सलाम: लॉकडाउन में एक मां की दोहरी भूमिका, खेत में गेहूं की कटाई के साथ कर रही ये काम

4/27/2020 3:42:36 PM

राेहतक(दीपक): कोरोना जैसा संकट भी देश के अन्नदाता का हौसला परास्त नहीं कर पाया। इस लॉकडाउन के दौरान एक मां की दोहरी भूमिका सामने आई है, उसने साबित कर दिया है कि वह एक किसान भी है और जरूरत पड़ने पर एक शिक्षिका भी बन सकती है।



लंबे से घूंघट में एक लेडी फार्मर गेहूं की कटाई भी कर रही है और लॉकडाउन की के कारण बंद पड़े स्कूलों की वजह से अपने बच्चों को खेत में ही पढ़ा भी रही है।गेंहू की कटाई काे बीच बीच में छोड़कर घूंघट में लिपटी बिमलेश कभी बच्चों को पढ़ाने उठती है तो कभी गेंहू की कटाई करने बैठ जाती है। कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन में लगभग सभी प्रवासी मजदूर पलायन कर चुके हैं, जिसके कारण किसानों को काफी परेशानी हो रही है और समय पर गेंहू की कटाई भी नहीं हो रही है।

कहते है हौसलों से उड़ान होती है, लॉकडाउन की वजह से सब कुछ अस्त व्यस्त हो चुका हैं, ऐसे में बिमलेश को मां की भूमिका निभानी है और एक किसान की भी। पलायन कर चुके मजदूरों से फैले संकट के बाद अन्नदाता के सामने फसल बचाने का भी सवाल खड़ा है और अपने बच्चों के भविष्य का भी।



इस लॉकडाउन में एक लेडी फार्मर खेत में गेंहू की फसल भी काट रही है और लॉकडाउन में बंद पड़े स्कूलों की वजह से अपने बच्चों को भी खेत में ही पढ़ा रही है। बिमलेश किसान बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित है। यही कारण है कि बच्चों को घर में छोड़ने की बजाए महिला किसान ने खेत में ही पाठशाला लगा दी ताकि बच्चों का भविष्य खराब न हो सके और वो शिक्षा से वंचित न रह जाए।

बोल बोल कर गोद में रखी किताब पढ़ रहे बच्चे जब कभी अटक जाते तब बिमलेश गेहूं की कटाई छोड़ बच्चों को बढ़ाने आ जाती है। गांव की परंपरा के अनुसार आज भी ये महिलाएं लंबा सा घूंघट ओढ़े रहती है। उनका का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से अबकी बार मजदूर नहीं मिल रहे, इसलिए खुद ही गेहूं की कटाई करनी पड़ रही है।



उन्हाेंने कहा कि स्कूल बंद होने की वजह से खेत में बच्चों को साथ लेकर आ रहे है और यही उनकी पढ़ाई करवाई जा रही है। इस लेडी फार्मर का हौसला देखकर तो यही लगता है कि भारत कोरोना जैसी भयानक बीमारी से लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

Edited By

vinod kumar