अब पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा करने वाले डॉक्टर्स भी रखे जा सकेंगे कॉन्ट्रैक्ट पर

6/30/2018 11:43:59 AM

चंडीगढ़(अर्चना): हरियाणा के मैंटल हैल्थ प्रोग्राम को नई उड़ान मिली है। राज्य के मैंटल हैल्थ प्रोग्राम के इतिहास में यह पहली बार है जब एम.डी. डिप्लोमा करने वाले डाक्टर्स को कांटै्रक्ट पर नियुक्त करने का फैसला लिया गया है। पहले हरियाणा स्वास्थ्य विभाग में सिर्फ पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री उत्तीर्ण डाक्टर्स को ही नियुक्त किया जाता था। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए निर्देशों को ध्यान में रखते हुए मैंटल हैल्थ प्रोग्राम में डाक्टर्स की रिक्त पद जल्द से जल्द भरने का फैसला किया गया है। 

प्रोग्राम की राह में पिछले लंबे समय से डाक्टर्स की रिक्त पोस्ट रुकावट का काम कर रही थी। सूत्रों की मानें तो पिछले दिनों हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था कि रिक्त पोस्ट अगर रैगुलर डाक्टर से नहीं भरी जाती हैं, तो इन पोस्ट को कांटै्रक्ट पर भरने की अनुमति दी जाए। सूत्रों की मानें तो मंत्रालय ने विभाग के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए उन डाक्टर्स को भी कांटै्रक्ट पर नियुक्त किए जाने की स्वीकृति दे दी है जिन्होंने एम.डी. डिप्लोमा किया है। 

रैगुलर डाक्टर्स को नियुक्ति पर 1.25 लाख रुपए जबकि कांटै्रक्ट पर रखे जाने वाले डाक्टर को 95,000 रुपए वेतन दिए जाने का फैसला लिया गया है। हरियाणा के मैंटल हैल्थ एंड डि-अडीकशन सर्विसेज की डायरैक्टर हैल्थ सर्विस ने विभिन्न जिलों के सिविल सर्जन्स को प्रोग्राम के अंतर्गत डाक्टर्स की रिक्त पोस्ट भरे जाने के बाबत आज निर्देश जारी कर दिए हैं। हरियाणा के फरीदाबाद, नारनौल, भिवानी, झज्जर, जींद, रोहतक जिलों के सिविल अस्पतालों में साइकेट्रिस्ट डाक्टर्स के अभाव की वजह से मैंटल हैल्थ प्रोग्राम रफ्तार नहीं पकड़ रहा था। 

हरियाणा में मैंटल हैल्थ प्रोग्राम की शुरूआत 3 जिलों हिसार, गुरुग्राम और कुरुक्षेत्र से की गई थी। वर्ष 2015-16 में प्रोग्राम का प्रसार पंचकूला में किया गया। वर्ष 2016-17 में अम्बाला, फरीदाबाद, फतेहाबाद, नारनौल, झज्जर और यमुनानगर में प्रोग्राम शुरू कर दिया गया था। वर्ष 2017-18 में राज्य के 21 जिले प्रोग्राम के साथ जुड़ जाएंगे। प्रोग्राम के अंतर्गत साइकेट्रिस्ट डाक्टर्स की रिक्त पोस्ट भरी जाएंगी।

राज्य से दूर होगा मैंटल हैल्थ डिसीज
हरियाणा राज्य में मैंटल हैल्थ को बेहतर बनाने का फैसला लिया गया है। मैंटल हैल्थ प्रोग्राम के साथ राज्य के 21 जिले जोड़े जाएंगे। तनाव को समय पर दूर न किया जाए तो यह बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। डिप्रैशन की वजह से ही लोग खुदकुशी कर लेते हैं या खुद को नशे में झोंक देते हैं। 

12 साल से लेकर 15 साल की उम्र के किशोरों की मैंटल हैल्थ बढिय़ा होगी तो वह भावी जीवन में भी स्वस्थ रह सकेंगे। इसी आशय को ध्यान में रखते हुए प्रोग्राम के अंतर्गत जिलों के अस्पतालों में बनी मैंटल हैल्थ अवेयरनैस टीम को स्कूल व कॉलेजों में भेजा जा रहा है। बच्चों से लेकर बड़ो तक की काउंसलिंग की जा रही है। 
 

Rakhi Yadav