीं की जाती। अर्थात् अधिकारी एजैन्सियों से मेलजोल करके किसानों को दी जाने वाली सबसीड़ी हजम कर रहे हैं।

Shivam