चुनाव में महागठबंधन की चर्चाओं से टिकटार्थी चिंतित !

8/2/2019 12:24:55 PM

फरीदाबाद (महावीर गोयल): हरियाणा में विधानसभा चुनावों को लेकर अब सभी राजनीतिक दल मंथन में जुट गए हैं। ऐसे में महागठबंधन की चर्चाएं इन दिनों जोरों पर हैं। कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से इस महागठबंधन को लेकर ब्यान दिए जा रहे हैं तो वहीं अन्य दल भी महागठबंधन को लेकर कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं। 

इस सबके बीच जिले के ऐसे नेता इन चर्चाओं से परेशान नजर आ रहे हैं जोकि विधानसभा चुनावों की तैयारी पिछले लंबे समय से कर रहे हैं और टिकट को लेकर मजबूती से अपनी दावेदारी जता रहे हैं। उन नेताओं में चिंता का कारण यह है कि यदि महागठबंधन हुआ तो उनकी अपने दल से टिकट मिलने पर संशय की स्थिति बन जाएगी क्योंकि महागठबंधन की स्थिति में यह भी संभव है कि सीटों के बंटवारे के दौरान किसी अन्य राजनीतिक दल के खाते में उनकी सीट चली जाए। ऐसे में उक्त नेता पशोपेश की स्थिति में आ गए हैं। विधानसभा चुनावों की बिसात बिछनी शुरू हो गई है। ऐसे में जहां सत्ताधारी पार्टी भाजपा युद्ध स्तर पर चुनावों की तैयारी में जुट गई है तथा हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों के लिए एक बार फिर मनोहर सरकार तथा अबकी बार 75 पार, के नारे देते हुए जनता के बीच में अपनी पकड़ और अधिक मजबूत करने के लिए संगठन को पूरी तेजी और जोश के साथ मजबूत कर रही है। वहीं अन्य राजनीतिक दल इस मंथन में जुटे हुए हैं कि भाजपा को कैसे रोका जाए। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो वर्तमान में जो हालात हैं, उससे यह स्पष्ट हो चुका है कि भाजपा को छोड़ किसी भी राजनीतिक दल के लिए अपने स्तर पर सत्ता की सीढ़ी चढ़ पाना बहुत अधिक चुनौतीपूर्ण होगा। 

फरीदाबाद जिले में जहां 6 विधानसभा क्षेत्र फरीदाबाद, तिगांव, बल्लभगढ़, एनआईटी, बडख़ल व पृथला हैं। वहीं पलवल जिले में 3 विधानसभा क्षेत्र होडल, हथीन व पलवल आते हैं। ऐसे में उक्त सभी सीटों पर यदि कांग्रेस की बात की जाए तो सभी सीटों पर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडऩे की इच्छा रखने वाले 2 से 3 उम्मीदवार हैं। वहीं बसपा में भी कुछ सीटों पर उम्मीदवार अपनी दावेदारी जता रहे हैं। हालांकि लोसपा व आम आदमी पार्टी के साथ उम्मीदवारों का अभाव है परंतु फिर भी कुछ नेता ऐसे हैं जोकि अपने दल से टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लडऩे की बजाय इन दलों से हाथ आजमाने से भी परहेज नहीं करेंगे। ऐसे में इन नेताओं को आशंका है कि यदि महागठबंधन सिरे चढ़ा तो सीटों का बंटवारा किया जाएगा और ऐसे में संभव है कि उनकी सीट पर किसी अन्य दल का उम्मीदवार गठबंधन का उम्मीदवार बनाकर उतारा जाए।

 दरअसल, टिकट की दावेदारी जता रहे नेता स्वयं को सबसे मजबूत उम्मीदवार बता रहे हैं परंतु यदि महागठबंधन हुआ तो इस बात पर पूरा फोकस होगा कि उसी उम्मीदवार को महागठबंधन का उम्मीदवार बनाया जाए जोकि वास्तविकता में मजबूत हो और भाजपा उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे सके  और सीट को महागठबंधन के खाते में डाल सके। यदि ऐसा हुआ तो कई ऐसे नेता टिकट से वंचित रह जाएंगे जोकि अपनी पार्टी की टिकट पर चुनाव लडऩे का सपना संजोए बैठे हैं। ऐसे नेताओं को फिर या तो फिर महागठबंधन के उम्मीदवार को सहयोग करना पड़ेगा या फिर निर्दलीय ही चुनाव मैदान में हाथ आजमाने पर विवश होना पड़ेगा। इसके अलावा कुछ नेता ऐसे भी हो सकते हैं जोकि निर्दलीय चुनाव लडऩे का रिस्क न लेते हुए टिकट न मिलने पर चुपचाप घर बैठ जाएं।चिंतित
 लावा कुछ नेता ऐसे भी हो सकते हैं जोकि निर्दलीय चुनाव लडऩे का रिस्क न लेते हुए टिकट न मिलने पर चुपचाप घर बैठ जाएं।

Isha