स्वतंत्रता सेनानियों के वारिस नहीं बने ऐलनाबाद प्रशासन द्वारा मनाए गए समारोह का हिस्सा

8/16/2021 8:23:06 AM

ऐलनाबाद (सुरेंद्र सरदाना) : हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी स्वतन्त्रता दिवस जो कि 75वा स्वतंत्रता दिवस ऐलनाबाद के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल के प्रांगण में स्थानीय प्रशाशन द्वारा बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर उमण्डल अधिकारी ऐलनाबाद दिलबाग सिंह ने ध्वजारोहण किया। शायद कोविड नियमों की पालना के चलते इस वर्ष झांकियां नहीं निकली गई और गत वर्षों की अपेक्षा कार्यक्रम को शॉर्ट ही किया गया।


इसके बावजूद भी कार्यक्रम स्थल पर भीड़ की कोई कमी नहीं थी और स्थानीय प्रशाशन द्वारा थोड़े बहुत बदलाव के अलावा प्रबन्धन वैसा ही किया गया जैसा कि हर वर्ष किया जाता है। अगर बदलाव की बात करें तो इस कार्यक्रम में विशेष बदलाव यह रहा की मंच पर हर वर्ष स्वतन्त्रता सेनानियों के वारिसों के लिए लगाए जाने वाली कुर्सियां इस वर्ष मंच पर नहीं लगाई गई और न ही उनके वारिसों को कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए प्रशाशन द्वारा कोई निमंत्रण दिया गया। 

हर वर्ष सन्मान लेने वाले स्वतन्त्रता सेनानी सरदार रावल सिंह के वारिस एडवोकेट जगतार सिंह रन्धावा ने कहा कि स्थानीय प्रशाशन ने गणतन्त्र दिवस के अवसर पर भी उन्हें बेइज़्ज़त किया था ओर रोशस्वरूप स्वतन्त्रता सेनानियों के लिए मंच पर लगी कुर्सियां खाली पड़ी रही थी और उन्होंने पंडाल में बिछी दरियों पर बैठ कर गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया था। स्थानीय प्रशाशन द्वारा किए गए स्वतन्त्रता सेनानियों के ऐसे हुए अपमान के चलते सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने इस उत्सव को प्रशाशन से अलग, अपने तरीके से आज़ादी के जश्न को मनाने का निर्णय लिया और आज बस स्टैंड के सामने एक निजी स्थान पर क्षेत्र के सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने यह आज़ादी का त्यौहार मनाया। 

एडवोकेट जगतार सिंह रन्धावा ने कहा जिन्होंने देश की आज़ादी प्राप्त करने  के लिए अपना अहम योगदान दिया आज उन स्वतन्त्रता सेनानियों को भुला कर आज़ादी का पर्व मनाना उन स्वतन्त्रता सेनानियों का अपमान है जो कि स्थानीय प्रशाशन द्वारा किया जा रहा है । रन्धावा ने यह भी कहा कि प्रशाशन द्वारा मनाए जाने वाला  आज़ादी का यह पर्व मात्र औपचारिक पर्व बन कर रह गया है। स्वतंत्रता सेनानियों के वरिसो के निमंत्रण की जानकारी को लेकर जब ऐलनाबाद के नायब तहसीलदार अजय कुमार से उनके फोन पर बात जाननी चाही गई तो उन्होंने अपना फोन नहीं उठाया । 

खैर ! प्रशाशन द्वारा स्वतंत्रता दिवस समारोह पर स्वतन्त्रता सेनानियों के वरिसों को न बुलाने का कारण क्या है, वह सरकार के नियम की कोई पोलिसी में बदलाव है या फिर कुछ और यह कह पाना तो मुश्किल हो रहा है लेकिन स्वतन्त्रता दिवस  के पर्व के दिन स्वतन्त्रता सेनानियों के वरिसों का दर्द जरूर छलक कर सामने आया।

दूसरी तरफ स्वतन्त्रता दिवस समारोह को देखने का स्कूली छात्रों में इस प्रकार का जोश था कि वह कड़कती धूप में भी बेपरवाह हो आज़ादी के इस कार्यक्रम का लुत्फ उठाते रहे। हालांकि स्कूली छात्रों के लिए छाया की व्यवस्था को लेकर स्थानीय प्रशाशन द्वारा मंच के ठीक सामने एक टेंट भी लगाया गया था। फिर भी छात्र इस कार्यक्रम को धूप में खड़े हो कर देख रहे थे शायद इस का कारण यह भी होगा कि जिस स्थान पर प्रशाशन द्वारा  छाया के लिए लगाए गए टेंट की व्यवस्था की गई थी वहां से दर्शको के लिए कार्यक्रम को देखने की व्यवस्था सही नहीं थी। कार्यक्रम में पत्रकारों को बेशक प्रशस्ति पत्र देकर तो सम्मान नहीं दिया गया, लेकिन मंच के माध्यम से इस प्रकार का सन्मान देते हुए कि आज़ादी में पत्रकारों का अहम योगदान रहा था, पत्रकारों को बड़े सन्मान से नवाजा गया था।

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Content Writer

Manisha rana