चुनावी नतीजे तय करेंगे जाट व गैर-जाट का कार्ड चला या नहीं

5/20/2019 8:56:16 AM

जींद(जसमेर): हरियाणा में 12 मई को हुए लोकसभा चुनावों के नतीजे जब 23 मई को घोषित होंगे तो वो ये भी तय करेंगे कि यहां जाट व गैर जाट का कार्ड चला या नहीं। प्रदेश के कई क्षेत्रों में जाट और गैर जाट के कार्ड को चलाने के खूब प्रयास हुए। इससे पहले भी कई बार प्रदेश के मतदाताओं ने जातिवाद की राजनीति पर सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए अपने वोट से चोट की है।प्रदेश में जहां भाजपा,कांग्रेस ने अकेले दम पर लोकसभा चुनाव लड़े वहीं क्षेत्रीय दल जजपा-आप,लोसुपा-बसपा ने गठबंधन कर चुनावी जंग लड़ी।

इस जंग में जाट व गैर जाट कार्ड चलाने के खूब प्रयास हुए। सोनीपत, रोहतक, कुरुक्षेत्र जैसे संसदीय क्षेत्रों में जाट और गैर जाट के पलड़े में प्रत्याशी तय करने का काम हुआ। इन चुनावों में जब भी आंकलन किए गए तो जाट और गैर जाट मतदाताओं की संख्या बताते हुए किए गए। प्रत्याशी तय करते समय राजनीतिक दलों ने भी जाट और गैर जाट मतदाताओं की संख्या को ध्यान में रखा। रोहतक व सोनीपत में कांग्रेस,इनैलो तथा जजपा के प्रत्याशी जाट समुदाय से रहे तो भाजपा ने गैर जाट समुदाय पर दाव लगाया।

कुरुक्षेत्र में कांग्रेस व इनैलो ने जाट प्रत्याशी मैदान में उतारे और वहां भी जाट व गैर जाट के समीकरणों को अहम बताते हुए आंकलन हुए। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर भी भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी जाट समुदाय से होने तथा जजपा प्रत्याशी के गैर जाट समुदाय से होने के चलते चुनावों को जाट व गैर जाट के चश्मे से देखा एवं समझा गया। इन चुनावों दौरान  जाट आरक्षण आंदोलन में प्रदेश को मिले जख्मों को भी महज जाट और गैर जाट के बीच धु्रवीकरण के लिए कुरेदा गया।

जाट आरक्षण आंदोलन दौरान प्रदेश के सामाजिक भाईचारे को भारी नुक्सान हुआ था और इस जिन्न को बोतल से बाहर निकालने के पूरे प्रयास हुए। यह भी मतदाताओं को जाट और गैर जाट में बांटने तथा इसी चश्मे से देखने के अलावा और कुछ नहीं था। अब 23 मई को नतीजे बताएंगे कि हरियाणा में लोकसभा चुनावों में जाट और गैर जाट का कार्ड चला या नहीं। 

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