सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की मुश्किलों भरी डगर, फसलों के बीच स्कूल जाने को मजबूर बच्चे

2/2/2023 1:02:46 PM

फतेहाबाद (रमेश भट्ट) : अपने बुजुर्गों से सुना होगा कि 60-70 के दशक में शिक्षा प्राप्त करने के लिए वह कई किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल तक पहुंचते थे। युग भले ही बदल गए हों, मगर हालत नहीं। फतेहाबाद के स्वामी नगर प्राईमरी स्कूल के हालत देखकर तो कम से कम ऐसा ही लगता है। यहां स्कूल तक पहुंचने के लिए न तो कोई सीधा रास्ता है और न यहां बच्चों के पीने के लिए पानी की कोई व्यवस्था है। शासन और प्रशासन ने बच्चों के पढऩे के लिए नई बिल्डिंग तो बना दी, मगर इस स्कूल तक पहुंचने के लिए जो डगर बनाई, वो बेहद मुश्किलों भरी है। 

बता दें कि 5 से 10 साल तक की आयु वर्ग के बच्चों को खेतों की पगडंडियों और फसलों के बीच से होकर स्कूल जाना पड़ता है। हालत उस समय विकट होते हैं जब फसलों में पानी भरा होता है या फिर खेत मालिक फसलों के खराब होने के भय से बच्चों को जाने से रोक देते हैं। स्कूल तक जाने के लिए विभाग ने जो रास्ता बनाया है, वह स्वामी नगर इलाके से करीब 5 किलोमीटर पड़ता है। स्कूल आने-जाने में बच्चों को करीब 10 किलोमीटर रास्ता रोजाना तय करना पड़ रहा है। इस सड़क पर हर समय हैवी ट्रैफिक रहता है, जो किसी भी हालत में छोटे-छोटे बच्चों के लिए अनुकूल नहीं है। वहीं खेतों के रास्ते में भी बच्चे अगर अकेले जाते हैं तो परिजनों को अप्रिय घटना का डर बना रहता है। स्कूल परिसर में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। पेयजल के लिए स्कूल समीप ही बनी गौशाला पर निर्भर है। गौशाला से मिलने वाला पानी की क्वालिटी भी बेहद खराब और पीने योग्य नहीं है, मगर बच्चों को हालत से समझौता करना पड़ रहा है। 

स्कूल स्टॉफ का कहना है कि वह कई बार जन स्वास्थ्य विभाग और शिक्षा विभाग को लिख चुके हैं, मगर समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि सुदूर आदिवासी और पिछड़े हुए इलाकों में ऐसी परिस्थितियों के बारे में सुना था, मगर हरियाणा जैसे विकसित राज्य में ऐसा होता है देख भी लिया। कुल मिलाकर सरकारी बाबुओं के इस कारनामे ने जहां एक और बच्चों को परेशानी में डाल कर रख दिया है। वहीं प्रधानमंत्री के स्वपन 'पढ़ेगा इंडिया तो बढेगा इंडिया' को भी धूमिल कर दिया है। इन हालातों में 'कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढेगा इंडिया'।

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Content Writer

Manisha rana