भाजपा के लिए अब निकाय चुनाव होंगे बड़ी अग्निपरीक्षा!

12/5/2020 8:40:29 AM

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : अपने दूसरे कार्यकाल के एक साल बाद हुए बरोदा के चुनावी दंगल में पराजय झेल चुकी भारतीय जनता पार्टी के लिए इसी माह होने वाले निकाय चुनाव एक बार फिर बड़ी परीक्षा माने जा रहे हैं। 3 नगर निगम, 1 नगर परिषद एवं 3 नगरपालिकाओं के यह चुनाव काफी अहम माने जा रहे हैं। इन चुनावों के कुछ ही दिनों बाद होने वाले पंचायती राज चुनाव भी भाजपा सहित कांग्रेस व इनैलो के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने होंगे।

चूंकि भाजपा इस समय बरोदा चुनाव हारने के बाद केंद्र सरकार की ओर से इसी साल सितम्बर में तीन कृषि कानून बनाए जाने के बाद किसानों का विरोध झेल रही है, इसीलिए सत्ताधारी भाजपा के लिए यह चुनाव किसी बड़े इम्तिहान से कम नहीं कहे जा सकते हैं। इसके साथ-साथ यह चुनाव कांग्रेस व इनैलो के लिए भी किसी अग्रिपरीक्षा से कम नहीं हैं।

उल्लेखनीय है कि 2014 में भारतीय जनता पार्टी ने 47 सीटों पर जीत हासिल की थी और पहली बार अपने बलबूते पर सरकार बनाई थी। उसके बाद चुनाव के लिहाज से जनवरी 2016 में पंचायती चुनाव भाजपा के लिए पहली परीक्षा थे। भाजपा ने पंचायती चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया और अनेक जिलों में जिला परिषद की चेयरमैनी बनाने में कामयाब रही। इसके बाद दिसम्बर 2018 में रोहतक, पानीपत, यमुनानगर, हिसार व करनाल में नगर निगम मेयर के चुनाव हुए। सरकार बनने के बाद इस दूसरी परीक्षा में भाजपा ने शत-प्रतिशत कामयाबी हासिल की। सभी पांचों सीटों पर जीत हासिल की। रोहतक में भाजपा के मनमोहन ने 14,776 वोटों से जीत हासिल की तो पानीपत में भाजपा की अवनीत कौर ने 74,940 मतों के अंतर से जीत दर्ज की। यमुनानगर से भाजपा के मदन सिंह ने 40,678, हिसार में गौतम सरदाना ने 28,091 एवं करनाल से रेणू बाला ने 9,348 वोट से जीत हासिल की।

पहले टर्म में जींद जीता, दूसरे में बरोदा हारा
पांच नगर निगम मेयर चुनाव में ऐतिहासिक जीत के कुछ ही दिनों बाद जनवरी 2019 में जींद का उपचुनाव आ गया। भाजपा ने इस चुनाव में इनैलो के विधायक रहे स्व. हरिचंद मिढ़ा के बेटे कृष्ण मिढ़ा को मैदान में उतारा। उनके सामने कांग्रेस से दिग्गज नेता रणदीप सिंह सुर्जेवाला व जजपा से दिग्विजय चौटाला मैदान में थे। भाजपा के कृष्ण मिढ़ा को 50,566 एवं उनके निकटतम प्रतिद्वंदी दिग्विजय चौटाला को 37,631 वोट मिले। इस तरह से मिढ़ा ने 12,935 वोट से जीत हासिल की। इसके बाद मई 2019 में हुए संसदीय चुनाव में भाजपा ने करीब 58 फीसदी वोट हासिल करते हुए सभी 10 लोकसभा सीटों पर जीत प्राप्त की।

अक्तूबर 2019 में भाजपा को 40 सीटों पर जीत मिली और भाजपा ने जजपा व कुछ आजाद विधायकों संग मिलकर सरकार बनाई। भाजपा सरकार के दूसरे टर्म के करीब एक साल बाद ही अक्तूबर माह में सोनीपत संसदीय सीट के बरोदा चुनाव की अधिसूचना जारी हो गई। भाजपा जहां पहले टर्म में जींद का उपचुनाव जीतने में कामयाब रही तो बरोदा के चुनावी दंगल में भाजपा के पहलवान योगेश्वर जीत हासिल नहीं कर सके। बरोदा में कांग्रेस ने लगातार चौथी बार जीत हासिल की।

सभी दलों ने बनाई रणनीति
विशेष बात यह है कि निकाय चुनाव के लिए सभी दलों ने ठोस रणनीति बनाई है। कांग्रेस व जजपा की ओर से तो निकाय चुनाव के लिए समितियों का गठन किया गया है। साथ ही कांग्रेस ने ये चुनाव पार्टी सिम्बल पर लडऩे का ऐलान कर दिया है, जबकि भाजपा पहले से ही निकाय चुनाव अपने पार्टी चुनाव चिह्न पर लड़ती आ रही है। सभी दलों ने स्टार प्रचारकों की सूची भी तैयार की जा रही है, तो इन चुनावों को लेकर कांग्रेस ने तो ऑब्जर्वर्स भी नियुक्त कर दिए हैं। बरोदा का चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस कार्यकत्र्ताओं का जोश चरम पर है। ऐसे में जहां भाजपा के लिए यह चुनाव चुनौती हैं, तो बरोदा उपचुनाव में जमानत न बचा पाने वाली इनैलो के लिए निकाय चुनाव अपना अस्तित्व साबित करने का एक अवसर है। 

Manisha rana