कार्यालय, घर और कलम का बखूबी निर्वहन कर रहीं धीरा खंडेलवाल

punjabkesari.in Monday, Jan 25, 2021 - 10:35 AM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा): कलम के जरिए कार्यालय में मजबूत प्रशासनिक पकड़ के साथ साथ इसी कलम की मार्फत साहित्य जगत में भी आई.ए.एस. अधिकारी धीरा खंडेलवाल न केवल अपनी एक विशेष पहचान कायम कर रही हैं, अपितु उन द्वारा रचित पुस्तकों ने समाज को भी एक नई दिशा दी है। साहित्य जगत को अनेक पुस्तकें समॢपत कर चुकीं धीरा खंडेलवाल के दो और काव्य संग्रहों च्मेघ मेखलाज् और च्रेशमी रस्सियांज् का मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को विमोचन किया। इस विमोचन के दौरान जहां मुख्यमंत्री खट्टर ने इन पुस्तकों में प्रकाशित कविताओं की सराहना की तो वहीं उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और आई.ए.एस. अफसर की इन पुस्तकों में समाज का सजीव चित्रण साफ दिखाई देता है। 

यही नहीं अनेक अधिकारियों ने भी धीरा खंडेलवाल द्वारा साहित्य क्षेत्र में दिए जा रहे इस अमूल्य सहयोग की सराहना की। उल्लेखनीय है कि वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी धीरा खंडेलवाल लंबे समय से साहित्य जगत से जुड़ी हुई हैं और उन्होंने अपनी मौलिक रचनाओं की करीब एक दर्जन पुस्तकें इस जगत में दी हैं। यही नहीं धीरा खंडेलवाल के पति सेवानिवृत आई.ए.एस. अधिकारी डा. के.के. खंडेलवाल भी साहित्य प्रेमी हैं और वे भी करीब 2 दर्जन पुस्तकें लिख चुके हैं।

अब तक ये पुस्तकें हुईं प्रकाशित
वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी धीरा खंडेलवाल करीब एक दर्जन पुस्तकें लिख चुकी हैं जिनमें कविताएं व लघु कथाएं शामिल हैं। उन द्वारा रचित नेह के दीप, माटी की महक, ओस के मोती, कदमों की लय व कविता संग्रह में मुखर मौन, सांझ सकारे और ख्यालों के खलिहान, तारों की तरफ आदि पुस्तकों ने काफी वाहवाही बटोरी। यही नहीं उनकी एक पुस्तक मन मुकुर भी काफी चर्चाओं में रही और इस पुस्तक का विमोचन हरियाणा के तत्कालीन राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने किया था।

प्रारंभिक शिक्षा दौरान ही साहित्य के प्रति पैदा हुई थी रुचि
वर्ष 1986 बैच की आई.ए.एस. महिला अधिकारी धीरा खंडेलवाल इस समय सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव के तौर पर कार्यरत हैं। महिला होने के नाते जहां वे घर-परिवार को बखूबी संभाले हुए हैं तो वहीं अपनी निष्ठा और ईमानदारी के बूते विभागीय कार्यों को भी दिशा देते हुए नजर आई हैं और कमोबेश अपनी कलम के जरिए साहित्य के क्षेत्र में प्रतिभा का अहसास करवाया है और यही कारण है कि न केवल साहित्य से जुड़े लोगों ने उन्हें कलम का धनी माना है अपितु मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी उनकी रचनाओं से प्रभावित होते हुए इन कविताओं को समाज का आईना बताया।

22 अगस्त 1961 को जन्मी धीरा खंडेलवाल का साहित्य प्रेम बचपन से ही रहा है और वे स्कूल, कॉलेज में पढ़ाई के दौरान भी साहित्य के प्रति अपनी रुचि साबित कर चुकी हैं। इसके अलावा उनके पति डा. के.के. खंडेलवाल भी साहित्य प्रेमी हैं और वे भी अपनी करीब 2 दर्जन पुस्तकें लिख चुके हैं। डा. खंडेलवाल इस समय गुरुग्राम स्थित हरेरा के चेयरमैन के रूप में कार्य कर रहे हैं। डा. खंडेलवाल वर्ष 1985 बैच के आई.ए.एस. अफसर हैं और उन्होंने बतौर एस.डी.एम. इस सफर की शुरूआत की। वे विभिन्न बड़े पदों पर रहे और मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में भी कार्य करने का मौका मिला। इस सर्विस के दौरान अहम पदों पर रहते हुए भी उनका साहित्य के प्रति लगाव कायम रहा।


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vinod kumar

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