1 विधायक 1 पेंशन पर धनखड़ का पलटवार, बोले- राजनीति में आने वाले सभी धनवीर या साधन संपन्न व्यक्ति नहीं होते
4/21/2022 5:02:05 PM
चंडीगढ़(धरणी):पंजाब सरकार द्वारा 1 विधायक 1 पेंशन को अभी संवैधानिक मान्यता नहीं ले पाई है। लेकिन इस घोषणा के बाद हरियाणा के नेताओं की राजनीतिक प्रतिक्रियाओं में काफी विभिन्नता देखी जा रही है। एक और जहां विधायक चौधरी निर्मल सिंह और चौधरी अभय सिंह चौटाला द्वारा पेंशन छोड़ने की सहमति को जायज बताया, वहीं कुछ विधायक पंजाब सरकार के इस फैसले को असंतुलित व्यवहार बता रहे हैं।हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि कई तरह से हजारों करोड़ का माल लुटाया जा रहा है और दूसरी तरफ त्यागी बनने के दिखावे की कोशिश ठीक उसी प्रकार है जैसे सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को जाती है। जनता की नजर उस पर भी है जहां वह हजारों करोड रुपए जनता के अपने राजनीतिक फायदे के लिए उड़ाते हैं। हरियाणा में 29 करोड रुपए विधायकों को पेंशन के रूप में दिए जाते हैं। बहुत से नेताओं पर आय से अधिक संपत्ति रखने के केस चल रहे हैं और अभय सिंह चौटाला पेंशन बंद करने की बात कर रहे हैं। भगवान का दिया उनके पास बहुत कुछ है। उनके यह विचार स्वाभाविक हो सकते हैं। यह उनकी सामर्थ्य हो सकती है। लेकिन बहुत से विधायक बहुत साधारण परिस्थितियों से निकल कर आए हैं। सभी विधायकों की स्थिति एक जैसी नहीं है।
बहुत से विधायकों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि वह पेंशन छोड़ सकें : ओमप्रकाश धनखड़
धनखड़ ने कहा कि कलानौर से विधायक सरिता का काम पेंशन से चलता था। राजनीति में आने वाले सभी धनवीर या साधन संपन्न व्यक्ति नहीं होते। बहुत से साधारण परिवारों से लोग अपनी सेवा के कारण चुनाव जीतकर आते हैं। महिंद्र मशरू जैसे विधायक 7 बार चुनाव जीते। लेकिन पूरी जिंदगी स्कूटर पर ही रहे। सभी की तुलना एक जैसा करना उचित नहीं है। नकली त्यागी और बैरागी बनना ठीक नहीं है। एक जगह अपने राजनीतिक लाभ के लिए जनता की खून पसीने की कमाई को लूटा रहे हैं और दूसरी तरफ उंगली कटवा कर शहीद होना चाहते हैं। धनखड़ ने कहा कि मनोहर लाल पार्ट वन में पूर्व मुख्यमंत्रियों की कोठी व अन्य सुविधाओं पर रोक लगाने का विरोध विधानसभा में स्वयं मैंने किया था और कहा था कि मास्टर हुकम सिंह तक ऐसा नहीं होना चाहिए। वह साधारण परिवार से निकले हुए साधारण समाजवादी व्यक्ति थे। विचारधारा से त्यागी - बैरागी जीवन जीते थे। मेरे विरोध पर सरकार ने यू-टर्न लिया और मास्टर हुकम सिंह के बाद इस पर फैसला लिया गया था। बहुत से उनके बाद बने मुख्यमंत्री अकूत संपत्ति के मालिक हैं। साधन संपन्न हैं। इसलिए इस पर संतुलित फैसला होना चाहिए।
अहीरवाल क्षेत्र की कुर्बानियों को देखते हुए सरकार को मांग पूरी करनी चाहिए : ओमप्रकाश धनखड़
धनखड़ ने इस मौके पर चल रहे अहीरवाल रेजीमेंट की मांग को लेकर आंदोलन पर सहमति जताते हुए कहा कि मैं इसका समर्थक हूं। अहीरवाल क्षेत्र के बहुत भारी संख्या में लोगों ने देश की आजादी के लिए कुर्बानियां दी। आजाद हिंद फौज में भी इस क्षेत्र के बहुत से लोग थे। आज भारतीय फौज में इस क्षेत्र के लोगों की संख्या भारी है। पहले और दूसरे विश्व युद्ध में इनका बड़ा योगदान है। यह पूरा क्षेत्र सैनिकों का इलाका है और आजादी के अमृत महोत्सव साल में मैं इनका पूरी तरह से पक्षधर हूं और मैं इन्हें सलूट करता हूं। सरकार को इनकी बात माननी चाहिए।
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