धान घोटालाः राइस मिलों में जिला स्तरीय टीम जल्द करेगी फिजिकल वेरिफिकेशन, 9 नवंबर से पहले होगी गुप्त जांच

11/5/2023 3:22:36 PM

गुहला/चीका (कपिल/नंदलाल): चीका के चार राइस मिलों में से दो मिलों में हुई फिजीकल जांच दौरान लगभग 21 हजार 600 क्विंटल धान घोटाला पाया गया है। हरियाणा कृषि एवं मार्केटिंग बोर्ड की संयुक्त जांच में मामला उजागर हुआ है। जांच के बाद वरिष्ठ अधिकारी डीएमईओ श्याम सुंदर ने बताया था कि एक राइस मिल में 6400 क्विंटल पीआर धान कम पाया गया है, वहीं दूसरी तरफ एक अन्य राइस मिल में लगभग 15 हजार 200 क्विंटल पीआर धान स्टॉक मिलान और गेटपासों के अनुसार कम पाया गया है।

हालांकि अन्य स्टॉक में अंतर पाए जाने पर भी टीम ने मार्केट फीस व जुर्माना भरवाते हुए अपनी कार्रवाई रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को प्रेषित की। इतने बड़े अंतर के पाए जाने के बावजूद भी इस मामले में प्रशासन द्वारा आगामी कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि इस मामले में सूत्रों द्वारा जनाकारी मिली है कि जिस टीम द्वारा जांच की गई थी उसके अनुसार मंडी से धान का कट्टा 37.5 किलोग्राम का था, जबकि राइस मिलों में धान सुखाए जाने के बाद की गई कच्ची भर्ती के अनुसार धान के कट्टों में अलग-अलग वजन होने को लेकर मिलर्स द्वारा उपायुक्त से गुहार लगाई गई थी। जिसको लेकर उपायुक्त द्वारा एक कमेटी गठित की गई और कमेटी के इंचार्ज के तौर पर जिला परिषद सीईओ अश्वनी मलिक को नियुक्त किये जाने की सूचना भी मिली है। वहीं इस मामले में मार्केट कमेटी के कर्मचारी और एजेंसी के कर्मी भी टीम का हिस्सा रहेंगे। ऐसी जानकारी भी प्राप्त हुई है। इस मामले में बड़ा सवाल यह उठता है कि बोर्ड की उच्च स्तरीय टीम द्वारा की गई जांच पर लीपा पोती करने के लिए जिला स्तरीय टीम गठित की गई है, जबकि सरकार भी इस मामले में नतमस्तक हुई दिखाई दे रही है।

इस घोटाले के उजागर होने के बाद न तो जिला कैथल के डीसी प्रशांत पवार फोन उठाते हैं और ना ही डीएफएससी निशिकांत राठी। इस मामले को लेकर जब भी उनसे बात करने का प्रयास किया गया तो अधिकारियों ने फोन नहीं उठाए। जिससे साफ है कि या तो मिलर्स को अधिकारियों का शय है या फिर आगामी कार्रवाई का डर है। बहरहाल यह तो आने वाला समय ही तय करेगा कि इस मामले में अगला कदम क्या होगा।

इस मामले में एक बात तो स्पष्ट है कि जिस मार्केटिंग बोर्ड की टीम ने पहले जांच की थी, उसने अपनी ईमानदारी का परिचय तो दिया ही दिया साथ ही मीडिया को भी पाई गई खामियों के बारे खुले तौर पर जानकारी दी। जबकि दूसरी तरफ जिला स्तर पर गठित की गई टीम की मंशा क्या है कुछ कहा नहीं जा सकता, लेकिन इतना जरूर तय है कि यदि टीम द्वारा तथ्यों को सिर्फ कागजात तक ही सीमित रखा गया तो किसी नए गोलमाल के अंदेशे से इंकार नहीं किया जा सकता। अधिकारियों द्वारा जहां किसी भी जांच को लेकर स्थिति शीशे की तरह स्पष्ट कर दी जानी चाहिए, वहीं जांच कब शुरू होगी यह बताने से भी गुरेज करना अधिकारियों की मंशा को पहले ही स्पष्ट कर रहा है।

हालांकि आगामी जांच में क्या निकल कर आता है। वह नहीं कहा जा सकता। दूसरी तरफ यदि बात करें तो पुन: जांच में यदि मिलर्स का स्टॉक पूरा मिलता है या पहले से कम खामियां मिलती हैं तो उसकी वजह बीच का यह समय का अंतर होगा या फिर अधिकारियों द्वारा अंदर खाते की सेटिंग वो भी स्पष्ट तौर पर कहा नहीं जा सकता। बहरहाल यह जांच का विषय है और आगामी 9 नवंबर तक जो जांच होनी है। उसमें समय बढ़ता है या फिर रिपोर्ट पेश करने का यही सही तय समय है वो भी अभी कहा नहीं जा सकता। इसके अलावा मिलर्स के परिसर के अंदर ही स्टॉक होना चाहिए ऐसी शर्त सीएमआर कांट्रेक्ट में लिखे होने की पुष्टि मार्केटिंग बोर्ड के डीएमईओ. खुद कर चुके हैं। 

मार्केटिंग बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी डी.एम.ई.ओ. भिवानी श्याम सुंदर से इस मामले में बात की गई तो उन्होंने कहा कि मिलर्स हमारा लाईसेंसी है। जिस समय हमने जांच की तो मिलर्स ने जांच रिपोर्ट पर सहमति के हस्ताक्षर किए हुए हैं और हर तरह की जिम्मेदारी भी ली हुई है। हमारे द्वारा की गई जांच भी अंतिम नहीं थी और नई टीम जांच करेगी वह भी अंतिम जांच नहीं होगी। हमारी जांच के समय के अंतराल के बाद अब यदि कोई अंतर कम या ज्यादा पाया जाता है तो भी उस दौरान से जांच दौरान तक की सीसीटीवी. फुटेज ही गवाही दे देंगी।
 
इस मामले में नई जांच टीम के इंचार्ज एवं सीईओ जिला परिषद अश्वनी मलिक से दूरभाष पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि जांच किए जाने को लेकर कोई जानकारी उनकी तरफ से उजागर नहीं की जा सकती। जबकि जांच कब शुरू होगी वो इस बारे भी नहीं बताएंगे। उन्होंने इस संबंध में यही कहा कि इस संबंध में जांच पूरी करने का 9 नवंबर तक का समय दिया गया है। इससे ज्यादा कोई जानकारी नहीं दी जा सकती।

सीएमआर यानि कस्टम राइस मिलिंग की शर्तों के मुताबिक बहुत सी ऐसी शर्तें हैं, जिनको लेकर परेशानियों का सामना मिलर्स को करना पड़ सकता है। जिनमें से एक बड़ी शर्त यह भी है कि मिलर्स द्वारा सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में अपना स्टॉक पूरा किया जाना होगा। जबकि यह शर्त यदि पूर्ण रूप से लागू हैं तो बहुत ज्यादा जांच पड़ताल की भी आवश्यक्ता शायद न हो।  

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Content Editor

Saurabh Pal