शिक्षा अधिकारियों को नहीं रहा नौनिहालों से कोई सरोकार, खतरे में भविष्य

3/13/2018 2:12:57 PM

रेवाड़ी(मोहिंदर भारती): सरकार चाहे देश का भविष्य संवारने का राग अलापते नहीं थकती हों, लेकिन अगर प्रशासनिक अधिकारी ही सरकार के आदेशों को हवा में उड़ाना शुरू कर दें तो इसे आप क्या कहेंगे। 20 दिन पहले जब उपायुक्त ने गैर मान्यता प्राप्त 99 निजी स्कूलों को बंद करने के आदेश दिए तो लगा था। शायद अब जरूर ऊंट पहाड़ के नीचे आएगा और सालों से अभिभावकों को गुमराह कर उनके बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे निजी स्कूलों पर गाज गिरेगी। लेकिन स्थिति आज भी वही ढाक के तीन पात वाली ही दिखाई पड़ रही है। जिस विभाग के कंधों पर यह जिम्मेदारी थी। वह मात्र 3 स्कूलों पर ही कार्रवाई करके ठंडे बस्ते बैठ गया है।

दरअसल हम बात कर रहे हैं रेवाड़ी की, जहां 20 दिन पूर्व उपायुक्त पंकज ने रेवाड़ी जिले में चल रहे गैर मान्यता प्राप्त 99 निजी स्कूलों को बंद कराने के सख्ती से आदेश दिए थे। साथ ही इन स्कूलों को बंद कराते समय कोई अनहोनी घटना न हो, इसके लिए जिलाधीश ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 22 व 23 में निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए जिले में 5 ड्यूटी मजिस्ट्रेट भी नियुक्त किये थे।

मगर लोगों की मानें तो वह अभी तक इस असमंजस में हैं कि जिन स्कूलों के नाम सामने आ रहे हैं, वे उनमें अपने बच्चों का दाखिला कराएं या नहीं। क्योंकि विभाग ने अभी तक 3 स्कूलों को छोड़ बाकी पर कार्रवाई करना तो दूर इन स्कूलों की तरफ झांकने तक की जहमत नहीं उठाई है। वहीं यह भी चर्चा है कि राजनीतिक दबाव के चलते अभी तक इन स्कूलों पर कार्रवाई नहीं हो पाई है।

बता दें कि गैर मान्यता प्राप्त इन निजी स्कूलों में नर्सरी से 5वीं, 8वीं, यूकेजी, प्री-नर्सरी, नर्सरी कक्षा तक के ऐसे 99 स्कूल शामिल हैं। अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इन आदेशों की सही ढंग से पालना करता है या फिर किसी राजनीतिक दबाव के चलते यहां भी भाई-भतीजावाद का खेल बनकर रह जाएगा।