डेरा सच्चा सौदा की ‘गद्दी’ का फैसला अभी ‘दूर’

8/29/2017 1:22:03 AM

सिरसा(संजय अरोड़ा): कौन होगा डेरा सच्चा सौदा का अगला गद्दीनशीन? इस समय यह प्रश्र अहम बना हुआ है और इस प्रश्न का सही उत्तर अभी दूर की बात है। अरबों के साम्राज्य व लाखों की संख्या वाले इस डेरे की गद्दी पर डेरा की ओर से अभी कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

इस बीच कयासों का सिलसिला लगातार जारी है, पर जिस तरह से डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को अदालत की ओर से 20 साल की सजा सुनाई गई है और पिछले कुछ दिनों से यहां जो स्थिति बनी है उसको लेकर यह तय है कि डेरा की गद्दी को लेकर अभी फैसला आने में वक्त लगेगा। गौरतलब है कि 1948 में शाह मस्ताना बलोचिस्तानी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा की नींव रखी। वह 1960 तक डेरा के गद्दीनशीन रहे और इसके बाद उन्होंने शाह सतनाम सिंह को अपना उत्तराधिकारी बना दिया। 23 सितम्बर, 1990 को स्वयं शाह सतनाम ने गुरमीत राम रहीम को अपना उत्तराधिकारी बनाया। 6 दशक में 3 गद्दीनशीन और अतीत को देखें तो दूसरे गद्दीनशीन ने गुरमीत राम रहीम को स्वयं गद्दी सौंपी, पर इस बार स्थिति अलग है। डेरा प्रमुख को साध्वी दुष्कर्म मामले में सजा हो गई है। 

उल्लेखनीय है कि डेरा सच्चा सौदा के संचालन का अलग-सा सिस्टम है। गांव स्तर पर भंगीदास हैं तो उसके बाद 7 सदस्यीय कमेटी। इसके बाद 15 सदस्यीय कमेटी, फिर 25 सदस्यीय कमेटी और 45 सदस्यीय कमेटी। ये सब समन्वय करते हैं और 45 सदस्यीय कमेटी ही चीज को अंतिम रूप देती है। इस समय डेरा में अजीब-सी स्थिति है। अधिकांश ओहदेदार कहां हैं किसी को पता नहीं। 45 सदस्यीय कमेटी के बारे में जानकारी नहीं है तो डेरा के अधिकांश प्रवक्ताओं पर मामले दर्ज हो गए हैं। डेरा सच्चा सौदा का केस हाईप्रोफाइल है। ऐसे में यह तय है कि डेरा की गद्दी को लेकर अभी डेरा में न तो किसी तरह की मीटिंग संभव है बल्कि प्रशासन और आर्मी तो यहां से सभी प्रेमियों को बाहर निकाल रहे हैं। 

जैसा कि हाईकोर्ट ने अभी 3 दिन पहले अपने फैसले में डेरा की संपत्ति को अटैच करने का आदेश दिया है, ऐसे में यह सवाल अहम है कि यदि डेरा की सम्पत्ति अटैच हो जाती है और सेना व प्रशासन डेरा में कोई सर्च आप्रेशन चलाते हैं तो यहां तमाम गतिविधियां एक तरह से रुक जाएंगी। ऐसे में न तो सत्संग संभव होगा और न ही कोई दूसरा आयोजन हो सकेगा। यहां कोई बैठक भी संभव नहीं हो पाएगी। गद्दी के भावी प्रमुख जैसे महत्वपूर्ण फैसले को संगत की मौजूदगी के बिना लेना संभव नहीं होता है। जाहिर है कि डेरा सच्चा सौदा के नए गद्दीनशीन के बारे में अभी संशय के बादल छाए हुए हैं और आने वाले काफी समय तक इनके छंटने की संभावना भी नजर नहीं आती।