ई.बी.पी.जी.सी. का आरक्षण समाप्त नहीं, केवल रोक

3/2/2018 11:25:35 AM

जींद(ब्यूरो): पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा पिछले दिनों हरियाणा में E.P.P.G.C. के आरक्षण पर फिलहाल रोक लगाए जाने के निर्देश के बाद हरियाणा सरकार ने पत्र जारी कर तमाम विभागाध्यक्षों, उपायुक्तों, आयुक्तों को यह लिखा था कि EBPGC को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। 

इस पत्र को हाईकोर्ट के आदेशों के अनुरूप नहीं बताते हुए ब्राह्मण आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिराम दीक्षित की अगुवाई में सीएम से मिले 4 जातियों के प्रतिनिधिमंडल ने पत्र में संशोधन किए जाने की मांग की थी। इसके बाद प्रदेश सरकार ने पहले वाले पत्र में संशोधन करते हुए नया पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि E.P.P.G.C.  के आरक्षण को रद्द नहीं किया गया बल्कि इस पर रोक लगाई गई है।पिछले दिनों पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कालिंदी वशिष्ठ बनाम स्टेट ऑफ हरियाणा की याचिका की सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किए थे कि E.P.P.G.C.  के आरक्षण पर रोक लगाई जाती है। 

यह रोक नौकरियों से लेकर सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में दाखिले को लेकर लगाई जाती है। इन आदेशों के बाद प्रदेश सरकार ने 21 फरवरी को पत्र जारी कर हाईकोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा था कि इस आरक्षण को हाईकोर्ट ने स्ट्रक डाऊन कर दिया है। इस तरह का पत्र हरियाणा के मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से जारी होने के बाद ब्राह्मण आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिराम दीक्षित की अगुवाई में ब्राह्मण, बनिया, पंजाबी और राजपूत समुदाय के लोगों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिला। 

प्रतिनिधिमंडल के साथ शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा भी थे। मुख्यमंत्री के नोटिस में मुख्य सचिव कार्यालय से जारी पत्र में हाईकोर्ट के आदेशों को गलत तरीके से लिखे जाने का मामला लाते हुए इसे सही किए जाने की मांग की। इस पर सीएम ने मुख्य सचिव से बात की और इसमें हाईकोर्ट के आदेशों का पूरी तरह अध्ययन कर रिपोर्ट देने को कहा। 

जब हाईकोर्ट के आदेशों का अध्ययन हुआ तो यह बात सामने आई कि हाईकोर्ट ने E.P.P.G.C. के आरक्षण को रद्द नहीं किया बल्कि इस पर स्टे आर्डर जारी किए हैं। इसके बाद मुख्य सचिव कार्यालय की तरफ से पत्र क्रमांक 23-10-2013-वनजीएसट्रीपलआई में EBPGC के आरक्षण को स्ट्रक डाऊन के बजाय केवल इस पर रोक के आदेश जारी किए गए। इसे लेकर ब्राह्मण आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरिराम दीक्षित ने कहा कि सरकार के पहले पत्र से भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी।