ईडी ने हुड्डा से दूसरे दिन भी लंबी की पूछताछ, जानिए क्या और क्यों लगे आरोप

7/26/2019 9:30:09 PM

चंडीगढ़ (ब्यूरो): हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से ईडी ने पंचकूला में औद्योगिक प्लॉट आवंटन घोटाला मामले को लेकर दूसरे दिन भी करीब 6 घंटे तक पूछताछ की। इस लंबी पूछताछ में हुड्डा के बयान दर्ज करवाने के बाद वे अपने घर के लिए रवाना हुए। पंचकूला में औद्योगिक प्लॉट आवंटन घोटाला मामले में हुड्डा पिछले दो दिनों से लगातार ईडी की जांच का सामना कर रहे हैं। इसी मामले को लेकर अतीत में सीबीआई ने भी हुड्डा से कई बार पूछताछ की है। यहां तक उनके रोहतक निवास पर भी सीबीआई छापेमारी कर चुकी है। इसी मामले को लेकर बीते दिन भी ईडी ने हुड्डा से तकरीबन 9 घंटे तक पूछताछ की थी, जिन्हें देर रात छोड़ा गया था।

क्या है पूरा मामला ,2011 में मांगे थे प्लॉटों के आवेदन
हुड्डा सरकार में वर्ष 2011 में पंचकूला में औद्योगिक प्लॉट आवंटित करने के लिए आवेदन मांगे गए थे। ये प्लॉट 496 वर्ग मीटर से लेकर 1280 वर्ग मीटर तक के थे, जिसके लिए हुडा के पास 582 आवेदन आए थे। अलॉटमेंट के लिए 14 का चयन किया गया था। विजिलेंस और सीबीआई को मिली शिकायत के मुताबिक इस आवंटन में जमकर भाई भतीजावाद हुआ था। लाभ हासिल करने वालों में हुड्डा के रिश्तेदार तक शामिल हैं|

आरोप है की हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर पंचकूला में औद्योगिक प्लॉट आवंटन मामले में  नियमों की अनदेखी करते हुए अपने रिश्तेदारों और चहेतों को पंचकूला के फेस एक और दो में औद्योगिक प्लॉट बांटने के आरोप लगे थे। विजिलेंस ब्यूरो ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के चेयरमैन के नाते पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को अनियमितताएं बरतने का दोषी माना है।

हरियाणा सरकार की मंजूरी के बाद विजिलेंस ब्यूरो ने पंचकूला थाने में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, हुडा के तत्कालीन प्रशासक आईएएस अधिकारी डीपीएस नागल, हुडा के मुख्य वित्तीय नियंत्रक (रिटायर्ड) एससी कांसल और हुडा के तत्कालीन उप कार्यालय अधीक्षक बीबी तनेजा समेत जांच में दोषी पाए गए सभी 13 प्लाट धारकों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की थी|  विजिलेंस ब्यूरो के डीएसपी सुरेश कुमार की शिकायत पर उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार की नौ अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था  ।

भाजपा सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा के विरुद्ध कई जांच शुरू कर विजिलेंस ब्यूरो की संस्तुति पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्लॉट आवंटन मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की स्वीकृति दे दी थी ।विजिलेंस द्वारा एफआईआर दर्ज करने से अब सीबीआई को पूरे मामले में प्राथमिक जांच (पीई) की भी जरूरत नहीं पड़ी । हरियाणा के एडवोकेट जनरल बलदेव महाजन ने तब बताया था की  कि तमाम तरह से कानूनी पड़ताल के बाद राज्य सरकार ने प्लॉट आवंटन में कार्रवाई करने का फैसला लिया है। विजिलेंस जांच में आरोप साबित हो चुके हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर या तो अपने रिश्तेदारों या अपने करीबी सहयोगियों और मित्रों को भूखंड आवंटन करने का आरोप लगाया था। खट्टर ने हरियाणा के ऐडवोकेट जनरल (एजी) बलदेव राज महाजन की कानूनी सलाह पर मामले में एफआईआर का आदेश दिया था । एजी की कानूनी सलाह के अनुसार, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के तत्कालीन अध्यक्ष के अलावा हुडा के तत्कालीन मुख्य प्रशासक समेत कुछ अन्य अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर करना उचित है। हूडा का अध्यक्ष सीएम होता है। एजी ने अपनी सलाह में कहा था कि सीएम के स्तर पर आवंटन का मानदंड बदला गया था और इसे मंजूरी दी गई थी। अधिकतर लाभार्थियों को बदले हुए मानदंड के तहत भूखंड आवंटित किया गया था और उनके खिलाफ एक मामला दर्ज करने का यह पर्याप्त कारण है। 

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा दिसंबर 2011 में पंचकुला के औद्योगिक एस्टेट में कथित 'अयोग्य उम्मीदवारों' को औद्योगिक भूखंडों का आवंटन करने के मामले में सतर्कता जांच का आदेश बीजेपी सर्कार में दिया गया था । राज्य सतर्कता ब्यूरो ने बाद में इस मामले में एक नियमित जांच के लिए एक मामला दर्ज किया था। इसमें 496 वर्ग मीटर से लेकर 1,280 वर्ग मीटर के औघोगिक भूखंडों को कथित तौर पर उन्हें आवंटित किया गया जो या तो तत्कालीन मुख्यमंत्री (हुड्डा) के रिश्तेदार थे या जो उनके करीब सहयोगी और दोस्त थे। 

 

Shivam