डीजीपी मनोज यादव का दो वर्ष का कार्यकाल पूरा, 21 फरवरी 2019 को संभाला था कार्यभार
2/21/2021 9:51:07 AM
चंडीगढ़ (धरणी) : हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी /राज्य के पुलिस प्रमुख ) मनोज यादव को इस पद पर आसीन हुए पूरे दो वर्ष पूरे हो गए हैं। हालांकि बीते माह 7 जनवरी को प्रदेश के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव द्वारा जारी एक आदेशानुसार यादव को 20 फरवरी 2021 के बाद आगामी आदेशों तक कार्यकाल विस्तार दे दिया गया। इसी माह 11 फरवरी को केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा केंद्र में डीजीपी/डीजीपी समकक्ष रैंक के लिए उन्हें इम्पैनल भी किया गया है जिस कारण उनके केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने के कयास भी लगाए जा रहे हैं. वह पहले भी जून, 2003 से फरवरी, 2019 तक अर्थात करीब 16 वर्षो तक केंद्रीय इंटेलिजेंस ब्यूरो में बतौर जॉइंट/एडिशनल डायरेक्टर तैनात रहे हैं।
दो वर्ष पूर्व 18 फरवरी 2019 को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनुपालना में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा राज्य सरकार को भेजे गए हरियाणा कैडर के तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के पैनल में से प्रदेश सरकार ने 1988 बैच के आईपीएस मनोज यादव को राज्य के पुलिस प्रमुख पद पर तैनात किया था। इस सम्बन्ध में जारी आदेश में उनका कार्यकाल उनके पदभार ग्रहण करने के 2 वर्षो तक ही उल्लेखित थी हालांकि उनकी आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) से सेवानिवृत्ति 31 जुलाई, 2025 को होगी।
मनोज यादव को दो वर्ष से अधिक कार्यकाल प्रदान करने के लिए राज्य सरकार द्वारा आदेश तो जारी कर दिए गए है, परन्तु इसके साथ ही सरकार को प्रदेश के राज्यपाल से तुरंत एक अध्यादेश प्रख्यापित (जारी) करवाकर उपरोक्त धारा 6 (2 ) में उपयुक्त संशोधन भी करवाना चाहिए ताकि उनके सेवा विस्तार को कानूनी मान्यता प्रदान हो सके। इस अध्यादेश को प्रदेश विधानसभा के आगामी बजट सत्र में हरियाणा पुलिस संशोधन विधेयक के तौर पर पारित करवाकर औपचारिक कानून बनाया जा सकता है।
दिसंबर, 2018 में संशोधन से पूर्व हरियाणा पुलिस एक्ट, 2007 की मूल धारा 6 (2 ) में डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल तो एक वर्ष था परंतु तब उसमे कोई अधिकतम अवधि नहीं निर्धारित की गई थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा 22 सितम्बर, 2006 को पुलिस सुधारों पर दिए गए ऐतिहासिक निर्णय प्रकाश सिंह बनाम भारत सरकार में कोर्ट द्वारा दिए गए छः निर्देशों में हर राज्य के डीजीपी का कार्यकाल न्यूनतम दो वर्ष होना चाहिए चाहे उस पद पर आसीन आईपीएस अधिकारी की रिटायरमेंट की तिथि कुछ भी हो हालांकि इस निर्देश में डीजीपी के कार्यकाल के सम्बन्ध में अधिकतम सीमा का कोई सन्दर्भ नहीं है। हरियाणा पुलिस एक्ट, 2007 की मूल धारा 6 (2 ) में कोई अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं होने के कारण ही तत्कालीन डीजीपी आर.एस.दलाल अपने पद पर छः वर्ष अर्थात नवंबर, 2006 से अक्टूबर, 2012 तक निरंतर तैनात रहे. हेमंत ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के उक्त निर्देशानुसार प्रदेश के डीजीपी पद पर आसीन आईपीएस अधिकारी का कार्यकाल न्यूनतम दो वर्ष होना चाहिए, अधिकतम नहीं।
ज्ञात रहे कि पड़ोसी राज्य पंजाब के 2007 पुलिस कानून में वहाँ के पुलिस प्रमुख का कार्यकाल न्यूनतम 2 वर्ष है हालांकि उसमें अधिकतम कार्यकाल का कोई उल्लेख नहीं है। पंजाब पुलिस के वर्तमान डीजीपी दिनकर गुप्ता, जिन्हें दो वर्ष पूर्व 7 फरवरी 2019 को अमरिंदर सरकार ने नियुक्त किया, उनकी रिटायरमेंट 31 मार्च, 2024 को हैं एवं तब तक उनके डीजीपी पद पर बने रहने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है हालांकि चूँकि पंजाब विधानसभा के अगले आम चुनाव फरवरी-मार्च, 2022 में होंगे, इस कारण गुप्ता का अपनी सेवानिवृत्ति तक प्रदेश का डीजीपी रहने नई राज्य सरकार की इच्छा पर भी निर्भर करेगा।
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि चूँकि राज्य के हरियाणा पुलिस कानून,2007 की धारा 6 (2), जो राज्य के डीजीपी के कार्यकाल से सम्बंधित है एवं जिसमे दिसंबर, 2018 में राज्य विधानसभा द्वारा संशोधन किया गया, जो 10 जनवरी 2019 से प्रभावी हुआ में स्पष्ट उल्लेख है कि डीजीपी का कार्यकाल एक वर्ष से कम नहीं होगा जो एक और वर्ष तक विस्तार योग्य होगा। अत: उक्त धारा के अनुसार डीजीपी की पदावधि मौजूदा कानून अनुसार एक जमा एक अर्थात अधिकतम दो वर्ष तक की ही हो सकती है।
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