दुष्यन्त ने देवीलाल की जगह गौतम को माना दादा, अगर ऐसा न करता तो आज CM होता : OP चौटाला

10/16/2020 9:20:16 AM

चंडीगढ़ (चंद्र शेखर धरणी) : देश प्रदेश की राजनीति में कद्दावर नेताओं में शुमार हरियाणा के पूर्व मुख्यमन्त्री एवं इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चैटाला की पंजाब केसरी से हुई विशेष बातचीत में हरियाणा सरकार को जंहा खूब आडे़ हाथों लिया। वहीं प्रदेश के उप-मुख्यमन्त्री एवं अपने पौत्र दुष्यन्त चैटाला को भी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि दुष्यन्त ने गलती से चौ देवीलाल को दादा न मानकर गौतम को दादा मान लिया था। अगर वो ऐसा न करते तो वो उप-मुख्यमन्त्री की जगह मुख्यमन्त्री होते। उन्होंने सरकार को पूरी तरह से फेल बताया। उनसे बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैंः-

प्रश्न : अकाली दल ने इन किसान अध्यादेशों का विरोध किया है। बी.जे.पी. का साथ भी छोड़ दिया है। कैसे देखते हैं इसे और क्या भविष्य में इनेलो अकाली का गठबंधन मुमकिन है?
उत्तर : आप अतीत में झांके तो इनेलो-बी.एस.पी. ने भी मिलकर चुनाव लड़ा था। उसके बाद बी.एस.पी. छोड़कर चली गई थी। अकाली दाल भी किसानों के लिए लड़ाई लड़ने वाली पार्टी है और हम चैधरी देवीलाल की नीतियों का अनुसरण करने वाले हैं। इसलिए राजनीति में किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। हो सकता है अकाली और इनेलो दोबारा मिलकर चुनाव लड़े।

प्रश्न : लेकिन एस.वाई. एल मामले में अकाली हमेशा हरियाणा के विरोध में खडे दिखते हैं। ऐसे में किस तरह से मिलकर आगे बढ़ पाएंगे?
उत्तरः- हम अपने फैसले पर अडिग हैं और सर्वोच्च न्यायालय ने भी यही फैसला दिया है कि हरियाणा को उसका हक मिलना चाहिए। पंजाब का हर आदमी चाहे वो किसी भी राजनीतिक दल से हो चाहेगा कि पंजाब को एस.वाई.एल. का ज्यादा पानी मिले और हरियाणा का हर आदमी यह चाहेगा कि हरियाणा को उसका हक मिले।

प्रश्न : नवंबर 2016 में सर्वोच्च न्यायालय का हरियाणा के हक में दिया फैंसला आज तक भी इम्पलीमेंट नही हो पाया। किसे दोषी मानते हैं क्या इसमें सरकार की कहीं कमजोरी रही?
उत्तरः- शुरू में जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि केंद्र सरकार दोनों प्रदेशों से मिलकर मामले को सुलझाए। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। फिर हरियाणा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन केंद्र सरकार उस समय पंजाब के अकाली दल के सहयोग से सरकार चला रही थी। हो सकता है शायद इसलिए हरियाणा का हक हमे न मिल पाया हो। क्योंकि अब अकाली-भाजपा गठबन्धन टूट चुका है। देखते हैं आगे क्या होगा।  हमारी लड़ाई किसी भी राजनीतिक दल से नही है। हम अपने अधिकार का पानी लेने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार की हैं।

प्रश्न : क्या यह मुमकिन है कि जे.जे.पी. की वापसी हो?
उतरः-हमें किसी से कोई आपत्ति नहीं है। जब वह छोड़ कर गए थे तो भी हमने कहा था कि मिलकर चुनाव लड़ो। अगर वह मेरी बात मानते तो परिस्थितियां हमारे अनुकूल होती। हरियाणा में जो माहौल था अगर हम इकट्ठे होकर चुनाव लड़ते तो प्रदेश में हमारी सरकार बननी थी। मैं और अजय उस समय जेल मे थे। इसलिए हम तो मुख्यमंत्री बन नही सकते थे। अभय ने भी इंकार कर दिया था। तो निश्चित तौर पर चैथी पीढ़ी को ही मौका मिलता। लेकिन चैथी पीढ़ी गलती से चैधरी देवीलाल को दादा न मानकर गौतम को दादा मान बैठे। अगर हमारी सरकार बनती तो दुष्यंत चैटाला डिप्टी सीएम नहीं सी.एम. बनता।

प्रश्न : अध्यादेशो के विरोध पर कुरुक्षेत्र में किसानों पर लाठियां भांजी गई। क्या आप मानते हैं कि जे.जे.पी. को गठबंधन तोड़ देना चाहिए और किसानों के हक की आवाज बुलन्द करनी चाहिए?
उत्तरः-किसानों के नाम पर वोट लिए गए। लेकिन आज वह अपने स्वार्थों को तवज्जो दे रहे हैं। मैं केवल उनकी नहीं बहुत से हमारे साथी जिनको हमने बहुत सम्मान दिया और पार्टी में रहते हुए बहुत मौज ली जैसे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा, रामपाल माजरा, परमिंद्र ढुल, प्रो0 संपत सिंह समेत बहुत से हमारे कार्यकर्ता हमें छोड़ कर चले गए। आज वह पार्टी में वापस आने के लिए तरस रहे हैं। कई जे.जे.पी. के विधायक पार्टी को छोडने की तैयारी में हैं।

प्रश्न : अगर जे.जे.पी. की इनेलो में वापसी होती है और सरकार बनती है तो क्या फिर भी दुष्यंत चैटाला ही मुख्यमंत्री होंगे?
उत्तरः- हम किसी से द्वेष और विरोध नहीं रखते हैं। लेकिन बिच्छू की आदत डंक मारने की होती है और जो बार-बार डंक खाएगा। वह मूर्ख होगा, समझदार नहीं। दगेबाज और धोखेबाज को अपनाकर हम फिर से लोगों का नुकसान करवाने के पक्ष में नहीं है। पांडवों ने 12 साल का अज्ञातवास और श्री रामचंद्र ने 14 साल का बनवास काटा हमें 15 साल हो गए हैं और इन 15 सालों में लोगों का भारी नुकसान हुआ है। हमारी सरकार आने पर सरकारी कोष से नुकसान की भरपाई की जाएगी।

प्रश्न : सरकार बहुत बड़े-बड़े दावे कर रही है। आप क्या मानते हैं सरकार कैसी चल रही है?
उत्तरः- देश-प्रदेश की हालत बहुत खराब है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है हमारे देश की अर्थव्यवस्था कृषि पर टिकी है। अगर किसान खुशहाल है तो देश खुशहाल है और अगर किसान कंगाल है तो देश कंगाल है। हर वर्ग परेशान है। व्यापारी, कर्मचारी, मजदूर, छोटे दुकानदार हर वर्ग आज त्राहि-त्राहि मचा रहा है और इस सरकार ने कोरोना कॉल में लूट मचाने का काम किया है और अपनी जेबें भरने का काम किया। आज शिक्षण संस्थान बंद है लेकिन बच्चों से फीस वसूली जा रही हैं। स्वर्गीय देवीलाल ने बच्चों की हौसला अफजाई के लिए 1 रूपया  प्रति बच्चे को देने का निर्णय किया था। लेकिन आज 5 रूपये प्रति बच्चे से सरकार कोरोना की आड में वसूल रही है। स्कूल हैं तो टीचर नहीं है। अस्पताल है डॉक्टर नहीं है। मंडी में फसल डालने की जगह नहीं है। सड़क के किनारे फसलों के ढेर लगे हुए हैं। फसल का उचित मूल्य मिल नहीं पा रहा है। सीएम विंडो नाम से मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी लेकिन विंडो बंद पड़ी है। आज मंत्री अपनी सरकार से संतुष्ट नही हैं। अपने विभाग के अधिकारियों की बदली की पावर मंत्रियों के पास नहीं है। सीएम की बात अधिकारी मानते नहीं है। अपराध चरम पर हैं। आज प्रदेश पर 2 लाख करोड से भी अधिक का कर्ज है जबकि हम जब सरकार छोडकर गए थे तो सरकारी कोष में ख्ूाब पैसा छोडकर गए थे। अगर हमारी सरकार आती है तो हम भविष्य में अतीत से भी अच्छे काम करेंगे और बड़े-बड़े निर्णय लेंगे।

Manisha rana