रजिस्ट्री गड़बड़ी मामले में दुष्यंत के तीखे तेवर बरकरार, अब फरीदाबाद व सोनीपत जिला राडार पर

punjabkesari.in Monday, Aug 03, 2020 - 08:41 AM (IST)

चंडीगढ़ (बंसल) : हरियाणा में जमीनों की अवैध रजिस्ट्री करने वालों के खिलाफ उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के तेवर अभी ढीले नहीं पड़े हैं। गुरुग्राम के 6 अधिकारियों को सस्पैंड करने के बाद आधा दर्जन पटवारियों पर भी जल्द ही गाज गिर जाए तो हैरानी नहीं होगी। इसके अलावा, एन.सी.आर. क्षेत्र के फरीदाबाद और सोनीपत जिलों के राजस्व अधिकारी भी दुष्यंत चौटाला के राडार पर हैं। भविष्य में इस तरह की गड़बडिय़ां न हों, इसलिए राजस्व विभाग को रजिस्ट्री करने के सिस्टम में बड़ा बदलाव करने के निर्देश दिए हैं।

सूत्रों की मानें तो उक्त सारे मामले में ढिलाई व सुस्ती बरतने वाले कई आला अधिकारियों को भी डिप्टी सी.एम. ने फटकार लगाई है कि इतने वर्षों से चले आ रहे गड़बड़झाले की तरफ ध्यान क्यों नहीं दिया। जिससे प्रदेश को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ। गौरतलब है कि हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कार्यभार संभालते ही अपने अधीन विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक लेकर कार्यों को ऑनलाइन करने के निर्देश दे दिए थे। 

रजिस्ट्री प्रक्रिया में होगा बड़ा बदलाव 
सूत्रों अनुसार उपमुख्यमंत्री के निर्देशानुसार जमीनों की रजिस्ट्री के मामले में राज्य सरकार सख्त नियम बनाने जा रही है ताकि भविष्य में कोई गड़बड़ी न हो। शहरों 7-ए के तहत आने वाली जमीन की लिमिट और कृषि श्रेणी रजिस्ट्री के लिए अब डी.सी. सीधे जिम्मेदार होंगे। रजिस्ट्री डी.सी. की मंजूरी पर ही होगी। अब तक इंडियन रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 के तहत डी.सी. अपने जिले में रजिस्ट्रार होता है लेकिन किसी भी डीड पर डी.सी. के साइन नहीं होते थे। अब डी.सी. के साइन भी होंगे और उन्हें जांच करवाकर परमिशन देनी होगी।

नियम में ‘ऑन अप्रूवल डिप्टी कमिश्नर’ शब्द जोड़ा जाएगा। अब रजिस्ट्री से पहले प्रॉपर्टी टैक्स व हाऊस टैक्स का भुगतान करना अनिवार्य होगा। प्रॉपर्टी व हाऊस टैक्स जो हमेशा बकाया रहता है, उसका भुगतान होने लगेगा। डिप्टी सी.एम. दुष्यंत चौटाला ने बताया कि जमीन की रजिस्ट्री के काम से जुड़े राजस्व विभाग, टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग, शहरी निकाय, एच.एस.वी.पी., एच.एस.आई.आई.डी.सी. समेत जितने भी संबंधित विभाग हैं, उनका ज्वाइंट सिस्टम तैयार हो रहा है, जिस पर सभी का डेटा ऑनलाइन होगा। एक ऐसा ज्वाइंट सॉफ्टवेयर बनाया जा रहा है जिसमें जमीन का सारा रिकार्ड लॉक होगा और वह बिना प्रोसैस नहीं खुलेगा। 

रजिस्ट्री नियमों का ऐसे फायदा उठाया डीलरों व अधिकारियों ने
टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग अर्बन एरिया से लगती एग्रीकल्चर जमीन को भविष्य की प्लानिंग के लिए रोककर उसे 7-ए अधिसूचित एरिया घोषित करता है। राज्य सरकार ने 3 अप्रैल 2017 को हरियाणा डिवैल्पमैंट एंड अर्बन रैगुलेशन एक्ट 1975 की धारा 7-ए में संशोधन किया। जिसमें खाली जमीन की जगह एग्रीकल्चर और एक हैक्टेयर की जगह लिमिट 2 कनाल कर दी। यानी 2 कनाल से ज्यादा की रजिस्ट्री के लिए एन.ओ.सी. जरूरी नहीं रही। इसका फायदा उठाकर प्रॉपर्टी डीलर व अधिकारियों ने उठाया।

सूत्रों ने बताया कि 7-ए अधिसूचित एरिया में जो नया प्रावधान होने जा रहा है, उसमें एग्रीकल्चर शब्द का प्रयोग ही नहीं होगा। वहीं 2 कनाल की लिमिट भी नहीं रहेगी। मौजूदा घोटाले में सबसे अधिक उल्लंघन 7-ए में ही हुआ है। इससे 7-ए अधिसूचित एरिया और स्पष्ट हो जाएगा। उसमें किसी तरह की कैटेगरी न रहने से अलग-अलग नियमों के चक्कर में नहीं पडऩा होगा, इससे गड़बड़ी को पकडऩा आसान होगा।


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Edited By

Manisha rana

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