कैदियों को नहीं देख रहे सरकारी अस्पतालों के डाक्टर्स , इलाज बगैर ही लौट रहे वापस जेल

12/18/2019 12:00:34 PM

डेस्कः हरियाणा की जेलों में बंद कैदियों को सरकारी अस्पतालों के डाक्टर इलाज में तवज्जो नहीं दे रहे हैं। जेलों से इलाज के लिए सरकारी अस्पताल या चिकित्सा संस्थान में जाने वाले कैदियों को डाक्टर रोगियों की कतार में या तो सबसे पीछे खड़ा रहने देते हैं या फिर देखते नहीं। इस वजह से कैदी इलाज के बगैर जेलों में आ जाते हैं और बीमारी की हालत में मर्ज के साथ तड़पते रहते हैं। हरियाणा की जेलों में कई कैदियों को डाक्टरी इलाज की जरूरत है और जेलों में स्पैशलाइज्ड डाक्टर्स का अभाव है। यह खुलासा हाल ही में हरियाणा ह्यूमन राइट कमीशन द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में हुआ है। कमीशन ने प्रदेश की 5 जेलों अम्बाला, गुरुग्राम, कुरुक्षेत्र,करनाल और हिसार का दौरा किया है।

कमीशन की टीम ने पाया कि कैदियों को अस्पताल में ले जाने से पहले जेल में जो औपचारिकताएं पूरी की जाती हैं,उनकी वजह से कैदी दोपहर 12 बजे के बाद अस्पताल के लिए जेल से निकाले जाते हैं। जेल से जब कैदी अस्पताल पहुंचते हैं तो डाक्टर उनको अन्य पेशैंट्स की तरह ही लंबी कतारों में खड़ा रखते हैं। कई बार जब तक कैदियों की ओ.पी.डी. में बारी आती है तब तक समय खत्म हो जाता है और कैदी इलाज के बगैर जेल लौट आते हैं। नतीजतन कैदियों को कई किस्म की स्किन डिसीज ने घेर लिया है। स्किन एलर्जी, फंगल इंफैक्शन, स्कैबिज, दाद-खाज की वजह से कैदी परेशान हैं। किसी को आंख की समस्या है तो किसी को न्यूरोलॉजिस्ट के डाक्टर को दिखाने की जरूरत है। बहुत से कैदी तनाव में भी हैं।

करनाल के कैदियों को मिल रही कीड़े युक्त गेहूं की रोटी?
कमीशन ने करनाल जेल के निरीक्षण में कैदियों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी देखी। साथ ही ठंड के इस मौसम में कैदियों को दिए जाने वाले बिस्तर, रजाई और गर्म कपड़ों का जायजा लिया। पिछले दिनों सैंट्रल जेल करनाल के कैदियों ने जेल सुपरिटैंडैंट शेर सिंह के खिलाफ जेल अधिकारियों को लिखित शिकायत दी थी। कैदियों ने शिकायत में कहा था कि उन्हें जेल में मानसिक व शारीरिक तौर पर प्रताडि़त किया जा रहा है। खाना गंदे बदबूदार राशन से तैयार किया जा रहा है। रोटी के लिए कीड़े युक्त गेहूं के आटे का इस्तेमाल किया जा रहा है। सर्दी के मौसम में गर्म कपड़े नहीं दिए जा रहे। कंबल व रजाई से भी महरूम रखा जा रहा है। कैदियों को पैरोल की इजाजत भी सिर्फ रिश्वत देने पर मिल रही है। इन गंभीर आरोपों के बाद डायरैक्टर जनरल प्रिजन ने जांच के आदेश दिए थे। इंस्पैक्टर जनरल ऑफ प्रिजन पूर्ण कुमार द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट डायरैक्टर जनरल ऑफ पुलिस ने सौंपी थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि कैदियों द्वारा लगाए गए आरोपों की पुष्टि नहीं हुई। 

इस जांच रिपोर्ट के प्रति हरियाणा ह्यूमन राइट कमीशन ने असंतुष्टि जताते हुए करनाल जेल का खुद निरीक्षण किया और पाया कि जेल सुपरिटैंडैंट पिछले कई सालों से इसी जेल में नियुक्त हैं,जबकि हरियाणा सरकार के नियम कहते हैं कि कोई भी अधिकारी लंबे समय तक एक ही कुर्सी पर नहीं रह सकता। कमीशन की जांच रिपोर्ट कहती है कि कैदियों द्वारा लगाए गए सभी आरोपों की पुष्टि तो नहीं होती है परंतु जेल सुपरिटैंडैंट के खिलाफ कमीशन के पास अन्य भी शिकायतें  पहुंच चुकी हैं। कमीशन के अध्यक्ष जस्टिस एस.के. मित्तल और सदस्य जस्टिस के.सी. पुरी ने अपने आदेशों में जेल प्रबंधन से सिफारिश की है कि न्याय को ध्यान में रखते हुए करनाल जेल के सुपरिटैंडैंट को 2 महीने के अंदर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित कर दिया जाए।

बढिय़ा बेकरी है जेल में
हरियाणा ह्यूमन राइट कमीशन के सदस्य दीप भाटिया का कहना है कि अम्बाला, गुरुग्राम, कुरुक्षेत्र और हिसार की जेलों में कैदियों को खाने के लिए बहुत ही बढिय़ा खाना दिया जाता है। निरीक्षण में पाया गया कि अम्बाला में तो बहुत ही बढिय़ा बेकरी भी चल रही है,जहां से कैदी न केवल अच्छे बिस्कुट, केक, पेस्ट्रीज खा सकते हैं, बल्कि बेकिंग भी सीख रहे हैं। यहां की बेकरी की चीजें राज्य की अन्य जेलों में भी भेजी जाती हैं। रही बात करनाल जेल के खाने की तो कैदी ऐसे आरोप क्यों लगा रहे हैं,यह भी देखने की जरूरत है।  मिल रहा निम्न दर्जे का इलाज
कमीशन ने निरीक्षण में पाया कि जेलों में बंद कैदियों को निम्न दर्जे का इलाज मिल रहा है। डाक्टर्स की कमी के चलते पेशैंट्स को इलाज की समुचित सेवा नहीं मिल पा रही है। पी.जी.आई. रोहतक जैसे चिकित्सा संस्थान के डाक्टर भी कैदियों के स्वास्थ्य को तवज्जो नहीं दे रहे। कैदियों को तनाव से दूर करने के लिए साइकेट्रिक होना बहुत जरूरी है, जो काऊंसङ्क्षलग कर उन्हें तनाव से बाहर निकाल सके लेकिन वह भी नहीं है। 

Isha